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Editorial: गलत सूचनाओं में इजाफा

मेटा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मार्क जकरबर्ग ने भी कहा है कि मेटा अपनी 2021 की नीति वापस लेगी जिसकी बदौलत वह राजनीतिक सामग्री की प्रस्तुति कम कर रही थी।

Last Updated- January 09, 2025 | 11:31 PM IST
Fake News

मेटा (फेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिक कंपनी) द्वारा अपना फैक्ट चेक कार्यक्रम बंद करके उसकी जगह एक्स (पूर्व में ट्विटर) की तरह ‘कम्युनिटी नोट्स’ शुरू करने का फैसला अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में होने जा रहे बदलाव की वजह से लिया जा रहा है। मेटा के खिलाफ ऐंटीट्रस्ट जांच चल रही हैं। इसके तहत बाजार में स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करने वाले आचरण की जांच की जाती है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि ‘बहुत संभव है’ कि मेटा द्वारा यह बदलाव उनकी वजह से ही किया जा रहा हो। ट्रंप ने कई अवसरों पर फैक्ट चेकर्स को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।

मेटा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मार्क जकरबर्ग ने भी कहा है कि मेटा अपनी 2021 की नीति वापस लेगी जिसकी बदौलत वह राजनीतिक सामग्री की प्रस्तुति कम कर रही थी। इसका मतलब यह है कि आप्रवासन, लैंगिकता और धर्म जैसे मसलों पर ज्यादा सामग्री पोस्ट की जाएगी। बदलाव की शुरुआत अमेरिका से होगी। मेटा के लिए यूरोपीय संघ जैसी जगहों पर यह बदलाव करना मुश्किल होगा क्योंकि उनके यहां नफरती भाषण और गलत सूचना देने के मामले में अमेरिका की तुलना में कहीं अधिक सख्त नियम हैं। यह निर्णय दो सबसे बड़े मंचों पर गलत सूचनाओं के साथ व्यवहार को बदलने वाला है। यह 80 से अधिक फैक्ट चेकिंग संगठनों की वित्तीय स्थिति को भी प्रभावित करेगा जो दुनिया भर में मेटा के साथ काम करते हैं। फैक्ट चेकिंग की शुरुआत 2016 के अमेरिकी चुनावों और ब्रेक्सिट जनमत सर्वेक्षण के बाद की गई थी। इन दोनों अवसरों पर फेसबुक पर प्रसारित गलत सूचनाओं का बहुत अधिक प्रभाव था।

राजनीतिक सामग्री कम करने का निर्णय उपयोगकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर लिया गया था। मेटा ने तीसरे पक्ष के फैक्ट चेकर्स से कहा था कि वे सामग्री की पुष्टि करें। जो सूचनाएं गलत पाई जातीं उनको न्यूज फीड में नीचे कर दिया जाता है। अगर कोई गलत पोस्ट साझा करने की कोशिश करता है तो उसे एक नोट दिखाकर बताया जाता है कि क्यों वह सूचना भ्रामक है। ईलॉन मस्क द्वारा खरीदे जाने के पहले ट्विटर भी ऐसा ही करता था। बाद में उसने कम्युनिटी नोट्स की व्यवस्था की। इसके तहत उपयोगकर्ता भ्रामक ट्वीट में जरूरी संदर्भ जोड़ सकते हैं। वे ऐसा मॉडरेशन के बजाय पाठकों की सहमति से कर सकते हैं।

तीसरे पक्ष का फैक्ट चेक भी किसी लिहाज से परिपूर्ण नहीं था लेकिन एक्स के अनुभव ने बताया कि यह कम्युनिटी नोट्स से बेहतर था। अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करने के लिए उठाए गए इस कदम के बाद घृणा फैलाने वाले भाषणों, गलत व्यवहार और शोषण तथा हिंसात्मक सामग्री की बाढ़ आ गई। मस्क के मालिकाने में आने के बाद एक्स ने जो पहली पारदर्शिता रिपोर्ट जारी की वह कहती है कि जनवरी से जून 2024 के बीच 53 लाख खातों को गलत व्यवहार के कारण प्रतिबंधित किया गया। यह 2022 की समान अवधि में प्रतिबंधित किए गए 16 लाख खातों से तीन गुना से भी अधिक है। ट्विटर का मालिकाना अक्टूबर 2022 में बदला था।

एक्स ‘प्रीमियम पोस्टकर्ताओं’ के साथ विज्ञापन राजस्व भी साझा करता है। कम्युनिटी नोट्स और राजस्व साझेदारी का मिश्रण एक तबाही को न्योते जैसा है। विवादित पोस्ट्स को अधिक लोग देखते हैं और विवाद उत्पन्न करने वाले पोस्ट कर्ताओं को अधिक राजस्व मिलता है। कम्युनिटी नोट्स की व्यवस्था के कारण सार्वजनिक हस्तियों की सामग्री की उनके विरोधी गलत लेबलिंग कर सकते हैं। यह अभिव्यक्ति की आजादी के बुनियादी सिद्धांत के विरुद्ध है।

सोशल मीडिया में कोविड-19 महामारी के बारे में गलत सूचनाओं के प्रसार ने संकट को बढ़ाने में योगदान किया। इसके कारण कई लोगों ने नकली दवाओं पर भरोसा किया और टीकाकरण से इनकार किया। इसी तरह जलवायु परिवर्तन को नकारने वालों को भी फैक्ट चेक के अभाव में खूब समर्थन मिला। जकरबर्ग मानते हैं कि फैक्ट चेकर्स को हटाने के बाद मेटा गलत सामग्री की कम पकड़ कर पाएगी। परंतु वह मानते हैं कि इससे मुख्य धारा की बहस के विषयों में अभिव्यक्ति की आजादी आएगी।

बहरहाल फैक्ट चेक को अभिव्यक्ति की आजादी की सेंसरशिप से मिला देना अक्सर बुरे इरादों से किया जाता है। दोनों एक नहीं हैं। बदकिस्मती से फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स का सोशल मीडिया पर दबदबा है और मेटा के ट्रंप की इच्छाओं के आगे झुक जाने से होने वाला बदलाव इन तीनों मंचों पर गलत सूचनाओं और नफरती भाषणों में इजाफा करेगा।

First Published - January 9, 2025 | 11:11 PM IST

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