पिछले दो सालों में लोगों ने घर खरीदने के लिए जमकर लोन लिया है, जिसकी वजह से घरों पर बकाया राशि में भारी इजाफा हुआ है। RBI आंकड़ों के अनुसार, यह रकम 10 लाख करोड़ रुपये बढ़कर मार्च 2024 में रिकॉर्ड 27.23 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। इसकी मुख्य वजह कोविड के बाद घर खरीदने वालों की बढ़ती संख्या और सरकार द्वारा किफायती आवास को बढ़ावा देने वाली योजनाएं मानी जा रही हैं।
पिछले दो सालों में घर खरीदने के लिए ली जाने वाले लोन की रकम काफी बढ़ गई है। यह इस बात का संकेत है कि घर खरीदने वालों की संख्या में उछाल आया है। ऐसा संभवतः कोविड के कारण टाली गई खरीदारी और किफायती घरों को बढ़ावा देने वाली सरकारी योजनाओं का नतीजा है। भविष्य में भले ही लोन की रकम बढ़ती रहे, लेकिन रफ्तार थोड़ी धीमी हो सकती है, क्योंकि ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी हो रही है। इसके बावजूद, घर का मालिक बनना लोगों के लिए एक बड़ा सपना बना हुआ है।
2023 में भी ब्याज दरें ऊंची होने के बावजूद होम लोन की मांग मजबूत रही और बैंकों ने 21 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन बांटे। इसी साल बैंकबाजार में औसत होम लोन का साइज 28.19 लाख रुपये रहा। महानगरों में औसतन होम लोन का साइज 33.10 लाख रुपये जबकि गैर-महानगरों में यह राशि 22.81 लाख रुपये रही।
मौजूदा लोन लोने वालों को दबाव से निपटने के लिए क्या करना चाहिए?
बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि मौजूदा लोन लेने वाले अपने होम लोन को कम ब्याज दर वाले लोन में बदल सकते हैं ताकि बोझ कम हो सके। इसके अलावा, वे लोन की राशि का एक हिस्सा चुकाकर भी ब्याज कम कर सकते हैं।
वहीं, नए खरीदारों के लिए भी कई सकारात्मक पहलू हैं। कोविड के दौरान घर खरीदने में देरी करने वाले लोग अब बाजार में एक्टिव हैं। साथ ही, सरकार द्वारा किफायती आवास को बढ़ावा देने वाली योजनाओं ने घर खरीदना आसान बना दिया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि सभी क्षेत्रों में घरों की बिक्री और कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, खासकर किफायती आवास में। महामारी के बाद लोगों की प्राथमिकताओं में भी बदलाव आया है और अब वे घर के साथ ही साथ होम ऑफिस की सुविधा वाले बड़े घरों की तलाश कर रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2024 तक कमर्शियल रियल एस्टेट लोन में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2022 के 2.97 लाख करोड़ रुपये से यह रकम बढ़कर मार्च 2024 में 4.48 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि है। यह इशारा करता है कि कारोबार अब ज्यादा संपत्तियों में निवेश करने के लिए बैंकों से ज्यादा लोन ले रहा है। संपत्ति विशेषज्ञों की रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले दो सालों में घरों की बिक्री और उनकी कीमतों में भी बड़ा उछाल आया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि होम लोन की इस ऊंची वृद्धि के पीछे पिछले कुछ समय में देखी गई आवास क्षेत्र की तेजी को माना जा सकता है। खासतौर पर, सरकारी समर्थन की वजह से किफायती आवासों की मांग में भी तेजी देखी गई है। सबनवीस के अनुसार कोविड के बाद घर खरीदने की जो मांग दब गई थी, वो भी अब दिखाई दे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि होम लोन की वृद्धि भले ही मजबूत बनी रहेगी, लेकिन पिछले आंकड़ों के ऊंचे स्तर को देखते हुए इसमें 15-20 फीसदी की कमी आ सकती है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों पर प्रॉपइक्विटी के सीईओ समीर जसूजा का कहना है कि बकाया होम लोन में इतनी बढ़ोतरी मुख्य रूप से पिछले दो सालों में बाजार में आई नई संपत्तियों की बिक्री में हुई जबरदस्त इजाफा को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि प्रमुख शहरों में पिछले वित्त वर्ष से ही 50 से 100 फीसदी तक की संपत्ति कीमतों में उछाल देखा गया है, जिसका असर हर संपत्ति पर लिए जाने वाले औसत लोन की रकम पर भी पड़ा है।
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में आवासीय ऋणों की मांग बनी रहेगी। इसकी वजह मजबूत बनी हुई आवासीय रियल एस्टेट की मांग है। भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र 2022 से ही मजबूत मांग देख रहा है और उम्मीद है कि 2030 तक ये क्षेत्र 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर जाएगा। विशेषज्ञ इस तेजी को कई फैक्टर्स का श्रेय देते हैं। सबसे पहला कारण है कोविड के बाद घर के महत्व का फिर से उभरना, जिसने लोगों को घर खरीदने के लिए प्रेरित किया।
दूसरा कारण है हाल के नए कानून RERA, GST और नोटबंदी, जिन्होंने इस क्षेत्र में भरोसा बढ़ाया है। साथ ही HDFC और बैंक के विलय से भी खुदरा आवास ऋणों में उछाल आया है। बढ़ती आय के चलते बंधक प्रवेश स्तर (Mortgage Penetration Level) भी ऊपर जा रहा है, मतलब ज्यादा लोग अब लोन लेकर घर खरीदने की स्थिति में हैं। कुल मिलाकर, रियल एस्टेट क्षेत्र के विशेषज्ञ आने वाले समय में हाउसिंग फाइनेंस में 12-14 फीसदी की सालाना वृद्धि का अनुमान लगाते हैं। DLF होम डेवलपर्स के आकाश ओहरी का कहना है कि पिछले दो सालों में, खासकर कोविड के बाद से, घरों की मांग तेजी से बढ़ी है और अभी यह मांग अपने उच्चतम स्तर पर है।
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का मानना है कि घर के स्वामित्व के महत्व में बदलाव और सरकार की सहायक नीतियों ने इस डिमांड को हवा दी है। अब घर सिर्फ रहने की जगह नहीं बल्कि एक आकर्षक निवेश विकल्प के रूप में भी देखा जा रहा है। कोरोना महामारी ने भी घर के महत्व को लोगों की नज़रों में और बढ़ा दिया है। बढ़ती मांग के पीछे कई कारण हैं, जिनमें सरकार की किफायती आवास को बढ़ावा देने वाली नीतियां, आकर्षक ब्याज दरों पर मिलने वाले लोन और घर के डिजाइन में हो रहा बदलाव शामिल है।
अब लोगों की प्राथमिकता बड़े घरों की है, जहां आराम से रहने के साथ-साथ काम करने के लिए भी एक अलग जगह हो। कृसुमी कॉरपोरेशन के मोहित जैन का कहना है कि घर खरीदार अब होम ऑफिस और बाहर बैठने की जगह वाली संपत्तियों को तरजीह दे रहे हैं। ये सुविधाएं पहले लक्जरी मानी जाती थीं, लेकिन अब आधुनिक घर के लिए जरूरी हो गई हैं। जैन का मानना है कि आने वाले समय में भी आवास बाजार मजबूत बना रहेगा और इसी वजह से होम लोन में भी मजबूती बनी रहने की उम्मीद है।