आज के समय में क्रेडिट कार्ड बहुत काम की चीज बन चुके हैं। ये न सिर्फ आपको जरूरत के समय पैसा इस्तेमाल करने की सुविधा देते हैं, बल्कि आपके क्रेडिट स्कोर को भी बेहतर बनाते हैं। इसके अलावा जब भी आप कार्ड से खरीदारी करते हैं, तो आपको कैशबैक, रिवॉर्ड पॉइंट्स या एयर माइल्स जैसे फायदे भी मिलते हैं।
लेकिन जब महीने का क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट आता है, तो उसे पढ़ना कई बार मुश्किल लगता है। उसमें बहुत से नंबर, प्रतिशत और अलग-अलग चार्ज लिखे होते हैं, जिनसे यह पता चलता है कि आपको कुल कितना भुगतान करना है। अगर आप स्टेटमेंट को सही तरीके से समझना सीख जाएं, तो आप ज्यादा समझदारी से खर्च कर पाएंगे और बेवजह का जुर्माना या ब्याज भी बचा पाएंगे।
आइए जानते हैं, आपके क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में कौन-सी 10 चीजें सबसे जरूरी होती हैं।
यह हिस्सा आपके पूरे खर्च और लेन-देन का सार होता है। इसमें लिखा होता है कि पिछले महीने आपने कहां-कहां और कितना खर्च किया, कितना ब्याज जुड़ा, कितने चार्ज लगे और कुल कितना भुगतान करना है। इसमें आपकी क्रेडिट लिमिट, बिलिंग साइकिल की आखिरी तारीख और अगली बिलिंग साइकिल की जानकारी भी होती है। ध्यान रहे, जो खर्च स्टेटमेंट बंद होने के बाद हुआ है, वह अगले महीने के बिल में दिखेगा।
हर कार्ड की एक तय खर्च सीमा होती है, जिसे बैंक तय करता है। अगर आप नए यूजर हैं तो लिमिट थोड़ी कम मिलेगी। कोशिश करें कि कभी भी लिमिट से ज्यादा खर्च न करें, वरना आपके ऊपर अतिरिक्त चार्ज लग सकते हैं और कर्ज बढ़ सकता है।
आपके बिल में एक तय तारीख होती है, जिस तक भुगतान करना जरूरी है। अगर आप आखिरी दिन तक इंतजार करेंगे और चेक से पेमेंट करेंगे, तो पेमेंट क्लियर होने में 2-3 दिन लग सकते हैं। ऐसे में ब्याज और लेट फीस दोनों लग सकती हैं। इसलिए हमेशा ड्यू डेट से पहले ही भुगतान करना बेहतर है।
यह वह पूरी रकम है जो आपको बैंक को देनी है। इसमें आपका खर्च, ब्याज, सर्विस चार्ज, पिछले महीनों का बचा हुआ पैसा और लेट फीस सब शामिल होता है। अगर आप यह पूरा भुगतान कर देंगे तो किसी तरह का अतिरिक्त ब्याज नहीं लगेगा।
अगर आप पूरा भुगतान नहीं कर पा रहे हैं तो बैंक आपको न्यूनतम राशि चुकाने का विकल्प देता है। यह आमतौर पर कुल बकाया का 3% से 5% होता है। इसे भरने से आप लेट फीस से बच सकते हैं, लेकिन बाकी बचा पैसा फिर भी ब्याज पर चलता रहेगा। इसलिए यह विकल्प सिर्फ मजबूरी में ही इस्तेमाल करें।
कई बार आपका बिल उम्मीद से ज्यादा आता है। इसकी वजह अलग-अलग बैंक चार्ज हो सकते हैं जैसे लेट पेमेंट पेनल्टी, ब्याज, विदेशी लेन-देन शुल्क (Forex Markup), या कैश एडवांस फीस। इसलिए स्टेटमेंट को ध्यान से देखें ताकि आपको पता रहे कि कौन-सा चार्ज क्यों लगा है।
बिलिंग साइकिल खत्म होने के बाद आमतौर पर 20 से 25 दिन का समय मिलता है, जिसे ग्रेस पीरियड कहते हैं। अगर आप इस अवधि में पूरा भुगतान कर देते हैं, तो ब्याज नहीं लगता। आरबीआई के नियम के मुताबिक बैंक तभी लेट फीस लगा सकते हैं जब आपने ड्यू डेट के बाद लगातार 3 दिन तक भी भुगतान नहीं किया हो।
स्टेटमेंट में लेट पेमेंट की चेतावनी भी लिखी होती है। इसमें साफ बताया जाता है कि अगर आपने कम से कम न्यूनतम राशि भी जमा नहीं की तो आपके ऊपर लेट फीस लग जाएगी। साथ ही, लेट फीस की सही राशि भी स्टेटमेंट में दी रहती है।
क्रेडिट कार्ड से हर खरीदारी पर आपको कुछ पॉइंट्स या कैशबैक मिलते हैं। स्टेटमेंट में आपके पूरे बिलिंग साइकिल के दौरान कितने पॉइंट्स या कैशबैक बने हैं, यह जानकारी भी होती है। इन्हें समय रहते इस्तेमाल करना जरूरी है क्योंकि पॉइंट्स की एक वैलिडिटी होती है और समय पर रिडीम न करने पर ये खत्म हो जाते हैं।
स्टेटमेंट का यह हिस्सा सबसे ज्यादा अहम है। इसमें आपके सभी खर्चों की पूरी लिस्ट होती है। कब, कहां और कितना खर्च किया। इसे हमेशा ध्यान से चेक करें ताकि कोई फर्जी ट्रांजैक्शन या बैंक की गलती न रह जाए। इस आदत से आप अपने खर्चों को कंट्रोल करना भी सीखेंगे।
डिस्क्लेमर: यह लेख Groww, आदित्य बिड़ला कैपिटल और आईसीआईसीआई बैंक के ब्लॉग पोस्ट्स पर आधारित है। यह केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है, इसे वित्तीय सलाह न मानें।