वित्त वर्ष 2026 में वास्तविक वेतन वृद्धि में गिरावट आने के आसार हैं। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने आज कहा है कि अनुकूल मॉनसून से कृषि क्षेत्र में स्थिर वृद्धि रहने के कारण महंगाई में नरमी से वास्तविक वेतन वृद्धि को समर्थन मिलने की उम्मीद है। मगर यह वित्त वर्ष 2025 के 7 फीसदी से कम होकर वित्त वर्ष 2026 में 6.5 फीसदी रह सकता है।
इंडिया रेटिंग्स के एसोसिएट निदेशक पारस जसराय ने कहा, ‘मगर प्रतिकूल मौसम अथवा मॉनसून की प्रगति में व्यवधान तथा व्यापार एवं भू-राजनीतिक मुद्दों के कारण वास्तविक वेतन वृद्धि में गिरावट भी आ सकती है।’
इसके अलावा रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) की वृद्धि वित्त वर्ष 2025 के 7.2 फीसदी से कम होकर वित्त वर्ष 2026 में 6.9 फीसदी रह जाएगी।
रेटिंग एजेंसी ने अपने नोट में कहा है, ‘वेतन वृद्धि के अनुसार खपत में वृद्धि होती है। आर्थिक सिद्धांत यह मानता है कि कोई व्यक्ति अपनी आय और खपत में तालमेल के लिए अपनी मौजूदा आय के बजाय अपनी मध्यम अथवा दीर्घकालिक आय पर अपना उपभोग तय करता है। इसलिए, अगर वेतन वृद्धि को स्थिर माना जाता है तो इससे खपत में अधिक निरंतर वृद्धि हो सकती है। इसके विपरीत, अगर वेतन वृद्धि अस्थिर है तो खपत में और अधिक अस्थिर वृद्धि हो सकती है।’
इंडिया रेटिंग्स ने सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी की गई राष्ट्रीय खाता आंकड़ों का भी विश्लेषण किया है। इसने उल्लेख किया है कि वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2023 के दौरान दबी हुई मांग के कारण अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद वित्त वर्ष 2024 में पीईसीई की वृद्धि 5.6 फीसदी पर आ गई।