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₹88 तक गिर गया था ये Smallcap defence stock, अब 4 दिन में 25% उछला; छह हफ्ते में दिया 101% का तगड़ा रिटर्न

Smallcap defence stock: पिछले छह हफ़्तों में डिफेंस शेयर रॉकेट की तरह उड़ा है और निवेशकों को 101 फीसदी का तगड़ा रिटर्न दिया है।

Last Updated- September 15, 2025 | 3:28 PM IST
Defence Stock

Apollo Micro Systems Share: डिफेंस सेक्टर की कंपनी अपोलो माइक्रो सिस्टम्स के शेयरों में तेजी का सिलसिला लगातार जारी है। कंपनी के शेयर सोमवार (15 सितंबर) को छह प्रतिशत उछलकर 341.05 रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए। इसी के साथ डिफेंस सेक्टर की कंपनी के शेयरों में लगातार चौथे ट्रेडिंग सेशन में तेजी दर्ज की गई और इस दौरान यह करीब 25 फीसदी चढ़ चुके हैं।

वहीं, पिछले छह हफ़्तों में डिफेंस शेयर रॉकेट की तरह उड़ा है और निवेशकों को 101 फीसदी का तगड़ा रिटर्न दिया है। अपोलो माइक्रो सिस्टम्स के शेयर 1 अगस्त को 170 रुपये के भाव पर थे। तब से यह दोगुना से भी ज्यादा चढ़ गए हैं। जबकि 23 अक्टूबर को शेयर 52 वीक के ऑल टाइम 88.10 रुपये से भी तगड़ी वापसी की है।

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अपोलो माइक्रो सिस्टम्स के शेयर सोमवार को दोपहर 3 बजे 1.66 फीसदी चढ़कर 327.50 रुपये पर कारोबार कर रहे थे। इस दौरान सेंसेक्स 0.04% की गिरावट में था। एनएसई और बीएसई पर अपोलो माइक्रो सिस्टम्स के टोटल 2.144 करोड़ इक्विटी शेयरों का लेन-देन हुआ।

शेयर में तेजी की वजह

कंपनी की स्टेप-डाउन सहायक अपोलो स्ट्रैटेजिक टेक्नोलॉजीज (ASTPL) ने 11 सितंबर को एक अहम समझौता किया। यह समझौता अमेरिका की डायनेमिक इंजीनियरिंग एंड डिजाइन इंक के साथ हुआ है। इसके तहत BM-21 Grad ER और Non-ER रॉकेटों के लिए रॉकेट मोटर्स का टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, को-डेवेलपमेंट और संभावित लाइसेंस आधारित प्रोडक्शन किया जाएगा। यह कदम डिफेंस सेक्टर में तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया है।

डीएसईआई लंदन 2025 में यह सहयोग औपचारिक रूप से स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम के लिए प्रणोदन तकनीक का स्वदेशीकरण करना है। कंपनी समूह पहले ही 122 मिमी रॉकेट वारहेड का स्वदेशी विकास कर चुका है। अब वह जल्द ही टेस्टिंग शुरू करने और 2026 के मध्य तक पूर्ण पैमाने पर प्रोडक्शन शुरू करने की योजना बना रही है।

बता दें कि बीएम-21 ग्रैड रॉकेट ग्लोबल डिफेंस मार्केट में सबसे ज्यादा मांग वाले अनगाइडेड रॉकेटों में से एक हैं। इस पहल के साथ अपोलो ग्रुप भारत की उन निजी कंपनियों में से एक बन जाएगा जो पूरी तरह से घरेलू स्तर पर विकसित रॉकेट प्रणाली पेश करेगी। इस क्षमता से वैश्विक रक्षा सप्लाई चेन में भारत की स्थिति मजबूत होगी। साथ ही डिफेन्स प्रोडक्शन में आत्मनिर्भरता के भारत सरकार के दृष्टिकोण में योगदान मिलेगा।

डिफेंस सेक्टर आउटलुक

भारत अन्य देशों को अलग-अलग तरह के सैन्य उत्पाद प्रदान करता है। इनमें विमान, नौसेना के जहाजों के लिए प्रणालियां और मिसाइल टेक्नोलॉजी के साथ-साथ उपकरण शामिल हैं। अपोलो माइक्रो सिस्टम्स ने अपनी वित्त वर्ष 2025 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि नियामक चुनौतियों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के बावजूद, भारत के पास नए और उभरते बाजारों में उत्पाद बेचने का एक बड़ा अवसर है।

इस बीच, रक्षा मंत्रालय (MoD) ने सशस्त्र बलों के लिए सालाना लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की राजस्व खरीद को सुव्यवस्थित करने के लिए डिफेंस खरीद नियमावली (DPM) 2025 को मंज़ूरी दे दी है। संशोधित नियमावली आत्मनिर्भरता, तेज निर्णय लेने और निजी फर्मों, एमएसएमई, स्टार्ट-अप्स और डीपीएसयू की अधिक भागीदारी पर केंद्रित है।

First Published - September 15, 2025 | 3:15 PM IST

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