गर्मियों की छुट्टियों में विदेश घूमने जाने वाले भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कुछ लोग स्विस आल्प्स की वादियों में सुकून तलाश रहे हैं, तो कुछ न्यूयॉर्क सिटी की रौनक में खो जाना चाहते हैं। लेकिन पैकिंग से पहले एक सवाल जरूरी है—विदेश में खर्च के लिए किस पेमेंट मोड को चुना जाए?
भारत से बाहर यात्रा करने वालों के सामने आम तौर पर दो विकल्प होते हैं—फॉरेक्स कार्ड (Forex Card) और क्रेडिट कार्ड (Credit Card)। दोनों के अपने फायदे और सीमाएं हैं। आइए सबसे पहले समझते हैं फॉरेक्स कार्ड को।
क्या है फॉरेक्स कार्ड?
फॉरेक्स कार्ड एक प्रीपेड कार्ड होता है, जिसे खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें विदेशी मुद्रा पहले से लोड की जा सकती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब आप इसे लोड करते हैं, उस वक्त की करेंसी का एक्सचेंज रेट लॉक हो जाता है। यानी विदेश जाकर खर्च करने पर आपको करेंसी रेट में उतार-चढ़ाव की चिंता नहीं रहती।
यह कार्ड विदेश में एटीएम से कैश निकालने, शॉपिंग करने और होटल जैसी सेवाओं के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके जरिए ट्रैवलर्स को अपने बजट पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिलती है।
क्रेडिट कार्ड में क्या है खास?
क्रेडिट कार्ड से आप बिना पहले से लोड किए भुगतान कर सकते हैं और कई मुद्राओं में ट्रांजैक्शन संभव होता है। इसके साथ ही आपको रिवॉर्ड पॉइंट्स, ट्रैवल इंश्योरेंस और एयरपोर्ट लाउंज एक्सेस जैसे लाभ भी मिलते हैं। हालांकि, इसमें फॉरेन ट्रांजैक्शन फीस और करेंसी कन्वर्ज़न शुल्क जैसे कुछ अतिरिक्त चार्ज लग सकते हैं।
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
Bankbazaar.com के सीईओ अधिल शेट्टी कहते हैं, “अगर आप खर्च पर नियंत्रण और फिक्स्ड एक्सचेंज रेट चाहते हैं तो फॉरेक्स कार्ड बेहतर विकल्प है। लेकिन अगर आपको लचीलापन और अतिरिक्त लाभ चाहिए, तो क्रेडिट कार्ड सही रहेगा। बेहतर होगा कि दोनों कार्ड साथ रखें—फॉरेक्स कार्ड का इस्तेमाल रोजमर्रा के खर्चों के लिए करें और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल आपात स्थिति या बड़े खर्चों के लिए। इससे यात्रा के दौरान आर्थिक रूप से सुविधा बनी रहेगी।”
फॉरेक्स कार्ड से लेनदेन पर लगने वाले चार्ज, जानें कितनी है फीस
अगर आप विदेश यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं और फॉरेक्स कार्ड इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं, तो उससे जुड़े चार्जेस को लेकर सतर्क रहना जरूरी है। अलग-अलग बैंकों और कार्ड वेरिएंट के मुताबिक ये शुल्क बदल सकते हैं। यहां फॉरेक्स कार्ड से जुड़े प्रमुख चार्जेस की जानकारी दी जा रही है:
ध्यान दें: ये शुल्क अनुमानित हैं और इनमें GST भी लागू हो सकता है। बैंक और कार्ड के प्रकार के अनुसार इनमें अंतर संभव है। अंतरराष्ट्रीय लेनदेन से पहले संबंधित बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर शुल्क की पुष्टि जरूर कर लें।
सोर्स: Bankbazaar.com
विदेशी लेन-देन पर क्रेडिट कार्ड चार्ज: ट्रांजैक्शन से पहले जान लें ये फीस डिटेल्स
अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल विदेश यात्रा या अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन शॉपिंग के लिए करने जा रहे हैं, तो इनसे जुड़ी फीस और चार्जेस जानना बेहद जरूरी है। अलग-अलग बैंकों और कार्ड वेरिएंट के अनुसार इन चार्जेस में कुछ फर्क हो सकता है, लेकिन मोटे तौर पर विदेशी ट्रांजैक्शन पर आपको नीचे दिए गए शुल्क चुकाने पड़ सकते हैं:
1. विदेशी लेन-देन शुल्क (Foreign Transaction Fee): लेन-देन की कुल राशि का 1% से 3.5% तक शुल्क लगता है।
2. डायनामिक करंसी कन्वर्जन शुल्क (DCC Fee): अगर विदेशी लेन-देन भारतीय रुपए (INR) में बिल किया गया है, तो 1% शुल्क और उस पर टैक्स लिया जाता है।
3. नकद निकासी शुल्क (Cash Advance Fee): एटीएम से नकद निकालने पर निकाली गई राशि का 2.5% से 3.5% शुल्क लगाया जाता है।
4. नकद निकासी पर ब्याज (Interest on Cash Withdrawal): हर महीने 2.5% से 3.5% तक का ब्याज लिया जाता है, जो सालाना 42% तक जा सकता है।
5. ओवर-लिमिट शुल्क (Over-limit Fee): क्रेडिट लिमिट से अधिक खर्च करने पर ओवर-लिमिट राशि का 2% से 3% शुल्क लिया जाता है।
6. देर से भुगतान शुल्क (Late Payment Fee): बकाया राशि के आधार पर ₹100 से ₹1,200 तक का शुल्क लगाया जा सकता है।
7. बैलेंस ट्रांसफर शुल्क (Balance Transfer Fee): किसी अन्य कार्ड से बैलेंस ट्रांसफर करने पर 1% से 2% तक का शुल्क लगता है।
नोट: इन सभी शुल्कों पर जीएसटी लागू हो सकता है। सटीक फीस जानने के लिए संबंधित बैंक की आधिकारिक वेबसाइट जरूर देखें। ये आंकड़े Bankbazaar.com से लिए गए हैं।
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सिक्योरिटी फ्रॉड के मामले में कौन बेहतर: क्रेडिट कार्ड या फॉरेक्स कार्ड? जानिए एक्सपर्ट की राय
अगर आप विदेश यात्रा की प्लानिंग कर रहे हैं और सोच रहे हैं कि क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करें या फॉरेक्स कार्ड, तो सिक्योरिटी फ्रॉड के पहलू को नजरअंदाज न करें। 1 Finance में क्वांटिटेटिव रिसर्च के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनीमेश हार्डिया कहते हैं, “इन दोनों विकल्पों के सिक्योरिटी एंगल को जरूर देखना चाहिए। फ्रॉड की स्थिति में क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करना ज्यादा आसान होता है। क्योंकि इसमें उधार का पैसा होता है, इसलिए आर्थिक नुकसान कम होता है। बस आपको बैंक को जानकारी देकर कार्ड ब्लॉक करवाना होता है।”
हालांकि, फॉरेक्स कार्ड के मामले में पैसा वापस पाने में थोड़ा वक्त लग सकता है। हार्डिया के मुताबिक, “अगर फॉरेक्स कार्ड में फ्रॉड होता है, तो ट्रांजैक्शन को फ्रॉड साबित करने और पैसा रिकवर करने में कुछ दिन लगते हैं। हालांकि, ऐप-बेस्ड फॉरेक्स कार्ड का दूसरा कार्ड जल्दी मिल जाता है। इसके उलट, क्रेडिट कार्ड का रिप्लेसमेंट मिलने में थोड़ा वक्त लग सकता है।”