सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) पर निवेशकों को आकर्षित करने के प्रयास में स्टॉक एक्सचेंजों ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और सरकार के साथ संपर्क किया है। इन स्टॉक एक्सचेंजों ने इस प्लेटफॉर्म के जरिये सामाजिक उद्यमों के लिए किए जाने वाले योगदान पर अतिरिक्त लाभ के संबंध उद्योग की मांग से बाजार नियामक और सरकार को अवगत कराया है।
एसएसई कोष उगाही (fundraising) के लिए सामाजिक हितों की दिशा में काम कर रहे संगठनों की मदद करने वाला विनियमित प्लेटफॉर्म है और शेयर बाजारों के जरिये व्यापक पूंजी तक उसकी पहुंच है। एसएसई का मकसद दानदाताओं और सामाजिक उद्यमों के लिए संपर्क आधार बनना है।
चूंकि कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (CSR) पहलों से आवंटित फंड को एसएसई ढांचे से बाहर रखा गया है, इसलिए ऐसे निवेश आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत कराधान लाभ का दावा नहीं कर पाएंगे।
एक स्टॉक एक्सचेंज के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सोशल स्टॉक एक्सचेंजों को सीएसआर के दायरे से अलग रखा गया है। इस दायरे से बाहर रहने वाले एक्सचेंजों के भी व्यावसायिक उद्देश्य होते हैं। हमने इस मुद्दे को उठाया है और उद्योग से लेकर बाजार नियामक और सरकार से प्रतिक्रिया प्राप्त की है। वे हमारी मांगों और सुझावों पर विचार करेंगे।’जहां बीएसई को अक्टूबर 2022 में एसएसई के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी, वहीं एनएसई को इस साल फरवरी में सेबी से निर्णायक मंजूरी प्राप्त हुई।
संबद्ध वेबसाइटों पर उपलब्ध आंकड़े के अनुसार, एनएसई ने एसएसई के लिए 18 संगठनों को शामिल किया है, जबकि बीएसई ने 14 को पंजीकृत किया है। पांच संगठन इन दोनों एक्सचेंजों पर पंजीकृत हुए हैं। ये पंजीकरण एक साल के लिए वैध हैं।
हालांकि एसएसई के जरिये अभी तक कोई कोष उगाही नहीं हुई है।
अधिकारी ने कहा, ‘सीएसआर गतिविधियों से जुड़े लोगों और इकाइयों ने पूछा है कि एसएसई से कौन से अतिरिक्त लाभ हासिल होते हैं। शुरुआती समस्याओं की वजह से अभी तक कोई कोष उगाही नहीं हुई है। हम इस बाजार खंड को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन एसएसई ढांचे के तहत अतिरिक्त लाभ को लेकर सवाल बने हुए हैं।’
एसएसई का प्रस्ताव सबसे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वर्ष 2019 में बजट भाषण में रखा गया था। हालांकि इस प्लेटफॉर्म को व्यापक और आसानी से स्वाकर्य बनाने की दिशा में कई अन्य चुनौतियां हैं।
कई सामाजिक उद्यम एसएसई पर पंजीकृत होने के लिए परामर्श ले रहे हैं, लेकिन उन्हें ऑडिट और अनुपालन लागत, प्रक्रियागत जटिलताओं और निवेशकों को समझाने (खासकर डेट निर्गम के बारे में) के लिए अतिरिक्त उपाय करने से जुड़ी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले साल सेबी द्वारा पेश किए गए नियमों के अनुसार, यह ढांचा सुनिश्चित करेगा कि एसएसई पर जीरो कूपन जीरो प्रिंसीपल इंस्ट्रूमेंट्स निर्गम के जरिये कोष जुटाने वाले संगठन संबद्ध सेगमेंट, रणनीति, प्रशासन, अनुपालन और सामाजिक प्रभाव का खुलासा करेंगे।
एसएसई के जरिये कोष जुटाने वाले संगठनों को न्यूनतम 3 साल के लिए चैरिटेबल ट्रस्ट के तौर पर पंजीकरण कराना होगा और वैध पैन पेश करना होगा। इन संगठनों को ऑडिटेड सालाना इम्पैक्ट रिपोर्ट भी मुहैया करानी होगी।