विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की तरकफ से निवेश निकासी के बीच देसी म्युचुअल फंडों ने इस महीने शेयरों की खरीदारी बढ़ा दी है। ऊंचे मूल्यांकन को दरकिनार करते हुए फंड मैनेजरों ने 23 जुलाई तक 10,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी की है। यह जानकारी सेबी की वेबसाइट से मिली। इस महीने के बाकी कारोबारी सत्र में अगर बड़ी गिरावट नहींं आती है तो जुलाई में खरीदारी का आंकड़ा मार्च 2020 के बाद का सर्वोच्च आंकड़ा होने वाला है।
मार्च 2020 में म्युचुअल फंडों ने देसी शेयरों में रिकॉर्ड 30,285 करोड़ रुपये का निवेश किया था क्योंंकि तब उसने बाजारों में बड़ी गिरावट का फायदा उठाया था। हालांकि भारी निवेश के बाद इक्विटी फंड मैनेजरों को अगले कुछ महीनों में बाजार से रकम निकालनी पड़ी क्योंकि इक्विटी योजनाओं से निवेश निकासी का भारी दबाव था। जुलाई 2020 और फरवरी 2021 के बीच इक्विटी फंडों से शुद्ध रूप से करीब 46,800 करोड़ रुपये की निकासी हुई। हालांकि मार्च के बाद से इक्विटी एमएफ एक बार फिर निवेश आकर्षित करने में सक्षम हुआ। जून तक पिछले चार महीनों में इक्विटी फंडों मेंं शुद्ध रूप से करीब 28,600 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि जुलाई में भी शुद्ध निवेश सकारात्मक बने रहने की उम्मीद है।
सुंदरम एमएफ के प्रबंध निदेशक सुनील सुब्रमण्यम ने कहा, अगर हम पिछले साल पर नजर डालें तो इक्विटी फंडों से निवेश निकासी हो रही थी। इक्विटी फंड मैनेजर भी महामारी से भारत के रिकवर होने को लेकर अनिश्चित थे और इन वजहों से उन्होंने संकीर्ण नजरिया अपनाया। अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर देसी फंड मैनेजरों का भरोसा फिर कायम हुआ है और इसी वजह से वे बाजार में निवेश कर रहे हैं। इसे इस वास्तविकता से भी सहारा मिला है कि निवेशकों ने निवेश निकासी कम कर दी है और इक्विटी फंडों ने निवेश बढ़ा दिया है।
इस बीच, एफपीआई ने डेल्टा वेरिएंट के प्रसार और अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर चिंता से वैश्विक जोखिम को देखते हुए 10,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जो तीन महीने का सर्वोच्च स्तर है। एवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स ऑल्टरनेट स्ट्रैटिजीज के सीईओ एंड््यू हॉलैंड ने कहा, एफपीआई इसलिए बिकवाली कर रहे हैं कि एशिया और उभरते बाजारों में बढ़त की रफ्तार सुस्त हुई है जिसकी वजह कोरोना के बढ़ते मामले और टीकाकरण में कमी है। विकसित बाजारों की रफ्तार बेहतर है, जो हम अमेरिका की आय में देख चुके हैं। साथ ही चीन के संकट के कारण के कारण भी निकासी हो रही है। उभरते बाजारों से निकासी की वजह चीन का भारांक हो सकता है।