दिवालिया कंपनी रिलायंस कैपिटल के लगभग 99 प्रतिशत कर्जदाताओं ने हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनैशनल होल्डिंग्स (IndusInd International Holdings) की समाधान योजना के पक्ष में वोटिंग की है। इस समाधान योजना में रिलायंस कैपिटल को 9,961 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।
हिंदुजा के पक्ष में वोटिंग गुरुवार को की गई। रिलायंस कैपिटल के बहीखाते में कुछ नकदी पहले से ही पड़ी है और हिंदुजा के ऑफर के बाद जो पैसे मिलेंगे उससे दिवालिया कंपनी की झोली में 10,200 करोड़ रुपये आ जाएंगे। बैंकिंग सूत्रों ने कहा कि कंपनी के खाते में कुल 16,000 करोड़ रुपये का कर्ज है जिसमें से 65 फीसदी कर्ज पैसे मिलने के बाद चुकाया जा सकेगा।
एक सूत्र ने बताया कि रिलायंस कैपिटल इनसॉल्वेंसी एडमिनिस्ट्रेटर अगले हफ्ते हिंदुजा कंपनी की समाधान योजना को नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) मुंबई में दाखिल करने की योजना बना रहा है।
बता दें कि कर्जदाताओं की तरफ से रिलायंस कैपिटल के लिए दूसरी नीलामी आयोजित की गई थी जिसके बाद अहमदाबाद स्थित फर्म टोरेंट (Torrent) ने सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जताते हुए याचिका दायर कर दी थी। ऐसे में समाधान योजना के तहत दोनों (रिलायंस कैपिटल और हिंदुजा) कंपनियों के बीच में ट्रांजैक्शन सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा।
पिछले दिसंबर में हुई पहली नीलामी में टोरेंट 8,640 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ रिलायंस कैपिटल के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी थी।
कभी अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस कैपिटल को 24,000 करोड़ रुपये के कर्ज पर चूक के बाद नवंबर 2021 में कर्ज समाधान के लिए भेजा गया था। शुरुआत में कई कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई लेकिन उनमें से ज्यादातर ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि वे इसे कितने में खरीदेंगी।
Also read: Go first की उड़ानों को फिर शुरू करने के तैयारी, रिवाइवल प्लान का परीक्षण करेगा डीजीसीए
हिंदुजा ग्रुप का ऑफर रिलायंस कैपिटल के 13,000 करोड़ रुपये के परिसमापन मूल्य (liquidation value) से काफी नीचे है। हिंदुजा के इस ऑफर से सभी कर्जदाताओं को बराबर राशि दी जाएगी। ऐसा इस उम्मीद से किया जा रहा है कि कर्जदाताओं के बीच आपसी विवाद कम रहे और एक आसान समाधान प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।
एक बैंकर ने कहा कि उन्हें जुलाई के मध्य तक राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में समाधान योजना जमा करके पूरी प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है।
Also read: Senco Gold IPO: 405 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए प्राइस बैंड हुआ फिक्स
Torrent के एक सूत्र ने कहा कि उसने दूसरी नीलामी में इसलिए हिस्सा नहीं लिया क्योंकि प्रक्रिया पर कोई स्पष्टता नहीं थी और इसकी चिंताओं का समाधान नहीं किया गया था। रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं की समिति (CoC) को लिखे पत्र में टोरेंट ने दूसरी नीलामी की ‘अवैध’ करार दिया।
रिलायंस कैपिटल का रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस (Reliance Nippon Life Insurance) में 51 फीसदी और रिलायंस निप्पॉन जनरल इंश्योरेंस में 100 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके साथ ही शेयर ब्रोकिंग फर्म रिलायंस सिक्योरिटीज (Reliance Securities) , परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एसेट कंस्ट्रक्शन कंपनी), स्वास्थ्य बीमा कंपनी में हिस्सेदारी के अलावा इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज में 20 फीसदी हिस्सेदारी है। इनमें से दोनों बीमा कंपनियां मुनाफे में हैं। हिंदुजा की पहले से ही वित्तीय सेवा क्षेत्र में मौजूदगी है। इसका इंडसइंड बैंक और हिंदुजा लीलैंड फाइनैंस (Hinduja Leyland Finance) में हिस्सेदारी है। समूह का आवास वित्त कारोबार में भी दखल है।