बाजार में तेजी के बाद भी कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली छमाही के दौरान इक्विटी बाजारों द्वारा हासिल रिटर्न नरम रहा। सेंसेक्स ने 5.1 प्रतिशत रिटर्न दिया, जबकि निफ्टी ने समान अवधि में 4.8 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की। प्रमुख सूचकांकों ने अच्छी तेजी दर्ज की है। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांकों ने 12.7 प्रतिशत ओर 10.9 प्रतिशत की तेजी दर्ज की।
वर्ष की शुरुआत डेट योजनाओं में ऊंचे रिटर्न की वजह से प्रतिकूल रिस्क-रिवार्ड अनुपात से जुड़ी चिंताओं के साथ हुई।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) शुद्ध बिकवाल रहे, क्योंकि चीन में हालात सामान्य होने से पूंजी प्रवाह भारत के बजाय चीन की ओर स्थानांतरित हुआ। 2023 के पहले दो महीनों में, FPI ने 35,229 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे, जिससे बाजारों में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट को बढ़ावा मिला। अमेरिकी निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अदाणी समूह के खिलाफ रिपोर्ट जारी की थी जिससे निवेशकों के बीच चिंताएं बढ़ गई थीं। इसके अलावा, विकसित दुनिया में बैंकिंग संकट और ऊंची मुद्रास्फीति बरकरार रहने के बीच केंद्रीय बैंक नीतियों से जुड़ी अनिश्चितता से वर्ष की शुरुआत के दौरान धारणा प्रभावित हुई।
वर्ष 2023 की पहली तिमाही के दौरान, भारतीय बाजारों में करीब 4 प्रतिशत की गिरावट आई और वे खराब प्रदर्शन करने वाले प्रमुख बाजारों में शुमार रहे। चीन के शेयर बाजारों में करीब 6 प्रतिशत की तेजी आई।
हालांकि घरेलू शेयरों में दूसरी छमाही के दौरान बड़ा बदलाव देखने को मिला, क्योंकि चीन को विकल्प के तौर पर देख रहे एफपीआई ने आशाजनक आर्थिक एवं आय वृद्धि परिदृश्य के बीच भारत में बड़ा निवेश किया। इससे भारत के प्रदर्शन में बदलाव आया। वहीं सकारात्मक तिमाही आंकड़ों और मजबूत वृहद आर्थिक आंकड़ों, मुद्रास्फीति में गिरावट और कुछ अन्य समस्याएं घटने से धारणा सकारात्मक होने लगी। पहली छमाही के दौरान, एफपीआई के साथ साथ म्युचुअल फंडों, दोनों ने करीब 62,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी की।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट ने कहा, ‘FPI पूंजी निवेश से बाजारों को मजबूत बने रहने में मदद मिली है। पूंजी प्रवाह इस भरोसे पर आधारित है कि भारत वैश्विक मंदी का मुकाबला करने में कामयाब रहा है। अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है, और सभी संबद्ध आंकड़ों में सुधार आ रहा है।’
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भारतीय रिजर्व बैंक के साथ साथ अमेरिकी फेडरल रिजर्व, दोनों द्वारा ब्याज दर वृद्धि पर विराम लगाए जाने से भी जोखिम से भरी परिसंपत्तियों के लिए दिलचस्पी बढ़ी है।
लीपर रिसर्च के वैश्विक प्रमुख रॉबर्ट जेनकिंस का मानना है, ‘अच्छी बात यह है कि फेड के कदमों से प्रगति का संकेत दिखा है, क्योंकि अमेरिका में मुद्रास्फीति चरम पर पहुंच गई थी और 2023 में इसमें धीरे धीरे कमी आई है। निवेशकों ने इसे सकारात्मक तौर पर लिया है। इससे दीर्घावधि दरों में मामूली कमी लाने में मदद मिली और शेयरों और अच्छी गुणवत्ता के बॉन्डों के लिए निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी।’
कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली छमाही खासकर अमेरिकी और जापानी शेयरों के लिए अच्छी रही। टेक्नोलॉजी पर केंद्रित नैस्डैक करीब 30 प्रतिशत चढ़ा, जबकि एसऐंडपी 500 में 14 प्रतिशत की तेजी आई। इसके अलावा, ताइवान और दक्षिण कोरिया के बाजारों में भी करीब 20 प्रतिशत और 15 प्रतिशत की तेजी आई, क्योंकि नए जमाने के शेयरों में निवेश से जुड़ा थीम वैश्विक रूप से लोकप्रिय हुआ है। जापानी बाजार भी शानदार प्रदर्शन में सफल रहे और निक्केई 225 करीब 33 वर्षों में 27 प्रतिशत की तेजी दर्ज कर अपना सर्वाधिक ऊंचा स्तर बनाने में कामयाब रहा।
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घरेलू बाजारों द्वारा अर्जित रिटर्न उसके कुछ वैश्विक समकक्षों से तुलनात्मक है। विश्लेषकों का कहना है कि वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान रिटर्न निचले स्तरों से आई तेजी के बाद अब कुछ नरम पड़ सकता है। निफ्टी 2023 के निचले स्तरों से 12 प्रतिशत ऊपर आया है। निफ्टी स्मॉलकैप 100 में समान अवधि में करीब 24 प्रतिशत और निफ्टी मिडकैप 100 में 21 प्रतिशत की तेजी आई है।
अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में, CLSA ने सतर्क रुख अपनाया है।