रिहायशी जमीन और मकानों की कीमतें फिर तेजी से बढ़ने लगी हैं। मैजिकब्रिक्स प्रॉपइंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर, 2023 में खत्म तिमाही के दौरान देश के शीर्ष 13 शहरों में संपत्ति के दाम साल भर पहले के मुकाबले औसतन 18.8 फीसदी बढ़ गए। मकान खरीदने के कई इच्छुक लोग रेडी-टु-मूव यानी तैयार मकान के बजाय निर्माणाधीन संपत्ति खरीदने की भी सोच रहे हैं क्योंकि इसमें उन्हें रकम धीरे-धीरे चुकाने का मौका मिल जाता है।
निर्माणाधीन संपत्ति के दाम आम तौर पर ज्यादा अच्छे लगते हैं। एनारॉक ग्रुप के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार का कहना है, ‘तैयार मकान के मुकाबले इनकी कीमतें 30 फीसदी तक कम हो सकती हैं। समय के साथ-साथ जमीन और मकान के दाम बढ़ते ही हैं, जिससे आपको निवेश पर बेहतर रिटर्न मिल सकता है।’ निर्माणाधीन मकानों की गुणवत्ता भी बेहतर हो सकती है।
कॉलियर्स इंडिया के प्रबंध निदेशक (रेजिडेंशियल ट्रांजैक्शन सर्विसेज) रविशंकर सिंह ने कहा, ‘निर्माण की तकनीक बहुत बेहतर हो चुकी है। नए मकानों में ऑटोमेशन का भी बहुत इस्तेमाल होता है।’
मकान अगर बन रहा है तो उसे खरीदने पर वित्तीय बोझ भी किस्तों में बंट जाता है। बैंकबाजार के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) आदिल शेट्टी समझातै हें, ‘आपके ऋण खाते से पूरी रकम एक बार में बिल्डर के पास नहीं जाती। मकान बनते समय आप केवल प्री-ईएमआई दे सकते हैं, जो असल में बिल्डर को दी जाने वाली रकम पर ब्याज होता है।’
यह रकम इस बात पर निर्भर करती है कि निर्माण कहां तक पहुंच गया है। प्री-ईएमआई उन लोगों के बहुत काम आती है, जो किराये के मकान में रहते हैं।
मगर निर्माणाधीन मकान में सबसे बड़ा जोखिम डिलिवरी लटकने का होता है यानी यह तय नहीं होता कि मकान की चाबी आपके हाथ कब तक आएगी। कुमार बताते हैं कि जो बिल्डर छोटे होते हैं या जिनकी माली हालत बहुत मजबूत नहीं होती है, उनकी संपत्ति में डिलिवरी देर से होने का खतरा बढ़ जाता है। उनकी परियोजनाओं को धन की किल्लत, नियामकीय मंजूरी में देर और कानूनी पचड़ों से जूझना पड़ सकता है।
निर्माणाधीन मकान में दिक्कत यह भी है कि आखिर में जब मकान हाथ आता है तो वह उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता। कुमार कहते हैं, ‘हो सकता है कि तैयार मकान में सब कुछ वैसा नहीं मिले, जैसा वादा किया गया था। डिजाइन अलग हो सकती है, खासियतें अलग हो सकती हैं और कई बार निर्माण की गुणवत्ता भी हल्की हो सकती है।’
निर्माणाधीन मकान खरीदते समय असल में खरीदार बिल्डर को कर्ज दे रहा होता है। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन कहते हैं, ‘सूचीबद्ध कंपनी नहीं हो तो अक्सर आप बिल्डर के बहीखाते की जानकारी हुए बगैर ही उसे कर्ज दे रहे होते हैं।’ केवल प्री-ईएमआई चुकाने के भी नुकसान हैं। शेट्टी कहते हैं, ‘इसमें आपके आवास ऋण का ब्याज ही होता है। मूलधन बिल्कुल नहीं चुक रहा होता।’
इसके उलट तैयार मकान खरीदने पर आपको डिलिवरी में देर का जोखिम नहीं रहता और वही मिलता है, जो आप पहली बार मकान में देखते हैं। सिंह के हिसाब से निर्माणाधीन संपत्ति आम तौर पर शहर के बाहरी इलाकों में होती हैं मगर तैयार मकान शहर के भीतर बेहतर इलाके में हो सकता है। साथ ही बने बनाए मकान में कारपेट एरिया भी ज्यादा हो सकता है।
बने-बनाए मकान के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ज्यादा कीमत की होती है। कुमार के हिसाब से ऐसे मकान निर्माणधीन मकानों के मुकाबले 10 से 30 फीसदी तक महंगे हो सकते हैं। मकान तैयार होते समय संपत्ति के दामों में आम तौर पर इजाफा देखा जाता है, जिसका फायदा खरीदारों को मिलता है। मगर बना-बनाया मकान लेने पर यह फायदा भी नहीं मिलता। मकान ज्यादा पुराना हो तो उसकी मरम्मत कराने और नया जैसा बनाने पर आपको अच्छी खासी रकम भी खर्च करनी पड़ सकती है। साथ ही बने-बनाए मकान कम होने के कारण आपके पास विकल्प भी कम ही होते हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि कैसा मकान लिया जाए? इसका फैसला यह देखकर करें कि आप कितना जोखिम ले सकते हैं। धवन कहते हैं, ‘जब आप निर्माणाधीन संपत्ति खरीदते हैं तो असल में आप इस बात पर दांव लगाते हैं कि डेवलपर तय वक्त पर आपको मकान दे देगा।’
लोग अक्सर यह सोचकर निर्माणाधीन मकान खरीदने का जोखिम उठाते हैं कि उन्हें अच्छा रिटर्न मिलेगा। लेकिन धवन आगाह करते हैं कि कुछ गलत हो गया तो वह संपत्ति बेचना भी मुश्किल हो जाता है। उनका कहना है कि निर्माणाधीन संपत्ति की कम कीमत आपको ललचा सकती है मगर वह कम इसलिए है क्योंकि उसमें जोखिम भी है।