भारतीय शेयर बाजार में हफ्ते के अंतिम कारोबारी सत्र में भारी उतार-चढ़ाव हुआ। शुक्रवार को निफ्टी50 कारोबार के दौरान नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, लेकिन इसके बाद मुनाफावसूली की वजह से यह धराशायी हो गया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, लार्सन ऐंड टुब्रो, एचडीएफसी बैंक जैसे दिग्गज शेयरों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने तेज बिकवाली की और इसका बाजार पर गहरा असर पड़ा। निफ्टी ने आज 22,795 का नया रिकॉर्ड ऊंचा स्तर बनाया, हालांकि इसकी तेजी बरकरार नहीं रह पाई। कारोबार के अंत में यह 172 अंक या 0.76 फीसदी टूटकर 22,476 पर बंद हुआ। साप्ताहिक आधार पर देखें तो निफ्टी में 0.4 फीसदी की तेजी रही।
सेंसेक्स में कारोबार के दौरान 1,627 अंकों का भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 733 अंक या 0.98 फीसदी टूटकर 73,878 पर बंद हुआ। बीएसई के बाजार पूंजीकरण को शुक्रवार को कुल मिलाकर 2.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और यह घटकर 406 लाख करोड़ रुपये रह गया। इसके पिछले सत्र में बाजार पूंजीकरण अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि लोक सभा चुनाव, आर्थिक अनिश्चितताओं और अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर आए अनुमान की वजह से एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं और कंपनियों के नतीजों को लेकर बेचैनी की वजह से बाजार में हलचल बढ़ रही है।
उतार-चढ़ाव को मापने वाला सूचकांक इंडिया वीआईएक्स लगातार सातवें सत्र में बढ़ा है और यह 8.7 फीसदी बढ़कर 14.6 पर पहुंच गया। पिछले दो महीने में यह सूचकांक का सबसे ऊंचा बंद स्तर है। शुक्रवार को एफपीआई ने करीब 2,392 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘ऐतिहासिक ऊंचाई पर हमेशा कुछ घबराहट होती है और लोग इस पर नजर रखते हैं कि कौन बाहर जा रहा है। परेशानी का शुरुआती संकेत मिलते ही लोग मुनाफावसूली कर लेना चाहते हैं। पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ रहा है और अमेरिका में महंगाई बढ़ रही है। इस हफ्ते बाजार के लिए राहत की बात सिर्फ यह रही कि फेड ने ब्याज दरों में फिलहाल किसी तरह की बढ़त का संकेत नहीं दिया। अगर अमेरिका में ब्याज दरें ऊंची बनी रहती हैं तो उभरते बाजारों में एफपीआई की रुचि को लेकर जोखिम बना रहेगा।’
सेंसेक्स की गिरावट में आधा से ज्यादा योगदान रिलायंस इंडस्ट्रीज, लार्सन ऐंड टुब्रो और एचडीएफसी बैंक का रहा। जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘आगे की बात करें तो आने वाले तिमाही नतीजे का सीजन निवेशकों के लिए अपने पोर्टफोलियो में बदलाव के लिए प्रमुख कारक हो सकता है।
बाजार भी बीओई नीति और यूरोजोन से आने वाले जीडीपी आंकड़ों को लेकर सचेत रहेगा। हमें उम्मीद है कि महंगे मूल्यांकन और चुनाव संबंधी किसी घबराहट की वजह से बाजार में कुछ मजबूती आ सकती है। भट्ट ने कहा कि जब तक वृहद अर्थव्यवस्था के थपेड़ों में कमी नहीं आती बाजार दायरे में ही रह सकता है।
भट्ट ने कहा, ‘अगर चुनाव नतीजे बाजार के अनुमानों के मुताबिक ही रहते हैं, तो बाजार में उछाल देखी जा सकती है। लेकिन नतीजों के बाद इसमें गिरावट आ सकती है, क्योंकि उसके बाद कोई ट्रिगर नहीं बचा होगा।’
बाजार में कुल मिलाकर कमजोरी ही हावी रही और बढ़ने वाले 1,421 शेयरों के मुकाबले 2,411 शेयरों में गिरावट आई।