बैंक एवं वित्तीय संस्थान फंसे ऋण की वसूली के लिए नया एवं अनोखा तरीका अपनाने से पीछे नहीं रहे हैं। कोलकाता स्थित यूको बैंक ने 1 नवंबर को एक परिपत्र जारी कर अपने कर्मचारियों को दीवाली के अवसर पर प्रत्येक शाखा में ऋण नहीं चुकाने वाले शीर्ष 10 चूककर्ताओं (डिफॉल्टर) को मिठाई के साथ शुभकामनाएं देने का निर्देश दिया।
बैंक ने यह कदम यह दर्शाने के लिए उठाया था कि ये डिफॉल्टर भी कभी उनके मूल्यवान ग्राहक हुआ करते थे। एक पृष्ठ के इस परिपत्र का मुख्य संदेश यह प्रसारित करना था कि बैंक इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत खातों के ग्राहक भी कभी उनके लिए महत्त्व रखते थे।
परिपत्र में यह भी कहा गया था कि फंसे ऋण की वसूली आसान नहीं होती है। कोई खाता एक बार एनपीए होने के बाद बैंक और संबंधित ग्राहक दोनों के संबंध खराब हो जाते हैं। परिपत्र के अनुसार हरेक डिफॉल्टर इरादतन चूककर्ता नहीं होता है और अगर कोई ऋण नहीं चुका पा रहा है तो इसके कई कारण हो सकते हैं।
परिपत्र में कहा गया कि ऐसे ग्राहकों के साथ सहानुभूति रखने और बैंक और उनके बीच रिश्तों में आई खटास को सौहार्दपूर्ण तरीके से दूर किया जाना करना चाहिए। बैंक के शीर्ष प्रबंधन ने शाखा प्रमुखों को व्यक्तिगत रूप से ऐसे ग्राहकों से मिलने के निर्देश दिए थे। क्षेत्रीय प्रमुखों (जोनल हेड) को भी अपने-अपने क्षेत्र के 10 सबसे बड़े डिफॉल्टरों से व्यक्तिगत रूप से मिलने के निर्देश दिए गए थे। परिपत्र में निहित दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करने के भी निर्देश दिए गए थे और इस संबंध में सभी जानकारियां 15 नवंबर तक देने के लिए कहा गया था।
मगर अगले ही दिन बैंक ने परिपत्र वापस ले लिया। बैंक ने ऐसा क्यों किया? इसके पीछे कई कहानियां चल रही हैं। कहा जा रहा है कि बैंक के कुछ वरिष्ठ कर्मचारी इस पहल से खुश नहीं थे। कुछ सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने भी इस पर आपत्ति जताई थी। शायद मीडिया के एक तबके से आ रही प्रतिक्रिया से भी बैंक प्रबंधन खुश नहीं था। इसके बाद डिफॉल्टर को मिठाई बांटने पर आने वाला खर्च एक मुद्दा था ही। अफसोस कि हम यह योजना क्रियान्वित होते नहीं देख पाए।
बैंक अपने फंसे ऋण की वसूली के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। वर्ष 2017 में पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) ने ‘मिशन गांधीगीरी’ की शुरुआत की थी। इस योजना में बैंक कर्मचारियों की एक टीम कर्जधारकों के कार्यालय या आवास जाकर वहां चुपचाप बैठ जाती थी।
इस अभियान का मकसद कर्ज नहीं लौटाने वाले लोगों को शर्मसार करना था। बाद में पीएनबी ने यह योजना बंद कर दी और अब वह किसी खाते में दबाव दिखते ही संबंधित ग्राहक से संपर्क साधना शुरू कर देता है। पीएनबी ने जान बूझकर कर्ज नहीं लौटाने वाले 150 लोगों के कम से कम 150 पासपोर्ट भी जब्त करा दिए।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने उन ग्राहकों तक पहुंचने के लिए दो वित्त-तकनीक (फिनटेक) इकाइयों की सेवाएं ली थी जिनके भुगतान में चूक करने की आशंका प्रबल हो गई थी। इन इकाइयों के प्रतिनिधि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के माध्यम से कर्जधारकों की पहचान करते थे और उनके घर जाया करते थे। उन्हें चॉकलेट आदि भेंट कर आगामी मासिक किस्त (ईएमआई) की अगली किस्त समय पर जमा करने की याद दिलाते थे।
कुछ दूसरे बैंकों ने स्थानीय समाचार पत्रों में डिफॉल्टरों की तस्वीर प्रकाशित की हैं और जिन जगहों पर वे रहते थे वहां उनकी तस्वीर के साथ पोस्टर भी चिपकाए हैं।
फंसे ऋण वसूलने का ‘गांधीगीरी’ एक तरीका हो सकता है। कुछ वित्तीय संस्थानों ने पहले कर्ज नहीं लौटाने वालों को परेशान करने का तरीका आजमाया था। कभी-कभी तो बैंकों एवं ऋण वसूली करने वाले लोगों की दहशत से परेशान होकर कुछ कर्जधारकों ने आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लिए।
वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ग्राहकों को परेशान करने बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के तरीकों का संज्ञान लिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तो सार्वजनिक रूप से कह चुकी हैं कि सरकार ने सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे ऋण वसूली के मामले संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ाएं और कर्जधारकों के साथ कठोर बरताव करने से बचें।
आरबीआई ने नए दिशानिर्देश जारी कर सभी नियमित इकाइयों एवं उनके ऋण वसूली एजेंट (रिकवरी एजेंट) को कर्जधारकों को बकाया ऋण की वसूली के लिए सुबह 8 बजे से पहले और शाम में 7 बजे के बाद कॉल नहीं करने की सख्त हिदायत दी है। उन्हें ग्राहकों को ऋण वसूली की प्रक्रिया में डराने-धमकाने या किसी तरह से (मौखिक या शारीरिक रूप से) परेशान नहीं करने का निर्देश दिया है।
संयोग से यूको बैंक का सकल एनपीए सितंबर 2023 तिमाही में कम होकर आवंटित ऋण का 4.14 प्रतिशत रह गया है। प्रावधान के मद में रकम अलग करने के बाद शुद्ध एनपीए कम होकर 1.11 प्रतिशत रह गया है। तीन वर्षों पहले मार्च 2020 में बैंक का सकल एनपीए 16.77 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 5.45 प्रतिशत थे। फंसे ऋण की वसूली के बाद पिछले वित्त वर्ष यूको बैंक के शुद्ध मुनाफे को काफी मजबूती मिली थी। कुल मिलाकर, बैंकिंग क्षेत्र में एनपीए पिछले एक दशक के न्यूनतम स्तर पर है।
असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण वसूलने में ‘गांधीगीरी’ काम आ सकती है मगर कंपनियों को आवंटित ऋणों की वसूली में यह तरीका कारगर कहीं से नहीं रहेगा। ऐसे ऋण भारी भरकम होते हैं और लाखों-करोड़ों रुपये में होते हैं। ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के अंतर्गत कंपनियों को दिए ऋण (जो अब फंस गए हैं) की वसूली कई कारणों से सुस्त रही है।
उच्चतम न्यायालय के हाल के एक आदेश के बाद इस संहिता को ताकत मिल सकती है। न्यायालय ने ऋण भुगतान में चूक होने की स्थिति में व्यक्तिगत गारंटीदाताओं के खिलाफ ऋण शोधन अक्षमता शुरू करने की संवैधानिक वैधता को सही ठहराया है। अब देखते हैं कि व्यक्तिगत ऋण शोधन अक्षमता किसी तरह आजमाई जाती है।
(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार हैं)