भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (SEBI) 29 मार्च को होने वाली अपनी आगामी बोर्ड बैठक में पर्यावरणीय, सामाजिक और प्रशासनिक (ESG) रेटिंग और खुलासों के बारे में नए ढांचे को अंतिम रूप देगा।
सेबी के बोर्ड द्वारा अगले वित्त वर्ष के लिए सालाना बजट को अंतिम रूप दिए जाने की भी संभावना है। यह बोर्ड बैठक ऐसे समय में हो रही है जब सर्वोच्च न्यायालय ने बाजार नियामक को अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में अपनी जांच दो महीने में पूरी करने और इसकी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
अधिकारियों का कहना है कि नियामक का बोर्ड अदाणी-हिंडनबर्ग मामले पर भी चर्चा कर सकता है। सेबी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच पहले ही शुरू कर चुका है और वह शेयर कीमतों में हेरफेर और शॉर्ट-सेलिंग गतिविधि की जांच की जा रही है।
मौजूदा समय में, भारतीय उद्योग जगत ने कथित बिजनेस रेस्पोंसिबिलिटी ऐंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग (BRSR) ढांचे के तहत ईएसजी संबंधित जानकारी का खुलासा किया है, क्योंकि चालू वित्त वर्ष से शीर्ष 1,000 कंपनियों के लिए यह अनिवार्य बनाया गया है। हालांकि इस डेटा के लिए ऑडिटिंग अनिवार्य नहीं है।
ज्यादा पारदर्शिता लाने, निवेशक भरोसा बरकरार रखने और भ्रामक जानकारी के जोखिम को कम करने के लिए नियामक द्वारा सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टों की ऑडिटिंग अनिवार्य बनाए जाने की संभावना है।
वह ‘BRSR Core’ नाम से ईएसजी खुलासों का सीमित ढांचा पेश करने की भी योजना बना रहा है, जिसे प्रत्येक श्रेणी – ई, एस और जी के तहत प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (KPI) निर्धारित किए जाएंगे। बीआरएसआर कोर के लिए ढांचा, कंपनियों द्वारा रिपोर्टिंग के लिए प्रणाली निर्धारित कर सकता है और संबद्ध आंकड़े की पुष्टि भी कर सकता है।
इसके अलावा, सेबी ईएसजी रेटिंग और मानकों में भी बदलाव ला सकता है और उन्हें घरेलू परिवेश के अनुरूप बना सकता है, जिससे कि छोटे शहरों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहन मिल सके। उद्योग के जानकारों का मानना है कि घरेलू संदर्भ जोड़ने से वैश्विक संदर्भ में बड़ा अंतर नहीं आएगा। उनका मानना है कि भारतीय कंपनियों को कुछ सख्त मानकों पर अमल करना होगा, जिसके लिए सही समय पर डेटा शेयरिंग की जरूरत होगी।
इस बीच, सेबी द्वारा ईएसजी रेटिंग प्रदाताओं (ERP) के लिए पंजीकरण अनिवार्य बनाए जाने की संभावना है। मौजूदा समय में, ईआरपी किसी नियामकीय निरीक्षण के अधीन नहीं हैं, लेकिन प्रतिभूति बाजार के लिए लगातार सेवा मुहैया कराते हैं। यह एक ऐसा जोखिम है जिसकी पहचान सेबी ने निवेशक सुरक्षा, पूंजी आवंटन को ध्यान में रखकर की है।
एक रेटिंग प्रदाता के प्रमुख का कहना है, ‘बाजार में रेटिंग प्रदाता को विश्वसनीयता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। ईएसजी क्षेत्र का भारत में पूरी तरह से विकास होना बाकी है और पंजीकरण की अनिवार्यता का पालन करना इस अवस्था में कठिन होगा। ऐसी कई इकाइयां सेवा मुहैया कराने के पात्र बनने में सक्षम नहीं होंगी। वैश्विक तौर पर मॉर्गन स्टैनली कैपिटल इंटरनैशनल ईएसजी रेटिंग मुहैया कराती है, भले ही यह एक सूचकांक प्रदाता है।’
अक्सर क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां ERP के तौर पर भी काम करती हैं।