राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में कॉरपोरेट खंड में 21.5 फीसदी कम नए सदस्य जुड़े हैं। सरकारी अधिकारियों और विशेषज्ञों के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में आयकर छूट के लिए सीमा बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई। लिहाजा इस सालाना आय तक के कर्मचारियों को आयकर बचाने के लिए एनपीएस का विकल्प अपनाने की जरूरत नहीं होगी। यानी एनपीएस में नए सदस्य कम जुड़ने की यह भी एक वजह है।
सांख्यिकीय और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के एकत्रित आंकड़ों के मुताबिक कॉरपोरेट खंड के लिए एनपीएस वैकल्पिक है। इस खंड में ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन, प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आते हैं। कॉरपोरेट खंड में 2023 में 1,58,212 नए सदस्य जुड़े थे जबकि इस खंड में वर्ष 2022 में 2,01,517 नए सदस्य जुड़े थे।
अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कॉरपोरेट खंड के तहत एनपीएस में शामिल लोग आमतौर पर इस योजना का इस्तेमाल कर बचाने के लिए करते हैं और इसका उपयोग दीर्घावधि पेंशन या बचत के लिए नहीं करते। इसलिए जब केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने पिछले आम बजट में छूट की सीमा बढ़ाई तो इस आय वर्ग के लोगों को एनपीएस में शामिल होने का कोई फायदा नजर नहीं आया। इससे सदस्यों की संख्या में तेजी से गिरावट आई।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2023 में आयकर स्लैब और छूट की सीमा बढ़ाने की घोषणा की थी। नए आयकर व्यवस्था में छूट की सीमा 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई थी। इससे यह संकेत मिला कि जो व्यक्ति सालाना 7 लाख रुपये से कम कमाता है, उसे छूट का दावा करने के लिए किसी भी योजना में निवेश करने की जरूरत नहीं है और संबंधित व्यक्ति की पूरी आय कर मुक्त होगी।
सेबी के पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव ने बताया कि इससे मध्यम आय वर्ग को अधिक खर्च करने की शक्ति मिली। ऐसे में यह वर्ग छूट के लिए कर योजनाओँ की अधिक चिंता किए बिना पूरा राशि भी खर्च कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘ भारत के आयकर अधिनियम के विभिन्न उपबंधों से छूट पाने के लिए ज्यादातर लोग जागरूकता के अभाव के कारण एनपीएस का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि यह अत्यधिक जरूरी भी है कि लोग भविष्य की पेंशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए धन बचाएं और उसे निवेश करें। एनपीएस में लोगों की रुचि नहीं लेना चिंताजनक है।’