पिछले हफ्ते देश के तमाम बाजारों में सोने का भाव 57,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार चला गया था। शनिवार को दिल्ली में 24 कैरेट सोना 57,400 रुपये से अधिक रहा। देसी बाजार मे यह उसका अब तक का सबसे ऊंचा भाव था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी यह कीमती धातु पिछले तीन महीने में 17 फीसदी चढ़ चुकी है।
दर कटौती की उम्मीद
सोने के लिए पिछले साल परिस्थितियां प्रतिकूल थीं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ा रहा था और नकदी यानी तरलता में तेजी से कमी ला रहा था। डॉलर भी मजबूत होता जा रहा था। अब बाजार को लग रहा है कि दरों में इजाफे का सिलसिला खत्म होने को है। क्वांटम असेट मैनेजमेंट कंपनी में मुख्य निवेश अधिकारी चिराग मेहता कहते हैं, ‘फेड फंड की वायदा दर बाजार से चलती है और वह बता रही है कि फेड की ब्याज दरें 2023 के मध्य में अपने चरम पर पहुंच जाएंगी। उसके बाद फेडरल रिजर्व दरें घटाना शुरू कर देगा। दरों में कटौती की इस उम्मीद में ही सोना दौड़ पड़ा है।’
दरों में गिरावट से जुड़ी हुई एक बात डॉलर सूचकांक की कमजोरी भी है। ऐक्सिस सिक्योरिटीज में कमोडिटीज एवं एचएनआई, एनआरआई एक्विजिशन के प्रमुख प्रीतम पाठक बताते हैं, ’27 सितंबर, 2022 को 114.11 के अपने चरम स्तर से गिरकर डॉलर सूचकांक इस समय 102.2 ही रह गया है।’ अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत डॉलर में आंकी जाती है। इसीलिए डॉलर की कमजोरी से सोने के भाव चढ़ गए हैं।
मंदी, महंगाई की चिंता
सोने के भाव निकट भविष्य में क्या रहेंगे, इस पर विशेषज्ञों की राय जुदा हैं। मेहता का कहना है, ‘निकट भविष्य में अमेरिकी फेड ब्याज दरों में और बढ़ोतरी कर सकता है। इससे सोने के दाम कुछ नरम पड़ सकते हैं।’ मगर पटनायक मानते हैं कि सोने में तेजी अभी शुरू ही हुई है। वह कहते हैं, ‘अमेरिकी फेड का रुख बहुत ज्यादा आक्रामक हुआ तभी सोने के भाव नीचे आएंगे।’
कुछ दूर की बात करें तो सोने के लिए दो स्थितियां अनुकूल हो सकती हैं। मेहता समझाते हैं, ‘यदि पश्चिम में मंदी बहुत गहरा जाती है तो केंद्रीय बैंकों को तेजी ब्याज दरें घटानी होंगी और तरलता भी डालनी होगी। वह सोने के लिए अच्छी बात होगी।’ वास्तविक ब्याज दरें कम हों या शून्य के नीचे पहुंच जाएं तो सोने को ताकत मिल जाती है क्योंकि पैसा बॉन्ड जैसे ब्याज देने वाले साधनों से निकलकर सोने में चला जाता है।
क्रिप्टो की हालत जिस तरह खस्ता हुई है, उसे देखकर ज्यादा लोग धन सुरक्षित रखने के लिए उसमें निवेश तो नहीं करेंगे। अगर ब्याज दरें घटाई जाती हैं तो डॉलर की सेहत और भी पतली हो सकती है। यह भी सोने के लिए बढ़िया बात होगी। महंगाई अगर अमेरिकी केंद्रीय बैंक के सहज स्तर से ऊपर रहती है तो भी सोने के लिए अच्छा होगा।
केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया का कहना है, ‘केंद्रीय बैंक लगातार सोना खरीद रहे हैं, भूराजनीतिक तनाव बना हुआ है और चीन तथा भारत में ग्राहकों ने सोना खरीदा है, जिससे सोने की कीमतों को दम मिलेगा।’
आ सकती है गिरावट भी
यह भी संभव है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मामूली मंदी आए और अमेरिकी फेड को दरें ज्यादा घटाने की जरूरत ही न पड़े। इसी तरह महंगाई भी काबू की जा सकती है और मौजूदा स्तर से नीचे आ सकती है। ये दोनों हालात सोने के लिए प्रतिकूल होंगे।
डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आने से सोने को 2022 में भारतीय बाजार में दो अंकों में रिटर्न देने का मौका मिला है। 19 अक्टूबर, 2022 को डॉलर की कीमत 83 रुपये के करीब थी, जो अब 81.6 रुपये है। रुपया और मजबूत होता है तो सोने के लिए अच्छा नहीं होगा।
तो निवेशक क्या करें?
मेहता को लगता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिकूल स्थितियों से उबरना इतना आसान नहीं होगा। वह कहते हैं, ‘दरों में 450 आधार अंक का इजाफा और तरलता में कमी का आर्थिक गतिविधियों पर बहुत खराब असर होगा। इसलिए आसानी से उबर जाने के आसार नजर नहीं आते।’
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ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद में बाजार शायद कुछ ज्यादा ही चढ़ गया है। अगर अमेरिकी फेड दरों में इजाफे का यह सिलसिला खत्म होने से पहले ही उनमें इजाफा कर देता है तो 2023 की पहली छमाही में सोने के भाव में उठापटक दिख सकती है। कायदे में निववेशकों को अपने निवेश का 10-15 फीसदी हिस्सा सोने में लगाना चाहिए। अगर अभी उन्होंने इतना निवेश नहीं किया है तो भाव गिरते ही पैसा लगा दें।
जो आठ साल के लिए निवेश करने जा रहे हैं, उन्हें सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में अपनी रकम लगानी चाहिए। जिनके पास इतना लंबा निवेश करने का मौका नहीं है या जिन्हें जल्द ही नकदी की जरूरत पड़ सकती है, उन्हें गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की राह पकड़नी चाहिए।