प्रमुख वैश्विक फंडों और निजी इक्विटी (PE) भागीदारों ने देश के सबसे बड़े शेयर बाजार – नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में उसके आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के संबंध में अनिश्चितता के बीच अपनी हिस्सेदारी कम कर दी है।
शेयरहोल्डिंग के ताजा आंकड़ों के अनुसार एसएआईएफ पार्टनर्स (SAIF Partners), अकेशा बैन्यन पार्टनर्स (Acacia Banyan Partners), ओंटारियो टीचर्स और डेक्कन वैल्यू इन्वेस्टर्स (Ontario Teachers’ and Deccan Value Investors) ने अपने निवेश में 24 फीसदी तक की कटौती की है।
NSE द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2023 की तिमाही में विदेशी प्रत्यक्ष निवेशकों (FDI) के पास रखे कुल शेयर घटकर 25.71 फीसदी रह गए, जो दिसंबर 2022 की तिमाही में 27.06 फीसदी थे। दूसरी तरफ बीमा कंपनियां, कॉरपोरेट और खुदरा निवेशकों ने NSE में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है।
आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2023 के दौरान NSE के लगभग 2,000 करोड़ रुपये के शेयरों में 2,948 रुपये के औसत से स्वामित्व परिवर्तन हुआ। फरवरी में 1,230 करोड़ रुपये के शेयरों में 2,982 रुपये प्रति शेयर की दर पर स्वामित्व परिवर्तन हुआ था।
शेयरों की बिक्री के हालिया लेनदेन का मूल्य लगभग 1.45 लाख करोड़ रुपये है। उद्योग के भागीदरों ने कहा कि कुछ PE को NSE के शेयरों को इसलिए बेचना पड़ा है क्योंकि उनके फंड की होल्डिंग अवधि समाप्त हो गई थी।
हालांकि NSE के शेयर औपचारिक रूप से सूचीबद्ध नहीं हैं, लेकिन वे गैर-सूचीबद्ध क्षेत्र में खासा कारोबार करते हैं। उम्मीद की जा रही है कि बाजार नियामक अनुचित पहुंच के लंबित कानूनी मामले हल किए जाने के बाद ही शेयर बाजार को अपनी सूचीबद्ध प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति देगा।