एक प्रमुख सरकारी अधिकारी ने आरोप लगाया है कि कोसी के तटबंधों की मरम्मत में हुई लापरवाही के लिए केंद्रीय स्तर पर विभागों के बीच तालमेल का अभाव और नौकरशाही का टालमटोल जिम्मेदार है।
इस लापरवाही के चलते बिहार के पांच जिलों में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। नुकसान आगे नहीं होगा इस बात की गारंटी नहीं ली जा सकती है क्योंकि बाढ़ को दावत देने वाले अधिकारी अभी भी पूरे दमखम के साथ जल संसाधन मंत्रालय में जमे हुए हैं।
प्रधानमंत्री द्वारा बिहार के लिए बनाए गए विशेष कार्य बल ने तटबंधों का दौरा करने के बाद अपनी राय जाहिर की है। कार्य बल के अध्यक्ष एस के झा ने केंद्र में बैठे जल संसाधन मंत्रालय से लेकर वित्त मंत्रालय के नौकरशाहों पर तीखा हमला किया है। उनकी खुद की सिफारिशों पर भी शायद ही किसी ने गौर किया हो।
झा ने बताया कि मरम्मत का काम कुछ दिनों में ही शुरू किया जा सकता था लेकिन केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों को किसी नतीजे तक पहुंचने और काम शुरू करने के बजाए अंतहीन बैठकबाजी और चर्चा में अधिक मजा आ रहा था।
उन्होंने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर पटना में गंगा उच्च आयुक्त के अधिकारियों से नेपाल की यात्रा करने और निर्माण काम शुरू करने के लिए कहा था। झा ने बताया कि वह केंद्रीय जल आयोग की इजाजत लेकर तटबंधों पर गए तो जरूर लेकिन जल्द ही हद से बढ़कर काम करने के लिए जल संसाधन मंत्रालय ने उन्हें सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया।
उन्होंने कहा कि जल संसाधन मंत्रालय के वातानुकूलित कमरों में बैठे इन अधिकारियों को नहीं पता है कि बिहार के लोग कैसे हालात से गुजर रहे हैं और इसलिए वे अपने आप में ही व्यस्त हैं। झा ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात करेंगे और बिहार में बाढ़ की स्थिति से निपटने के उपायों की सिफारिश करेंगे।
झा ने कहा कि उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक और रिजर्व बैंक से बातचीत की है और कई बैंक ने बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों को कर्ज देने के लिए कम ब्याज दर वाले कर्ज पैकेज तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि ‘विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक ने हमें पैकेज देने के लिए कहा है। हालांकि इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय की तरफ से देरी हो रही है।’