कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के मामलों में मानव संसाधन के मुद्दे बड़ी चुनौती साबित होते हैं। टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस के स्वामित्व वाली विमानन कंपनी विस्तारा को यह सबक थोड़ा कड़े अंदाज में मिला। बीते कुछ दिनों में विमानन कंपनी को मुश्किलों से गुजरना पड़ा।
पूर्व में सरकारी कंपनी रही एयर इंडिया के साथ विलय के पहले विमान चालकों के साथ जो नया अनुबंध किया गया उसके प्रति असंतोष दिखाते हुए बड़ी संख्या में चालकों ने बीमारी का हवाला देकर अवकाश लिया और रोजाना 350 के करीब उड़ान संचालित करने वाली कंपनी को लगभग 10 फीसदी उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।
यह एक ऐसी दुविधा है जिससे एयर इंडिया के पुराने मालिक परिचित हैं। कम से कम 2007 में एयर इंडिया और घरेलू विमानन कंपनी इंडियन एयरलाइंस के विलय के समय ऐसी ही परिस्थितियां थीं। वह संकट महीनों तक चला था और मौजूदा संकट के समय उसे चेतावनी के तौर पर याद किया जाना चाहिए था। विस्तारा का संकट हमारे सामने इस बात का अच्छा उदाहरण है कि कर्मचारियों की कठिनाइयों का प्रबंधन किस प्रकार नहीं किया जाना चाहिए?
फरवरी के अंत और मार्च के आरंभ में इस आसन्न संकट के संकेत नजर आने लगे थे जब कुछ विमान चालकों ने बीमारी की बात कही थी। समस्या के मूल में है विस्तारा के विमान चालकों के वेतन पैकेज का पुनर्गठन ताकि उसे एयर इंडिया के समकक्ष किया जा सके। विमान चालकों को नया वेतन पैकेज 15 मार्च तक स्वीकार करना था जिसका मतलब होता फर्स्ट ऑफिसर के वेतन में भारी कटौती।
विलय के बाद उन्हें मौजूदा 70 घंटों की उड़ान के बजाय न्यूनतम 40 घंटों की गारंटीड उड़ान भरनी होगी। कैप्टन और सीनियर कैप्टन के लिए उड़ान का समय कम होकर क्रमश: 52 और 60 घंटे होगा। निश्चित तौर पर इस कमी के बदले एकबारगी क्षतिपूर्ति भुगतान किया जाएगा लेकिन नए वेतन पैकेज को लेकर नाराजगी के साथ कुछ अन्य आपत्तियां हैं।
इनमें से एक है नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा बेहतर फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन रूल्स (एफडीटीएल) को घरेलू विमानन कंपनियों के दबाव में निरंतर टालना जबकि इसके लिए 1 जून की समय सीमा तय की गई थी। नया एफडीटीएल समूचे विमानन उद्योग के विमान चालकों की शिकायतों के बाद पारित किया गया था और इसमें आराम के अधिक घंटों, रात में लैंडिंग कम करने, विमानन कंपनियों द्वारा और विमान चालकों को भर्ती करने जैसे प्रावधान थे।
इसके अलावा विमान चालक विलय का असर अपनी वरिष्ठता पर पड़ने को लेकर भी चिंतित थे। कई चालकों का भय यह था कि उड़ान अनुभव से इतर उन्हें विलय के बाद अपनी वरिष्ठता गंवानी पड़ेगी। वरिष्ठता का मसला विमान चालकों के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें अपना बेस और विमान चुनने का अधिकार मिलता है।
दुनिया भर की विमानन कंपनियां यह समझती हैं कि संस्थान के भीतर विमान चालकों के पास मोलतोल की विशिष्ट क्षमता होती है। ऐसे में वेतन व्यवस्था, वरिष्ठता और रोस्टर में बदलाव के लिए अत्यधिक ऊर्जावान प्रबंधन की आवश्यकता होती है ताकि बदलाव की प्रक्रिया को सहज बनाया जा सके। विस्तारा ने संकट उत्पन्न होने यानी बड़ी संख्या में उड़ान निरस्त होने, देरी होने और ग्राहकों को असुविधा होने के बाद अपने विमान चालकों के साथ एक बैठक आयोजित की।
इसमें दो राय नहीं कि विस्तारा-एयर इंडिया के विलय में एयर इंडिया एक्सप्रेस और एआईएक्स कनेक्ट (पूर्व में एयर एशिया जो टाटा समूह की किफायती विमान सेवा है) के विलय के लिए भी सबक छिपे होंगे। समूह विमानन कारोबार को लेकर प्रतिबद्ध है और कोविड के बाद तेजी से बढ़ते विमानन बाजार के मद्देनजर उसे प्रबंधन में कुशल लोगों की आवश्यकता है।
अनुमान है कि वित्त वर्ष 25 में अकेले घरेलू विमानन परिवहन 8 फीसदी बढ़ेगा। वित्त वर्ष 24 में भी ऐसी वृद्धि देखने को मिली थी। विमान चालकों को प्रशिक्षित करने वाले संस्थान मांग और गुणवत्ता के आधार पर पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में चालकों को लेकर कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है और अभी बीमारी के इस प्रकरण के बाद विमान चालकों में भगदड़ की स्थिति भी नजर आ सकती है।