रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा है कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की सख्ती से छोटी पूंजी आधार वाले निवेशकों की भागीदारी काफी घट गई है। सेबी ने डेरिवेटिव सेगमेंट में अंधाधुंध ट्रेडिंग पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार मार्च तक एनएसई में 10,000 रुपये से कम के मासिक प्रीमियम टर्नओवर वाले निवेशकों की संख्या में सालाना आधार पर 49 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि 10,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाले निवेशकों की संख्या 37 प्रतिशत तक घटी है।
बाजार नियामक ने एफऐंडओ में गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए अपने शुरुआती कदमों में लॉट साइज को बढ़ा दिया था और साप्ताहिक एक्सपायरी को तर्कसंगत बनाया था। आंकड़ों के अनुसार एफऐंडओ में 90 प्रतिशत से अधिक व्यापारियों को नुकसान होता है।
इक्रा ने कहा, ‘इसके विपरीत ज्यादा मासिक प्रीमियम टर्नओवर वाले निवेशकों की संख्या पर अपेक्षाकृत कम असर पड़ा है। कम टर्नओवर दायरे में निवेशकों की संख्या में गिरावट के कारण प्रीमियम एडीटीओ में गिरावट आई, खासतौर पर 1 लाख रुपये से कम मासिक प्रीमियम टर्नओवर वाले निवेशकों के लिहाज से।’
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि मार्जिन ट्रेडिंग फंड (एमटीएफ) एक्सपोजर में पिछले वर्षों के दौरान लगातार तेजी दर्ज की गई थी। लेकिन तिमाही आधार पर इसमें 18 फीसदी की गिरावट आई जिसका असर सिक्योरिटी ब्रोकिंग कंपनियों के प्रदर्शन पर दिखा।
इक्रा के 9 सिक्योरिटी ब्रोकिंग फर्मों के नमूने के अनुसार राजस्व सालाना आधार पर 19 फीसदी तक घटा और कर बाद परिचालन लाभ (पीएटी) घटकर 26 फीसदी रह गया जो पिछली 12 तिमाहियों में सबसे कमजोर रहा।
पिछले नवंबर में सेबी ने एफऐंडओ में अत्यधिक सट्टेबाजी रोकने के लिए छह उपाय शुरू किए। नियामक सूत्रों से मिले आंकड़ों के अनुसार हालांकि इंडेक्स ऑप्शंस की मात्रा (प्रीमियम के संदर्भ में) सालाना आधार पर 15 प्रतिशत गिर गई, लेकिन वे अभी भी दो साल पहले की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक हैं। इसी तरह, इंडिवजुअल ट्रेडर भागीदारी हालांकि सालाना आधार पर 5 प्रतिशत कम है, लेकिन 2022 की तुलना में 34 प्रतिशत बढ़ गई है।
सेबी ने एफऐंडओ कारोबारी मुनाफे पर एक और सर्वे भी शुरू किया है। इसका परिणाम जून के मध्य तक सामने आने की संभावना है।