केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को देशभर में घरों पर सौर संयंत्र (रूफ टॉप सोलर) लगाने की नई योजना को मंजूरी दे दी है। पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के नाम से पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित इस योजना में छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए 75,021 करोड़ मंजूर किए गए हैं।
योजना के तहत एक करोड़ घरों को सौर ऊर्जा से रोशन करने का लक्ष्य रखा गया है और हर महीने उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी जाएगी। विशेष यह कि योजना के तहत 1,2 या 3 किलोवॉट तक का संयंत्र लगाने पर केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) दी जाएगी।
विशेष तौर पर यह योजना 300 यूनिट से कम बिजली खर्च करने वाले घरों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इसमें शहरी क्षेत्र के निम्न और निम्न-मध्य वर्ग के लोगों को लक्षित किया गया है।
केंद्र ने वक्तव्य में बताया, ‘इस योजना में 2 किलोवॉट के संयंत्र पर 60 प्रतिशत, जबकि 2 से 3 किलोवॉट की अतिरिक्त प्रणाली के लिए 40 प्रतिशत सीएफए उपलब्ध कराई जाएगी। हालांकि सीएफए मुहैया कराने के लिए अधिकतम सीमा 3 किलोवॉट होगी। अभी के मूल्य के अनुसार 1 किलोवॉट के सिस्टम पर 30,000 रुपये, 2 किलोवॉट पर 60,000 रुपये और 3 किलोवॉट या उससे अधिक के सिस्टम्स के लिए 78,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।’
सोलर सिस्टम लगवाने के इच्छुक लोग नैशनल पोर्टल पर सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकते हैं और इसी पोर्टल पर वेंडर का चयन भी किया जा सकता है। सरकारी बयान के मुताबिक उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा संयंत्र लगवाने के लिए सिस्टम के आकार, लाभ की गणना, वेंडर की रेटिंग आदि से संबंधित सूचना नैशनल पोर्टल पर ही मुहैया करवाई जाएगी, ताकि व्यक्ति को निर्णय लेने में आसानी होगी। उपभोक्ता 3 किलोवाट के आवासीय आरसीएस सिस्टम के लिए 7 प्रतिशत की दर से कोलेट्रल मुक्त ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकेंगे।
सरकारी ऋणदाता आरईसी लिमिटेड के तहत संचालित इस नैशनल पोर्टल से 20 बैंक व गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान जुड़े हुए हैं। ये बैंक और संस्थान उपभोक्ताओं को रूफटॉप सोलर सिस्टम के लिए ऋण मुहैया करवाएंगे। बिजली मंत्रालय ने हाल ही में बताया कि मंत्रालय के नेतृत्व में आठ सार्वजनिक उद्यमों के माध्यम से इस योजना का प्रसार कई राज्यों में किया जाएगा।
मंत्रिमंडल ने अपने फैसले में बताया कि देश के हर जिले में ‘मॉडल सौर गांव’ विकसित किया जाएगा यानी यह गांव ग्रामीण क्षेत्र में छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र अपनाने के लिए मॉडल बनेगा।
सरकारी बयान के अनुसार, ‘आवासीय क्षेत्र में रूफटॉप सोलर से 30 गीगावॉट अतिरिक्त सौर क्षमता जुड़ेगी। इससे 1000 बीयू बिजली बनेगी। इससे रूफ टॉप के 25 वर्ष की अवधि के दौरान 72 करोड़ टन कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन कम होगा।’
ग्रिड से जुड़ी भूमि पर लगी सौर ऊर्जा की तुलना में रूफ टॉप सौर ऊर्जा का प्रसार अभी कम है। देश में सौर ऊर्जा निर्माण की कुल क्षमता 73 गीगावॉट (जीडब्ल्यू) है। इसमें जमीन पर लगे सौर संयंत्रों की क्षमता 56.9 गीगावॉट है। हालांकि ग्रिड से जुड़ी रूफ टॉप सोलर क्षमता 11 गीगावाट और बिना ग्रिड वाली क्षमता 2.75 गीगावॉट ही है। बिजली मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक देशभर में 6.75 लाख घरों पर रूफटॉप सोलर संयंत्र लगे हैं।