Religare Enterprises: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) रिलिगेयर एंटरप्राइजेज (REL) को बर्मन फैमिली की तरफ से ओपन ऑफर के लिए आवश्यक वैधानिक मंजूरी (statutory approvals) के लिए 12 जुलाई से पहले अप्लाई करने का निर्देश दिया है।
पिछले साल सितंबर में बर्मन ग्रुप ने REL में अतिरिक्त 5.7 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था, जिससे उनकी हिस्सेदारी 26 फीसदी की लिमिट से ज्यादा हो गई और ओपन ऑफर की जरूरत पड़ गई। हालांकि, REL ने SEBI को लिखा कि अधिग्रहणकर्ता (acquirers) ‘फिट और उचित यानी fit and proper’ नहीं हैं और बोर्ड ने ओपन ऑफर के लिए अप्लाई नहीं किया।
सूत्रों के अनुसार, मार्केट रेगुलेटर रश्मि सलूजा द्वारा इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों की अलग से जांच कर रहा है और ओपन ऑफर के इस आदेश में उस मामले का कोई जिक्र नहीं किया है।
बर्मन समूह (Burman Group) ने आरोप लगाया कि रिलिगेयर बोर्ड और उसकी चेयरपर्सन रश्मि सलूजा ओपन ऑफर में रुकावट डाल रहे थे, जबकि सलूजा ने शिकायत की थी कि बर्मन फैमिली अधिग्रहण के लिए ‘फिट और उचित’ नहीं थी।
SEBI ने कहा कि REL ने कथित अनियमितताओं को साबित करने वाले कोई डॉक्यूमेंट या सबूत नहीं दिए हैं।
SEBI ने कहा, ‘शेयरहोल्डर्स द्वारा उक्त अधिकार के प्रयोग को टारगेट कंपनी के मौजूदा मैनेजमेंट के डिजाइनों के लिए बंधक नहीं बनाया जा सकता है, खासकर ऐसे मामलों में जहां मौजूदा मैनेजमेंट स्पष्ट रूप से अधिग्रहण करने वालों के प्रति दुश्मनी जैसा व्यवहार कर रहा हो और अधिग्रहण की सुविधा में हितों के टकराव का सामना करना पड़ रहा हो।
मार्केट रेगुलेटर ने कहा, ‘नियंत्रण में प्रस्तावित बदलाव के कारण अधिग्रहणकर्ताओं द्वारा शेयरों/नियंत्रण को ओपन ऑफर में लाया जाएगा।’
नियम केवल कंपनी को ओपन ऑफर के लिए आवेदन करने और किसी यूनिट की हिस्सेदारी 26 फीसदी लिमिट से पार होने पर मौजूदा शेयरहोल्डर्स को एग्जिट का विकल्प देने की अनुमति देते हैं। हालांकि, SEBI के अनुसार, REL नौ महीने से ज्यादा समय से अप्लाई करने में फेल रहा है।
SEBI ने रेलिगेटर एंटरप्राइजेज को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI), और SEBI से मंजूरी के लिए अप्लाई करने का निर्देश दिया है।
SEBI ने 31 मई को REL बोर्ड को पत्र भेजकर उन्हें 15 दिनों के भीतर ओपन ऑफर के लिए आवेदन करने के लिए कहा था। हालांकि, 10 जून को REL बोर्ड ने जवाब में कहा कि SEBI का लेटर अनवारंटेड और बिना अधिकार क्षेत्र के (without jurisdiction) था।
SEBI ने इसका जवाब देते हुए अपने आदेश में कहा, ‘जहां एक अधिकार है, वहां एक उपाय भी होना चाहिए। अगर विभिन्न हितधारकों (stakeholders), सबसे ऊपर निवेशकों के अधिकारों के प्रवर्तन (enforcement) के लिए उपाय नहीं किए जाते हैं, तो SEBI अपनी जिम्मेदारियों में फेल होगा।’
SEBI ने कहा कि फिट और उचित मानदंड के संबंध में आरोपों पर रेगुलेटर द्वारा तब विचार किया जाएगा जब ओपन ऑफर के लिए आवेदन किया जाएगा।
सेबी ने आदेश के साथ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। कारण बताओ नोटिस में इसने REL बोर्ड से यह भी पूछा है कि उनके खिलाफ कथित आरोपों के लिए कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।