Sovereign Gold Bond 2019-20 Series IX: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) की 36वीं किस्त को पहली बार मैच्योरिटी से पहले भुनाने यानी प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन का मौका बॉन्ड धारकों को 11 फरवरी को मिलेगा लेकिन वैसे ही बॉन्ड धारक इस बॉन्ड को भुना पाएंगे जो 1 फरवरी तक इसके लिए अप्लाई करेंगे। अप्लाई करने की प्रक्रिया 10 जनवरी से पहले ही शुरू हो चुकी है। यदि इस अवधि के दौरान अप्लाई नहीं करते हैं तो आप 11 फरवरी 2025 को इसे मैच्योरिटी से पहले नहीं बेच पाएंगे।
वित्त वर्ष 2019-20 की नौवीं सीरीज यानी 36वां सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (IN0020190545) सब्सक्राइबर्स को 11 फरवरी 2020 को 4,070 रुपये के इश्यू प्राइस पर जारी किया गया था। सब्सक्रिप्शन पीरियड के दौरान इस बॉन्ड के लिए कुल 4,059,57 यूनिट की खरीद की गई थी। यह बॉन्ड 11 फरवरी 2028 को मैच्योर होगा। इस बॉन्ड का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है।
सेकेंडरी मार्केट में प्रीमियम पर कर रहे ट्रेड
सेकेंडरी मार्केट यानी स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर फिलहाल यह तकरीबन 2 फीसदी प्रीमियम के साथ 8,250 रुपये प्रति ग्राम के भाव पर ट्रेड कर रहा है। आईबीजेए (IBJA) के मुताबिक 24 कैरेट गोल्ड (999) का शुरुआती भाव आज 30 जनवरी को 8,101 रुपये प्रति ग्राम दर्ज किया गया। इस बॉन्ड की लिस्टिंग स्टॉक एक्सचेंज पर 17 फरवरी 2020 को हुई थी।
प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस का कब ऐलान करेगा आरबीआई?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए इश्यू और रिडेम्प्शन प्राइस आईबीजेए (IBJA) से गोल्ड के लिए मिले रेट के आधार पर तय होते हैं। नियमों के अनुसार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए मैच्योरिटी से पहले रिडेम्प्शन प्राइस प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन की तारीख से ठीक पहले के 3 कारोबारी दिन के लिए आईबीजेए (IBJA) की तरफ से प्राप्त 24 कैरेट गोल्ड (999) के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज होता है। इस बॉन्ड का पहली बार प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन 11 फरवरी 2025 को होना है इसलिए इस सीरीज का प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस 6 फरवरी, 7 फरवरी और 10 फरवरी के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर तय होगा। आरबीआई (RBI) इस बॉन्ड के लिए प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस का ऐलान 10 फरवरी 2025 का क्लोजिंग प्राइस आने के बाद यानी देर शाम करेगा।
प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन के मामले में क्या कहते हैं टैक्स नियम?
अगर आपने मैच्योरिटी पीरियड से पहले इस बॉन्ड को रिडीम किया तो टैक्स लिस्टेड फाइनेंशियल एसेट्स (listed financial assets) की तरह लगेगा। मतलब सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के बाद 12 महीने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा, जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 12 महीने बाद बेचते हैं तो कमाई यानी कैपिटल गेन को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा जिस पर आपको 12.5 फीसदी लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना होगा। लेकिन यदि आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी यानी 8 साल तक होल्ड करते हैं तो रिडेम्प्शन के समय आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा ।
कब कर सकते हैं प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन ?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने का विकल्प भी निवेशकों के पास होता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को आप उसके इश्यू होने के 5 साल बाद मैच्योरिटी से पहले रिडीम कर सकते हैं। आरबीआई प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन की तारीख उस दिन तय करती है जिस दिन इस बॉन्ड पर इंटरेस्ट देय होता है। इस बॉन्ड पर इंटरेस्ट प्रत्येक छह महीने पर यानी साल में दो दफे मिलता है। इस बॉन्ड पर सालाना 2.5 फीसदी का इंटरेस्ट मिलता है।