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Union Budget 2024: बैंकिंग सुधार के लिए फिलहाल इंतजार, राजकोषीय मजबूती के लक्ष्य से नहीं भटकी सरकार

वित्त वर्ष 2024-25 का बजट 23 जुलाई को पेश किया गया और इसी दिन 1991 में मनमोहन सिंह ने ऐतिहासिक बजट पेश किया था, जिसमें आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई थी।

Last Updated- July 24, 2024 | 9:14 PM IST
Budget 2024 for Bihar: Did not get special state status, but will get good roads, Bihar got aनहीं मिला विशेष राज्य का दर्जा, मगर मिलेंगी अच्छी सड़कें, बिहार को मिला 26,000 करोड़ रुपये का पैकेज, package of Rs 26,000 crore

Budget 2024: वित्त वर्ष 2024-25 के बजट की एक विशेष बात यह रही है कि इसमें सरकार राजकोषीय मजबूती के लक्ष्य से नहीं भटकी है। राजकोषीय घाटे का अनुमान अंतरिम बजट के 5.1 प्रतिशत से घटाकर 4.9 प्रतिशत किया गया है। मगर सरकार ने अंतरिम बजट में प्रस्तावित पूंजीगत व्यय का अनुमान 11.1 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर बरकरार रखा है। इसकी उम्मीद पहले से थी क्योंकि सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम से लाभांश के रूप में भारी भरकम रकम मिली है।

राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य बजट का प्रमुख आकर्षण रहा है। अगले वित्त वर्ष इसे और कम कर 4.5 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य रखा गया है। राजकोषीय घाटे का अनुमान कम किए जाने के बाद वित्त वर्ष 2025 में सरकार की सकल एवं शुद्ध उधारी क्रमशः 14.01 लाख करोड़ रुपये और 11.63 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। पिछले वित्त वर्ष में ये आंकड़े क्रमशः 15.43 लाख करोड़ रुपये और 12.29 लाख करोड़ रुपये थे। अंतरिम बजट में सकल एवं शुद्ध उधारी का लक्ष्य क्रमशः 14.13 लाख करोड़ रुपये और 11.75 लाख रुपये था।

बॉन्ड बाजार को बजट रास नहीं आया, जबकि शेयर बाजार इसलिए नाराज हो गया कि बजट प्रस्तावों में लघु अवधि का पूंजीगत लाभ कर 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत और दीर्घ अवधि का पूंजीगत लाभ कर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) खंड में प्रतिभूति लेनदेन कर भी 0.01 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.02 प्रतिशत कर दिया गया है। ये बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। क्या बाजार को शांत करने के लिए सरकार ने यह तरीका अपनाया है?

पूंजीगत लाभ कर बढ़ाने की घोषणा के बाद सेंसेक्स 1,200 अंक फिसल गया, मगर बाद में संभलकर महज 73 अंक की गिरावट के साथ 80,429.04 पर बंद हुआ। 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले सरकारी बॉन्ड पर यील्ड 6.97 प्रतिशत रहा, जबकि रुपया प्रति डॉलर 83.71 प्रतिशत का स्तर छूने के बाद 83.69 प्रतिशत के स्तर (दोनों नए निचले स्तर) पर रहा।

बैंकिंग क्षेत्र के लिए कैसा रहा बजट?

फंसे ऋणों की वसूली के लिए बजट में ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया कानून में उपयुक्त बदलाव और ऋण वसूली न्यायाधिकरणों और अपील न्यायाधिकरणों को मजबूत बनाने की बात कही गई है। फंसे ऋणों की वसूली के लिए ऐसे और न्यायाधिकरणों की स्थापना की जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि सरकार जल्द इन प्रस्तावों पर काम शुरू कर देगी क्योंकि ये कोई नए विषय नहीं हैं जिनके लिए बहुत सोच-विचार की जरूरत होगी। बैंकों, खासकर सरकार नियंत्रित, को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को अलग नजरिये से देखना होगा। एमएसएमई के वित्त पोषण का उनका नजरिया बदल जाएगा।

