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शिपबिल्डिंग सेक्टर को ₹25 हजार करोड़ का मेगा बूस्ट, ब्रोकरेज ने बताया किन स्टॉक्स में दिखेगा एक्शन

Shipbuilding stocks: फिलहाल भारत का ग्लोबल शिप ओनरशिप में हिस्सा सिर्फ 1% के करीब है। लेकिन लक्ष्य है कि 2047 तक भारत इस सेक्टर में टॉप 5 देशों में शामिल हो।

Last Updated- September 25, 2025 | 2:41 PM IST
Shipbuilding stocks

Shipbuilding stocks: सरकार के बड़े ऐलान के बाद गुरुवार को बीएसई पर शिपबिल्डिंग कंपनियों के शेयरों में जोरदार तेजी देखने को मिली। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोचीन शिपयार्ड और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स के शेयरों में इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान 4 फीसदी तक चढ़ गए। यह तेजी केंद्र सरकार की तरफ से 69,725 करोड़ रुपये के शिपबिल्डिंग और मैरीटाइम सेक्टर के रिफॉर्म पैकेज को मंजूरी देने के बाद आई है। इस पैकेज का उद्देश्य इस सेक्टर की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने बुधवार को इस पैकेज को मंजूरी दी। इसमें 24,736 करोड़ रुपये की शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम शामिल है, जो जहाज के आकार और प्रकार के आधार पर 15 से 25 फीसदी तक की फाइनेंशियल सहायता प्रदान करेगी। यह योजना मार्च 2036 तक रहेगी।

इसके अलावा, पैकेज में 19,989 करोड़ रुपये की शिपबिल्डिंग डिवेलपमेंट स्कीम भी शामिल है। इसके तहत 40 फीसदी तक के शिप-ब्रेकिंग क्रेडिट नोट्स मिलेंगे जिन्हें नए जहाजों के निर्माण में भुनाया जा सकेगा। साथ ही, 25,000 करोड़ रुपये का मैरीटाइम डिवेलपमेंट फंड और 5,000 करोड़ रुपये का इंटरेस्ट इंसेंटिवाइजेशन फंड भी बनाया गया है। यह शिपयार्ड्स को मिलने वाले लोन पर 3 फीसदी तक की ब्याज सब्सिडी प्रदान करेगा।

यह भी पढ़ें: जगुआर लैंड रोवर पर साइबर हमले से टाटा मोटर्स को बड़ा झटका, शेयर 4% लुढ़का; आखिर क्या है मामला?

किन Shipbuilding Stocks को होगा फायदा?

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने शिपबिल्डिंग सेक्टर को लेकर कहा है कि सरकार की तरफ लाए गए ये रिफॉर्म्स घरेलू शिपबिल्डर्स के लिए बड़ी संभावनाएं लेकर आएंगे। इन नीतियों से फाइनेंशियल मदद, ब्याज सब्सिडी और क्रेडिट नोट मैकेनिज्म के जरिए जहाज निर्माण की लागत घटेगी। इससे भारतीय कंपनियां ग्लोबल लेवल पर ज्यादा कॉम्पिटिटिव बनेंगी। इसके अलावा, पुराने जहाजों के रिप्लेसमेंट और ग्रीन/हाइब्रिड जहाजों की बढ़ती मांग से भी डिमांड को सपोर्ट मिलेगा।

ब्रोकरेज के अनुसार, फिलहाल भारत का ग्लोबल शिप ओनरशिप में हिस्सा सिर्फ 1% के करीब है। लेकिन लक्ष्य है कि 2047 तक भारत इस सेक्टर में टॉप 5 देशों में शामिल हो। ब्रोकरेज का मानना है कि ये सुधार भारत के समुद्री ईकोसिस्टम के लिए स्ट्रक्चरल फायदे लेकर आएंगे और इसका सीधा फायदा मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, जीआरएसई, कोचीन शिपयार्ड और एलएंडटी जैसी कंपनियों को मिलेगा।

शेयर बाजार की बात करें तो कैलेंडर वर्ष 2025 में अब तक GRSE के शेयरों में 68%, मझगांव डॉक के शेयरों में 32% और कोचीन शिपयार्ड के शेयरों में 24% तक की तेजी आई है। जबकि इसी अवधि में BSE सेंसेक्स सिर्फ 4% चढ़ा है। हालांकि, जून 2025 में छूए अपने रिकॉर्ड हाई से ये सभी स्टॉक्स अब तक 24% तक गिर चुके हैं।

First Published - September 25, 2025 | 2:19 PM IST

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