पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSUs) भारत में इनवेस्टमेंट बैंकिंग सेक्टर के लिए एक अहम ग्रोथ ड्राइवर के रूप में उभर रही हैं। एमके इनवेस्टमेंट बैंकिंग (Emkay Investment Banking) ने बताया कि भले ही शेयर बाजार में हालिया गिरावट के चलते दलाल स्ट्रीट की गतिविधियां धीमी पड़ी हैं, लेकिन सरकार की विनिवेश योजना (divestment plan) फंड रेजिंग एक्टिविटी को नई रफ्तार देने में मदद कर सकती है। साथ ही, मजबूत SIP इनफ्लो और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की खरीदारी ने विदेशी निवेशकों (FII) की बिकवाली के प्रभाव को काफी हद तक संतुलित कर दिया है। बता दें कि एमके इनवेस्टमेंट बैंकिंग, एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की इनवेस्टमेंट बैंकिंग यूनिट है।
भारत में इनवेस्टमेंट बैंकों के लिए पब्लिक सेक्टर (PSU) एक अहम क्लाइंट बनकर उभर रहा है। निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ₹47,000 करोड़ का विनिवेश (divestment) लक्ष्य तय किया है। यह इनवेस्टमेंट बैंकों के लिए FY26 और उससे आगे के वर्षों में एक बड़ा अवसर है। पिछले तीन वर्षों में LIC और IREDA के IPO, और ONGC, IRCTC, HAL, कोल इंडिया, RVNL, NHPC, HUDCO, IRCON और कोचीन शिपयार्ड जैसे PSU में ऑफर फॉर सेल (OFS) ने दलाल स्ट्रीट (शेयर बाजार) को लगातार एक्टिव बनाए रखा है।
FY26 और उसके बाद भी इनवेस्टमेंट बैंकिंग इंडस्ट्री को मजबूती मिलने की उम्मीद है, क्योंकि भारत कोकिंग कोल, CMPDI, MNGL के चल रहे IPO और IREDA, GRSE, Veedol, सेंट्रल बैंक, यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक जैसे संस्थानों के QIP/OFS बाजार में मौजूद रहेंगे।
शेयर बाजार में आई गिरावट का असर अब फंड रेजिंग एक्टिविटी पर भी नजर आने लगा है। कैलेंडर ईयर 2024 (CY24) में कुल 92 IPOs आए, जिनके जरिए ₹1,62,261 करोड़ से ज्यादा की रकम जुटाई गई। वहीं, कंपनियों ने 91 QIPs के जरिए ₹1,36,424 करोड़ से ज्यादा जुटाए।
वहीं, सालाना आधार (YoY) पर आंकड़ों की तुलना करें, तो जनवरी-फरवरी 2025 में केवल 10 IPOs आए, जबकि जनवरी-फरवरी 2024 में यह संख्या 15 थी। इसी तरह, जनवरी-मार्च 2025 में अब तक सिर्फ 7 QIP आए हैं, जबकि जनवरी-मार्च 2024 में यह आंकड़ा 18 था।
रिपोर्ट के मुताबिक, लगातार मजबूत बने हुए SIP इनफ्लो बाजार को बड़े पैमाने पर सहारा दे रहे हैं। वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक) हर महीने SIP इनफ्लो ₹20,000 करोड़ से ऊपर रहा है। पिछले 5 महीनों से यह आंकड़ा ₹25,000 करोड़ से भी ज्यादा है जो बाजार के लिए काफी हौसला बढ़ाने वाला संकेत है। खासकर तब, जब सितंबर 2024 से बाजार में निगेटिव रिटर्न देखने को मिला है।
बाजार में ऐसी उम्मीद थी कि गिरावट के दौर में SIP इनफ्लो में भी गिरावट आएगी, जो आमतौर पर देखा जाता है। लेकिन अगर आगे जाकर SIP इनफ्लो में गिरावट आती है, तो इसका ओवरऑल मार्केट परफॉर्मेंस पर गहरा असर पड़ सकता है।
वित्त वर्ष 2024-25 में घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) का इनफ्लो विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) के आउटफ्लो की भरपाई से कहीं अधिक रहा है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, FY25 के पहले 11 महीनों में DIIs ने बाजार में ₹5,70,000 करोड़ से ज्यादा का निवेश किया है, जबकि इसी अवधि में FIIs की ओर से ₹2,88,000 करोड़ की बिकवाली हुई है।
बाजार के प्रदर्शन के लिहाज से केंद्रीय बैंक की दरों से जुड़े फैसले और लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय अहम भूमिका निभाएंगे। निकट से मध्य अवधि में RBI द्वारा कर्ज को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए कदमों से बाजार में नकदी बढ़ने की उम्मीद है। रीपो रेट में कटौती, NBFC को दिए गए कर्ज पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) के लिए रिस्क वेट में 25% की ढील, RBI द्वारा की गई लिक्विडिटी संबंधी पहलें और यूनियन बजट में खपत मांग को बढ़ावा देने के लिए घोषित उपायों से मध्यम से लंबी अवधि में बैंक क्रेडिट को मजबूती मिलने की संभावना है।