Madhabi Puri buch and Dhaval Buch joint statement: भारत के मार्केट रेगुलेटर सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच ने आज यानी 11 अगस्त को हिंडनबर्ग की तरफ से लगे आरोपों पर संयुक्त बयान जारी किया है। हिंडनबर्ग ने कल बुच पर आरोप लगाया था कि माधबी पुरी बुच का उन ऑफशोर एंटिटीज में शेयर था, जिसका कनेक्शन अदाणी ग्रुप से था। जिसकी वजह से बुच ने अदाणी ग्रुप पर पहले लगाए गए आरोपों की निष्पक्षता से जांच नहीं की।
इसके बाद आज माधबी और धवल का संयुक्त बयान आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने का प्रयास कर रहा है, इसके चेयरपर्सन (बुच) के चरित्र का हनन कर रहा है।
बुच दंपती ने कहा, IIFL वेल्थ मैनेजनेंट फंड में निवेश माधुवी पुरी बुच के SEBI के चेयरपर्सन यानी चीफ बनने से दो साल पहले 2015 में किया गया था। उन्होंने कहा कि IIFL वेल्थ मैनेजमेंट के एक फंड में उनका निवेश सिंगापुर स्थित निजी नागरिक ((private citizens) के रूप में किया गया था।
बता दें कि 360-One WAM एक एसेट और वेल्थ मैनेजमेंट फर्म है। इसे ही पहले आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट (IIFL Wealth Management) के नाम से जाना जाता था। IIFL ने आज सेबी चेयरपर्सन के बयान आने से पहले अपने बयान जारी करते हुए खुलासा किया है और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के खारिज कर दिया है।
360 One WAM ने कहा कि आईपीई-प्लस फंड 1 (IPE-Plus Fund 1) में माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच का निवेश था मगर IPE-Plus Fund 1 ने फंड के टेन्योर के दौरान डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से अदाणी ग्रुप के किसी भी शेयर में कोई निवेश नहीं किया था। साथ ही IIFL ने यह भी कहा है कि फंड में माधबी बुच और धवल बुच की हिस्सेदारी फंड के कुल फ्लो की 1.5 प्रतिशत से भी कम थी। ज्यादा जानकारी के लिए क्लिक करें
सेबी की चेयरपर्सन बुच ने आज संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च को कई उल्लंघनों के लिए नोटिस दिया गया। दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह नोटिस का जवाब नहीं दे रहा, बल्कि सेबी की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है।
बुच के बयान में कहा गया कि धवल बुच के बचपन के दोस्त अनिल आहूजा की सलाह पर बुच दंपती ने दो फंडों में निवेश करने का फैसला किया था। बुच ने आहूजा के सलाह पर फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्होंने स्कूल से लेकर IIT दिल्ली तक साथ पढ़ाई की थी। इसके आलावा, आहूजा ने सिटीबैंक, जे.पी. मॉर्गन और 3आई ग्रुप पीएलसी (3i Group plc) के पूर्व कर्मचारी के रूप में काम कर रहे थे और उनके पास कई दशकों का मजबूत अनुभव था।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट कहती है कि अनिल आहूजा मॉरीशस स्थित IPE Plus Fund के फाउंडर और मुख्य निवेश अधिकारी (CIO) हैं और अदाणी ग्रुप ने भी अपने बयान में कहा था कि वह अदाणी पावर (2007-2008) में 3आई इन्वेस्टमेंट फंड (3i Investment Fund) के नॉमिनी थे और जून 2017 तक नौ वर्षों के तीन कार्यकाल के लिए अदाणी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर भी थे।
आहूजा को लेकर बुच दंपती ने कहा है कि फंड ने कभी भी अदाणी समूह की किसी कंपनी के बॉन्ड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया।
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन पर ब्लैकस्टोन की मदद करने के लिए रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REIT) में सुधारों का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। बता दें कि मौजूदा समय में धवल बुच ब्लैकस्टोन के साथ काम करते हैं।
इस पर बुच दंपती ने संयुक्त बयान में कहा कि धवल बुच का प्रमुख निजी इक्विटी कंपनी ब्लैकस्टोन के रियल एस्टेट सेगमेंट से कोई संबंध नहीं है। माधवी जब 2017 में SEBI के होलटाइम मेंबर बनीं तो उसके तुरंत बाद उनकी दो कंसल्टिंग कंपनियां निष्क्रिय (dormant) हो गईं।
बयान में आज बुच ने कहा कि 2019 से ब्लैकस्टोन के सीनियर एडवाइजर रहे धवल प्राइवेट इक्विटी दिग्गज कंपनी के रियल एस्टेट साइड से जुड़े ही नहीं हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि धवल की नियुक्ति के तुरंत बाद, ब्लैकस्टोन समूह को सेबी के पास रखी माधबी की “अलगाव सूची” (recusal list) में जोड़ दिया गया था।
बुच ने कहा कि अगर रियल एस्टेट को लेकर कोई भी मंजूरी सेबी की तरफ से मिली है तो उसे सिर्फ चेयरपर्सन नहीं दे सकता। उस फैसले को लेकर पूरे बोर्ड से मंजूरी ली जाती है।
हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, ‘IIFL में एक प्रधान के हस्ताक्षर वाले फंड की घोषणा में कहा गया है कि निवेश का सोर्स ‘वेतन’ है और दंपति की कुल संपत्ति एक करोड़ अमेरिकी डॉलर आंकी गई है।’
इस पर बुच दंपती ने बयान दिया, ‘माधबी IIM अहमदाबाद की पूर्व छात्रा हैं और उनका बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विस में दो दशकों से अधिक का कॉर्पोरेट करियर रहा है। मुख्य रूप से ICICI Grroup में। धवल बुच IIT दिल्ली के पूर्व छात्र हैं और उनका भारत में हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) में और फिर ग्लोबल लेवल पर यूनिलीवर में इसकी सीनियर मैनेजमेंट टीम के हिस्से के रूप में 35 साल का कॉर्पोरेट करियर रहा है। इस लंबी अवधि के दौरान, माधबी और धवल ने अपने वेतन, बोनस और स्टॉक ऑप्शन्स के माध्यम से अपनी बचत जुटाई है। माधबी के वर्तमान सरकारी वेतन का संदर्भ देते हुए उनकी नेटवर्थ और निवेश के बारे में आरोप दुर्भावनापूर्ण और प्रेरित हैं।’
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑफशोर फंड में निवेश 2015 में किया गया था। इस पर बुच ने आगे लिखा, ‘2010 से 2019 तक, धवल लंदन और सिंगापुर में रहे और काम किया – दोनों यूनिलीवर (HUL) के साथ। 2011 से मार्च 2017 तक, माधबी सिंगापुर में रहीं और काम किया, शुरुआत में एक प्राइवेट इक्विटी फर्म के कर्मचारी के रूप में और बाद में एक एडवाइजर के रूप में।’
ऐसे में बुच का कहना है कि IIFL वेल्थ मैनेजनेंट फंड में निवेश माधबी पुरी बुच के SEBI के चेयरपर्सन यानी चीफ बनने से दो साल पहले 2015 में किया गया था। IIFL वेल्थ मैनेजमेंट के एक फंड में उनका निवेश सिंगापुर स्थित निजी नागरिक (private citizens) के रूप में किया गया था। उसके दो साल बाद वे सेबी की मेंबर बनीं। इसलिए हिंडनबर्ग के आरोप का कोई औचित्य नहीं बनता।