भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने डेरिवेटिव सेगमेंट में निवेशकों के जुनून को रोकने के लिए कदम उठाए हैं। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्वनी भाटिया ने खुदरा निवेशकों को आगाह किया कि ‘वायदा और विकल्प (F&O) मन बहलाने का देशव्यापी साधन नहीं हो सकता।’
यहां 14वीं मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए भाटिया ने कहा कि वैश्विक तौर पर एफऐंडओ के कारोबार में भारत की सर्वाधिक भागीदारी है लेकिन यह ऐसी उपलब्धि है जिसे हम नहीं चाहते।
भाटिया ने कहा, ‘एक कहावत है कि जिसके सिर पर ताज होता है, वह परेशान रहता है। वैश्विक स्तर पर एफऐंडओ की सबसे बड़ी कारोबारी मात्रा भारत में होती है। वैश्विक रूप से एफऐंडओ के कारोबार में भारत का सर्वाधिक योगदान है। हम नंबर वन हैं और वैश्विक रूप से भी 50 प्रतिशत से ज्यादा एफऐंडओ कारोबार भारत में ही होता है। यह ऐसा ताज है जिसे हम नहीं सजाना चाहते। एफएंडओ मन बहलाने का राष्ट्रीय तरीका नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए, जिसका वास्तव में मतलब है कि खुदरा प्रतिभागियों की बचत संस्थागत हाथों की जेबों में चली जाती है।’
इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए बाजार नियामक के ताजा 6 उपायों का मकसद अनुबंध आकार बढ़ाकर और इंडेक्स ऑप्शन के साप्ताहिक अनुबंधों की संख्या घटाकर रिटेल भागीदारी घटाना है। इनमें से ज्यादातर उपायों पर 20 नवंबर से अमल शुरू होगा।
हालांकि, उन्होंने म्युचुअल फंड क्षेत्र और प्रतिभूति बाजार के माध्यम से संपदा सृजन में अधिक खुदरा भागीदारी की अपील की। साथ ही निवेशकों को अधिक जागरुक बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। पूर्णकालिक सदस्य ने रिटेल निवेशकों से आईपीओ ला रहे एसएमई की गुणवत्ता को लेकर भी सतर्क रहने को कहा।
बाजार नियामक द्वारा पात्रता मानदंड, खुलासा जरूरतों, प्रक्रिया में मानकीकरण और मध्यस्थों का दायित्व मजबूत करने के कदमों पर परामर्श पत्र जारी करने की उम्मीद है। भाटिया ने कार्यक्रम के दौरान अनौपचारिक रूप से कहा कि परामर्श पत्र इसी महीने जारी कर दिया जाएगा।
सेबी के अधिकारी ने कहा, ‘हम जो हालात देख रहे हैं वे परेशान करने वाले हैं। जिस तरह से खुदरा भागीदारी हो रही है (एसएमई आईपीओ में), जिस तरह से आईपीओ ओवरसब्सक्राइब हो रहे हैं, जिस तरह से मार्केट मेकिंग होती है, जिस तरह से अंडरराइटिंग होती है और जाहिर है कि जो कुछ हो रहा है, उसे लेकर हम बहुत सहज महसूस नहीं करते हैं।’
भाटिया ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में डेट निर्गम में सालाना आधार पर करीब 18 प्रतिशत तेजी देखी गई और इस वित्त वर्ष में अब तक करीब 5 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। पिछले साल डेट निर्गमों के जरिये जुटाई गई कुल पूंजी 8.6 लाख करोड़ रुपये थी। उन्होंने ज्यादा संख्या में म्युनिसिपल बॉन्ड जारी किए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया, जिसके लिए नगरपालिकाओं को आगे आना होगा तथा डबल एंट्री वाली बहीखाता प्रणाली अपनानी होगी।