कोयला मंत्रालय बुधवार को नई दिल्ली में कमर्शियल कोयला खदानों की 14वीं नीलामी प्रक्रिया शुरू करेगा। इस दौर की सबसे खास बात यह है कि इसमें पहली बार अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन (UCG) के प्रावधान शामिल किए जा रहे हैं। केंद्रीय कोयला और खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। यह कदम कोयला क्षेत्र में निजी भागीदारी को और बढ़ाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल है।
मंत्रालय ने कहा कि इस नई नीलामी दौर में पूरी तरह से खोजी गई (fully explored) और आंशिक रूप से खोजी गई (partially explored) दोनों तरह की कोयला खदानें पेश की जाएंगी, ताकि अधिक से अधिक निवेशकों — खासकर नई और तकनीक आधारित कंपनियों — को आकर्षित किया जा सके।
अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन (UCG) को शामिल करने का मकसद भारत के उन गहराई में स्थित कोयला भंडारों का दोहन करना है, जिन्हें पारंपरिक खनन (conventional mining) तरीकों से निकाला नहीं जा सकता। मंत्रालय ने कहा कि यह कदम देश की आयातित प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा और निवेश व तकनीकी विकास के नए रास्ते खोलेगा।
2020 में शुरू की गई कमर्शियल कोयला खदान नीलामी प्रक्रिया को प्रतिस्पर्धा और घरेलू उत्पादन बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है।
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नीलामी प्रक्रिया के साथ ही मंत्रालय दो नए डिजिटल प्लेटफॉर्म — कोल लैंड एक्विजिशन, मैनेजमेंट एंड पेमेंट (CLAMP) पोर्टल और कोयला शक्ति डैशबोर्ड — भी लॉन्च करेगा।
CLAMP पोर्टल का उद्देश्य कोयला सेक्टर में काम करने वाली सरकारी कंपनियों में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाना है। इससे रियल-टाइम डेटा शेयरिंग और मॉनिटरिंग संभव हो सकेगी।
वहीं, कोयला शक्ति डैशबोर्ड को पूरी कोयला वैल्यू चेन (Coal Value Chain) — यानी खनन से लेकर परिवहन तक — को एकीकृत करने के लिए तैयार किया गया है, ताकि कोयला कंपनियों, रेल मंत्रालय और बंदरगाहों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सके।
मंत्रालय ने कहा कि ये सभी पहलें भारत के कोयला सेक्टर में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही हैं। इन कदमों से सरकार के ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता (self-reliance in energy production) के लक्ष्य को भी मजबूती मिलेगी।