सबसे पहले 2022 और फिर 2024 में नाकामी मिलने के बाद आखिर इस साल की दूसरी तिमाही में टेस्ला भारत की सड़कों पर उतर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इसी महीने टेस्ला के मुखिया ईलॉन मस्क ने उनसे मुलाकात की थी और शायद उस बैठक ने दुनिया की इस दूसरी सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी को भारत पर दांव खेलने का हौसला दिया है। टेस्ला के साथ बातचीत को शुल्क पर पुनर्विचार करने के भारत सरकार के कदम का हिस्सा भी माना जा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने उनके देश को होने वाले भारतीय निर्यात पर जवाबी ऊंचा शुल्क लगाने की धमकी दी है, जिसके बाद सरकार यह कवायद कर रही है। लेकिन टेस्ला पर सरकार का रुख पिछले साल ही बदलता लगने लगा था, जब उसने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनियों को पांच साल में पूरी तरह तैयार (सीबीयू) वाहनों की 40,000 तक इकाइयां 15 फीसदी सीमा शुल्क पर आयात करने की इजाजत दे दी थी। इन पर पहले 100 फीसदी सीमा शुल्क लगता था। लेकिन एक साल में 8,000 से अधिक सीबीयू वाहन आयात नहीं किए जा सकते। इसके साथ शर्त हैं कि वाहन निर्माता कंपनी को भारत में 50 करोड़ डॉलर निवेश करना होगा, जिसमें कारखाना लगाना शामिल है और 50 फीसदी निवेश तीन साल के भीतर करना होगा। खबरें हैं कि टेस्ला भारत में असेंबली कारखाने के लिए जगह और सेल्स टीम के लिए कर्मचारी तलाश रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत के इलेक्ट्रिक कार उद्योग को इससे तगड़ा झटका तो नहीं लगेगा।
अभी तो ऐसा होता नहीं लगता। इसकी पहली वजह तो ट्रंप ही हैं, जिन्होंने अपने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी के मुखिया मस्क से इस बात पर नाराजगी जाहिर की है कि टेस्ला अमेरिका के बजाय भारत में कारखाना लगाने के लिए निवेश क्यों कर रही है। दूसरी वजह भारत में मांग की स्थिति है। देश में ईवी कार का बाजार बहुत छोटा है और 2024 में महज 2.3 फीसदी बाजार इनके पास था। हालांकि टेस्ला के मॉडलों पर लिखा उसका नाम बहुत कीमती है और खास तरह के ग्राहक उसे खरीदने के लिए दौड़े-दौड़े आएंगे मगर इन ग्राहकों की तादाद इतनी ज्यादा होगी कि कंपनी को भारत में विनिर्माण कारखाना लगाना पड़ जाए, यह मुश्किल लगता है। कहा जा रहा है कि टेस्ला की सीबीयू कार बर्लिन गीगाफैक्टरी से भारत लाई जाएंगी और शुल्क कम रहने पर भी इनकी कीमत बहुत अधिक होगी।
टेस्ला की कीमतों की बात करें तो इसका साइबरट्रक 50 लाख रुपये का हो सकता है और 5 सीट वाली एसयूवी एक्स की कीमत 2 करोड़ रुपये तक जा सकती है। दुनिया भर में इसका सबसे ज्यादा बिकने वाला मॉडल वाई भी यहां 70 लाख रुपये के करीब पड़ेगा। भारत में इलेक्ट्रिक कार की औसत कीमत 6 लाख रुपये से 3 करोड़ रुपये तक है और इस हिसाब से टेस्ला की कारों के औसत दाम काफी ज्यादा बैठेंगे। भारत में सबसे महंगा ईवी रॉल्स रॉयस स्पेक्टर है, जो 7.5 से 7.8 करोड़ रुपये का पड़ता है। मगर ज्यादातर लक्जरी इलेक्ट्रिक कार 1.65 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये के बीच आ जाती हैं। मर्सिडीज को छोड़ दें तो 2024 में अधिकतर ईवी कार कंपनियों की बिक्री या तो ठहरी रही या गिर गई। टेस्ला की बिक्री भी दुनिया भर में घट रही है, इसलिए भारत पर उसका दांव भी मुश्किल ही होगा। उसके लिए पासा पलटने वाली बात एक ही है – अगर टेस्ला भारत से हर साल 100 करोड़ डॉलर के पुर्जे खरीदती है। अगर 21 लाख रुपये की कार तैयार करने के मकसद से कारखाने में निवेश करना है तो भारतीय आपूर्ति श्रृंखला में काफी मूल्यवर्द्धन करना होगा। देश में कार उद्योग का उदारीकरण अभी शुरू ही हुआ है, इसलिए यह दांव ज्यादा बड़ी क्रांति ला सकता है।