पूरे भारतीय इक्विटी बाजार में सूचकांक (Indices) पिछले कुछ कारोबारी सत्रों में छोटी मोटी गिरावट से जूझने से पहले अपनी नई रिकॉर्ड ऊंचाइयों को छूने में सफल रहे। NSE के निफ्टी ने पिछले एक साल में करीब 20 प्रतिशत, मिडकैप ने 33 प्रतिशत, स्मॉलकैप ने 31 प्रतिशत, और माइक्रोकैप ने 44 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की है। कई कारकों की वजह से यह तेजी दर्ज की गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दर वृद्धि पर विराग लगाए जाने से कुछ राहत मिली है। आर्थिक सुधार के संकेत बने हुए हैं, भले ही कर-बाद मुनाफा वृद्धि में सुस्ती आई है, राजस्व वृद्धि लगातार मजबूत दिख रही है। ज्यादातर कॉरपोरेट अनुमान आशाजनक हैं। मुद्रास्फीति में कुछ हद तक नरमी आई है, मुख्य तौर पर कच्चे तेल और गैस की कीमतें पिछले पांच-छह महीने से नरम पड़ी हैं। व्यापार घाटा भी कम हुआ है।
लेकिन अभी भी बाजार की चाल को लेकर कुछ आशंकाएं बनी हुई हैं।
RBI गवर्ननर ने बार बार यह चेतावनी दी है कि यदि मुद्रास्फीति स्वीकार्य स्तरों से ऊपर जाती है तो केंद्रीय बैंक दरें फिर से बढ़ा सकता है। इसके अलावा, रूस में ताजा घटनाक्रम से कच्चे तेल और गैस कीमतों में आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका में तेजी आ सकती है, जिससे मुद्रास्फीति की चाल बदल सकती है।
वित्त वर्ष 2024 में, फिलहाल संस्थागत और खुदरा निवेशकों का रुख अनुरूप रहा है, हालांकि आंकड़ों से कुछ दिलचस्प रुझानों का खुलासा हुआ है।
डायरेक्ट रिटेल खरीदारी में तेजी आई है, माइक्रो-कैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में खुदरा निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी से मदद मिली है और खासकर माइक्रो-कैप को संस्थागत समर्थन का अभाव दिखा है। हालांकि अप्रैल और मई में इक्विटी फंडों में म्युचुअल फंड (MF) प्रवाह सिर्फ 9,720 करोड़ रुपये रहा। यह सामान्य से कम है, हालांकि कुछ हद तक सकारात्मक है।
घरेलू संस्थागत निवेशकों (MF को छोड़कर) ने अप्रैल-जून में 4,933 करोड़ रुपये की शुद्ध इक्विटी खरीदारी की। वहीं मार्च 2023 में घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 30,548 करोड़ रुपये की खरीदारी की।
तेजी के बाजार का बड़ा वाहक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) का प्रवाह रहा है। 2022-23 में 37,632 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली के बाद, उन्होंने वित्त वर्ष 2024 में 86,133 करोड़ रुपये की खरीदारी की। उम्मीद है कि FPI की दिलचस्पी बनी रहेगी, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी दर वृद्धि पर विराम लगा दिया है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था को चीन से राहत मिल सकती है, जो नीतिगत दरों में कटौती कर रहा हैऔर तरलता की राह आसान बना रहा है। जहां तक भूराजनीतिक उतार-चढ़ाव से बाजारों पर प्रभाव पड़ने का सवाल है, तो रूस में हालात एक बार फिर से अनिश्चित हो गए हैं।
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तकनीकी तौर पर, व्यापक बाजार पूंजीकरण (mcap) वाले सूचकांक अपने 200-दिन के मूविंग एवरेज (DMA) से ऊपर कारोबार कर रहे हैं, जिससे दीर्घावधि तेजी के रुझान का संकेत मिलता है। हालांकि सूचकांक अपने अल्पावधि मूविंग एवरेज (जैसे 20-डीएमए) से नीचे हैं।
निफ्टी को 18,575 (200-DMA स्तरों) और फिर 18,300 पर समर्थन हासिल है। यदि यह स्तर टूटा तो अगला समर्थन 18,000 के आसपास मिलेगा।
मई में, निफ्टी रियल्टी और निफ्टी हेल्थकेयर अच्छा प्रदर्शन करने वालों में शामिल रहे। पिछले साल में, निफ्टी FMCG और निफ्टी PSU बैंक सूचकांकों ने शानदार प्रदर्शन किया। पिछले साल सिर्फ निफ्टी मीडिया इंडेक्स ने मामूली नुकसान दर्ज किया। निफ्टी मेटल और निफ्टी ऑटो पिछले महीने में मजबूत हुए, क्योंकि निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में तेजी आई। मूल्यांकन ऐतिहासिक स्तरों के लिहाज से उचित दिख रहे हैं।
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सकारात्मक संस्थागत प्रवाह और मजबूत रिटेल धारणा को देखते हुए तेजी की रफ्तार अल्पावधि गिरावट के बाद भी बनी रह सकती है। लेकिन यदि FPI धारणा में बदलाव आता है या DII शुद्ध बिकवाल बनते हैं तो चुनौती पैदा हो सकती है।
यदि ऐसा होता है तो वित्त वर्ष 2024 तक, म्युचुअल फंड प्रवाह FPI की भारी बिकवाली की भरपाई करने के लिहाज से अपर्याप्त है। यदि निफ्टी 18,000 के स्तर से नीचे गया तो उसमें बड़ी गिरावट देखी जा सकती है।