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अगर करते हैं बड़े ट्रांजेक्शन्स तो हो जाएं सतर्क, इनकम टैक्स विभाग की नजर में हैं आप; आ सकता है कभी भी नोटिस

अगर आपकी आमदनी और खर्च में फर्क नजर आया तो आयकर विभाग भेज सकता है नोटिस, जानिए किन लेनदेन पर होती है निगरानी और कैसे बच सकते हैं टैक्स नोटिस से।

Last Updated- June 23, 2025 | 6:58 PM IST
Rupee
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

अगर आप भी अधिक ट्रांजेक्शन्स करते हैं तो आपको सावधान रहना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि आयकर विभाग ऐसे लेनदेन पर कड़ी नजर रखता है। अगर आपकी आय और लेनदेन से दिखने वाली जीवनशैली में कोई अंतर पाया जाता है, तो आपको टैक्स नोटिस मिल सकता है। आइए जानते हैं कि कैसे आप कानून के दायरे में रह सकते हैं।

किन लेनदेन पर होती है जांच?

सिंहानिया एंड कंपनी के पार्टनर अमित बंसल के अनुसार, आयकर विभाग उन लेनदेन पर विशेष ध्यान देता है जो किसी व्यक्ति की आय के अनुरूप नहीं दिखते। इनमें शामिल हैं:

  • एक वित्त वर्ष में बचत खाते में 10 लाख रुपये से ज्यादा की नकद जमा
  • क्रेडिट कार्ड का भुगतान 1 लाख रुपये से ज्यादा नकद या 10 लाख रुपये से ज्यादा चेक या डिजिटल तरीके से
  • म्यूचुअल फंड, स्टॉक, बॉन्ड में 10 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश
  • 30 लाख रुपये या उससे अधिक मूल्य की अचल संपत्ति की खरीद या बिक्री
  • एक साल में 10 लाख रुपये से ज्यादा की विदेशी मुद्रा का लेनदेन
  • बड़ी बीमा प्रीमियम राशि या बहुत बड़ी रकम का दान

बंसल कहते हैं, “ये लेनदेन नियमित रूप से वित्तीय संस्थानों द्वारा स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन (SFT) के तहत दर्ज किए जाते हैं, जिससे आयकर विभाग को गड़बड़ी पकड़ने में मदद मिलती है।”

Also Read: ITR Filing 2025: बिना रसीद के आप कितना HRA कर सकते हैं क्लेम? जानें इस साल नियमों में क्या हुए बदलाव

रिपोर्टिंग की अनिवार्य सीमाएं

बंसल बताते हैं कि वित्तीय संस्थानों को SFT के तहत निम्नलिखित लेनदेन की जानकारी देनी होती है:

  • बचत खाते में जमा: 10 लाख रुपये से ज्यादा
  • चालू खाते में जमा: 50 लाख रुपये से ज्यादा
  • क्रेडिट कार्ड भुगतान: एक साल में 10 लाख रुपये से ज्यादा
  • म्यूचुअल फंड, डिबेंचर, शेयर: एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश
  • संपत्ति का लेनदेन: 30 लाख रुपये या उससे अधिक मूल्य
  • विदेशी मुद्रा की खरीद: एक साल में 10 लाख रुपये से ज्यादा

इन सीमाओं को जानने से टैक्सपेयर्स को यह समझने में मदद मिलती है कि कौन से लेनदेन आयकर विभाग की नजर में आ सकते हैं, भले ही उन्होंने खुद इसका खुलासा न किया हो।

कैसे रहें नियमों का पालन करने वाले?

नोटिस मिलने पर क्या करें?

टैक्सपेयर्स को नोटिस से बचने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिए। सिरिल अमरचंद मंगलदास के पार्टनर कुणाल सवानी सलाह देते हैं कि सभी रिकॉर्ड पूरे और सटीक रखें। सवानी कहते हैं, “समय पर रिटर्न दाखिल करें, सभी आय के स्रोतों का खुलासा करें, जिसमें छूट वाली आय भी शामिल हो, और बैंक स्टेटमेंट, इनवॉइस, और धन के स्रोतों का सबूत जैसे डॉक्यूमेंट्स संभालकर रखें।”

बंसल कहते हैं कि भुगतान हमेशा बैंकिंग चैनलों के माध्यम से करें, एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और फॉर्म 26AS में दर्ज जानकारी की जांच करें, और रिटर्न में दी गई जानकारी को वास्तविक लेनदेन के साथ मिलाएं।

वे कहते हैं, “संपत्ति सौदों या फॉरेन रेमिटेंस जैसे बड़े लेनदेन के लिए किसी पेशेवर की मदद लेनी चाहिए।”

टैक्स नोटिस मिला? अब ये करें

बंसल कहते हैं, “घबराएं नहीं।”

पहला कदम है नोटिस को ध्यान से पढ़ना, उसमें उठाए गए मुद्दे को समझना, और संपत्ति के कागजात, बैंक रिकॉर्ड, या लेनदेन के सबूत जैसे सभी जरूरी डॉक्यूमेंट इकट्ठा करना। आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से समय पर और पारदर्शी जवाब देना जरूरी है।

बंसल सलाह देते हैं, “अगर मामला जटिल है, तो चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद लें ताकि आपका जवाब सटीक और पूर्ण हो। समय पर सहयोग से ज्यादातर मामले बिना किसी और परेशानी के सुलझ सकते हैं।”

First Published - June 23, 2025 | 6:28 PM IST

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