नौकरी छूटने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि कंपनी की ओर से मिला हेल्थ इंश्योरेंस आगे भी वैलिड रहेगा या नहीं। खासतौर पर तब जब कर्मचारी ने खुद के पैसे से बीमा कवर बढ़ाने के लिए टॉप-अप प्लान लिया हो।
क्या होता है कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस?
कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां अपने कर्मचारियों और कई बार उनके परिवारों को भी देती हैं। इसमें बेसिक मेडिकल कवर होता है। कई कर्मचारी बढ़ते मेडिकल खर्चों को देखते हुए इसमें टॉप-अप प्लान जोड़ लेते हैं, जिसकी प्रीमियम वो खुद चुकाते हैं।
नौकरी से निकाले जाने पर क्या होता है टॉप-अप प्रीमियम का?
Insurance Samadhan की सीओओ और को-फाउंडर शिल्पा अरोड़ा के मुताबिक, “ऐसे मामलों में बीमा कवर खत्म हो जाता है। आमतौर पर जब कर्मचारी कंपनी छोड़ता है, चाहे वो इस्तीफा हो या छंटनी, तो कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस बंद हो जाता है। टॉप-अप प्रीमियम का रिफंड भी तभी मिलता है जब पॉलिसी में मिड-टर्म कैंसलेशन की सुविधा हो।”
उन्होंने यह भी बताया कि रिफंड मिलेगा या नहीं, यह कई बातों पर निर्भर करता है—जैसे इंश्योरेंस कंपनी की रिफंड पॉलिसी, कैंसलेशन प्रोसेस और क्लेम हिस्ट्री। अगर प्रीमियम किस्तों में चुकाया गया है, तो अंतिम किश्त फुल एंड फाइनल सैलरी से काटी जा सकती है।
कर्मचारियों के पास क्या ऑप्शन हैं?
क्यों जरूरी है पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस?
ManipalCigna Health Insurance के हेड ऑफ प्रोडक्ट एंड ऑपरेशंस आशीष यादव बताते हैं कि पर्सनल मेडिकल इंश्योरेंस हमेशा जरूरी है:
कंटीन्युटी: नौकरी जाने के बाद कॉरपोरेट कवर बंद हो जाता है, जबकि पर्सनल पॉलिसी से बीमा जारी रहता है।