एमएसएमई को मशीन एवं उपकरण खरीदने में मदद करने के लिए एक क्रेडिट-गारंटी योजना लाई जा रही है। इस योजना के अंतर्गत एमएसएमई क्षेत्र को सावधि ऋण (टर्म लोन) दिए जाएंगे और इनके लिए किसी तीसरे पक्ष से गारंटी की आवश्यकता भी नहीं होगी।

एक स्व-वित्त पोषण गारंटी कोष प्रत्येक आवेदक को 100 करोड़ रुपये तक कवर (सुरक्षा) देगा जबकि ऋण की रकम इससे बड़ी हो सकती है। सरकार नियंत्रित बैंकों को एमएसएमई के ऋण की आवश्यकताओं की समीक्षा के लिए स्वयं क्षमता तैयार करनी होगी न कि इसके लिए उन्हें बाहरी स्रोतों पर निर्भर चाहिए। नया ऋण समीक्षा ढांचा अर्थव्यवस्था में एमएसएमई की डिजिटल उपस्थिति पर आधारित होगी।

संकट के समय एमएसएमई को बैंकों से ऋण सुनिश्चित करने के लिए एक नए ढांचे पर भी काम चल रहा है। ऐसे ऋणों पर सरकार-प्रवर्तित कोष से गारंटी प्राप्त होगी। इसके अलावा एमएसएमई ग्राहकों को बेचे अपने उत्पाद एवं सेवाओं के बदले बाद में मिलने वाली रकम नकदी में परिवर्तित कर कार्यशील पूंजी का प्रबंध कर पाएंगे।

सरकार टीआरईडीएस (ट्रेड रिसीवेबल्स इलेक्ट्रॉनिक डिस्काउंटिंग सिस्टम) प्लेटमफॉर्म की अनिवार्य बोर्डिंग के लिए खरीदारों की कारोबार सीमा 500 करोड़ रुपये से घटाकर 250 करोड़ रुपये करना चाहती है। टीआरईडीएस किसी व्यवसाय के व्यापार प्राप्य के फैक्टरिंग के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। फैक्टरिंग एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक व्यवसाय तत्काल नकदी की जरूरत पूरी करने के लिए अपने प्राप्त खातों को तीसरे पक्ष को कुछ छूट पर बेचता है।

बजट में मुद्रा ऋण की ऊपरी सीमा भी 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किए जाने का प्रस्ताव है। मुद्रा कर्जधारकों की साख तो अच्छी नहीं रही है, मगर इससे बैंकों को कोई दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि ऊपरी सीमा उन उद्यमियों के लिए बढ़ाई गई है जिन्होंने ऋण लौटाने में कोताही नहीं की है।

बजट में वित्तीय क्षेत्र में सुधार और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के बारे में क्या कहा गया है?

वित्त वर्ष 2024-25 का बजट 23 जुलाई को पेश किया गया और इसी दिन 1991 में मनमोहन सिंह ने ऐतिहासिक बजट पेश किया था, जिसमें आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई थी। जिन लोगों को लग रहा था कि इस बार के बजट में 1991 की तरह ही बड़ी ऐतिहासिक घोषणाएं होंगी उन्हें निराशा हाथ लगी है।

बजट में नौ प्राथमिकताओं का जिक्र किया गया है जिनमें अगले चरण के सुधार नीचे रखे गए हैं।

बजट में बैंकिंग क्षेत्र के लिए किसी ठोस कदम की घोषणा तो नहीं हुई है मगर इसे आकार, क्षमता आदि के लिहाज से बेहतर बनाने के लिए दृष्टिकोण एवं रणनीतिक दस्तावेज के साथ अगले पांच वर्षों के लिए कार्यसूची (एजेंडा) तय करने का जिक्र किया गया है। कुल मिलाकर इंतजार लंबा हो चला है।

(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार हैं)

First Published - July 24, 2024 | 9:14 PM IST

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