डिजिटल पेमेंट्स ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज फर्म पेटीएम ने कहा है कि उसका कुल मर्चेंट आधार मार्च 2021 में बढ़कर 2.1 करोड़ पर पहुंच गया, जो मार्च 2019 में 1.12 करोड़ रहा था। इसकी मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस की तरफ से सेबी के पास जमा कराए विवरणिका के मसौदे में ये बातें कही गई है।
साथ ही उसका जीएमवी 31 मार्च 2021 को 4.03 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो मार्च 2019 में 2.29 लाख करोड़ रुपये रहा था। जीएमवी का मतलब उसके ऐप, पेटीएम पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स या उसके पेमेंट सॉल्युशंस के जरिए मर्चेंट को किए गए कुल भुगतान की रुपये में वैल्यू से है। जीएमवी में कंज्यूमर टु कंज्यूमर पेमेंट सर्विस मसलन मनी ट्रांसफर शामिल नहीं होता।
रेडसीर की रिपोर्ट के मुताबिक (जिसका हवाला कंपनी ने डीआरएचपी में दिया है), उपभोक्ता व मर्चेंट के लिए पेटीएम अग्रणी डिजिटल कंपनी है, जो भुगतान सेवा, कॉमर्स व क्लाउड सेवाएं और वित्त्तीय सेवाएं 33.3 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों और 2.11 करोड़ मर्चेंट को मुहैया कराती है। ये आंकड़े मार्च, 2021 के हैं।
पेटीएम अपने राजस्व का बड़ा हिस्सा लेनदेन शुल्क से हासिल करती है, जो वह भुगतान सेवाओं से लिए अपने मर्चेंट से इकट्ठा करती है। वित्त वर्ष 21 में भुगतान व वित्तीय सेवाओं से उसका राजस्व कुल परिचालन राजस्व का करीब 75.3 फीसदी रहा।
डीआरएचपी में कहा गया है कि कोविड महामारी ने कंपनी के परिचालन और मर्चेंट के कामकाज को काफी प्रभावित किया और उशके साझेदार भी प्रभावित रहे। ऐसा अभी भी है। कंपनी ने कहा, महामारी ने हमें अपने कारोबारी चलन को संशोधित करने के प्रेरित किया ताकि कर्मचारियों, मर्चेंट और हम जिस समुदाय में भागीदारी करते हैं वहां वायरस का जोखिम कम से कम हो, जो हमारे कारोबार पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
कंपनी ने कहा है कि वह आईपीओ से मिलने वाली रकम का ज्यादातर हिस्सा मर्चेंट आधार बढ़ाने और मर्चेंट के साथ साझेदारी में इजाफा करने पर करेगी। कंपनी ने कहा, हम भर्ती, प्रशिक्षण व जरूरी तकनीक जेरिए अपनी बिक्री टीम पर निवेश जारी रखने का प्रस्ताव करते हैं। यह हमें शहरों में और मर्चेंट तक पहुंचने में सक्षम बनाएगा, जहां हम पहले से ही मौजूद हैं और हम अपनी सेवाओं व पेशकश का विस्तार नए शहरों के मर्चेंट के बीच भी कर पाएंगे।
डीआरएचपी मेंं यह भी कहा गया है कि उपभोक्ता व मर्चेंट के बीच मोबाइल वॉलेट व यूपीआई के जरिए रकम का हस्तांतरण अब आम हो गया है, खास तौर से महामारी के बाद और इससे देश में मोबाइल पेमेंट में इजाफा हुआ है।