देश के पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र से अहमदाबाद की नजदीकी की वजह से इस शहर को शेयर बाजार की गतिविधियों का बड़ा केंद्र बनने में मदद मिली है। दोनों बाजारों में सौदों की कुल वैल्यू में अहमदाबाद की भागीदारी लगातार तीसरे साल दो अंक में रहने की संभावना है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर यह भागीदारी वित्त वर्ष 2025 के दिसंबर तक 16.9 फीसदी तक थी जो वित्त वर्ष 2020 में महज 1.7 प्रतिशत थी। बीएसई के कुल कारोबार में यह बढ़कर 25.3 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 2020 में मात्र 2.2 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के बुलेटिनों से जुटाया गया है। शहर की पहचान निवेशकों के विशिष्ट क्लाइंट कोड और उनके लोकेशन से जुड़े डेटा के आधार पर की जाती है।
अहमदाबाद इस वजह से मुंबई के बाद मूल्य के लिहाज से शेयर बाजार गतिविधियों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत बन गया है। वित्त वर्ष 2025 में एनएसई (वित्त वर्ष 2016 में 59.2 प्रतिशत) पर कुल कारोबार में मुंबई का योगदान 63.6 प्रतिशत और बीएसई (वित्त वर्ष 2016 में 56.3 प्रतिशत) पर 31.05 प्रतिशत रहा।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज की संपत्ति प्रबंधन इकाई में इक्विटी और डेरिवेटिव के प्रमुख अंकित मंधोलिया का मानना है, ‘व्यक्तिगत कारोबारी के आधार पर अहमदाबाद की हिस्सेदारी लगभग 4 प्रतिशत (टर्नओवर के लिहाज से) है जो पिछले कुछ वर्षों से इतनी ही बनी हुई है।’
एनएसई के आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 में नकदी बाजार में व्यक्तिगत कारोबार में अहमदाबाद की हिस्सेदारी एक दशक पहले की तुलना में कम रही जबकि दिल्ली जैसे अन्य शहरों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। दिल्ली ने इसी अवधि में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है और एक दशक पहले जैसी स्थिति के समान ही मुंबई के बाद वह दूसरे स्थान पर है।