facebookmetapixel
अगस्त में Equity MF में निवेश 22% घटकर ₹33,430 करोड़ पर आया, SIP इनफ्लो भी घटाचुनाव से पहले बिहार को बड़ी सौगात: ₹7,616 करोड़ के हाईवे और रेलवे प्रोजेक्ट्स मंजूरBYD के सीनियर अधिकारी करेंगे भारत का दौरा, देश में पकड़ मजबूत करने पर नजर90% डिविडेंड + ₹644 करोड़ के नए ऑर्डर: Navratna PSU के शेयरों में तेजी, जानें रिकॉर्ड डेट और अन्य डिटेल्समद्रास HC ने EPFO सर्कुलर रद्द किया, लाखों कर्मचारियों की पेंशन बढ़ने का रास्ता साफFY26 में भारत की GDP 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 फीसदी हो सकती है: FitchIncome Tax Refund: टैक्स रिफंड अटका हुआ है? बैंक अकाउंट वैलिडेशन करना तो नहीं भूल गए! जानें क्या करें2 साल के हाई पर पहुंची बॉन्ड यील्ड, एक्सपर्ट ने बताया- किन बॉन्ड में बन रहा निवेश का मौकाCBIC ने दी चेतावनी, GST के फायदों की अफवाहों में न फंसे व्यापारी…वरना हो सकता है नुकसान‘Bullet’ के दीवानों के लिए खुशखबरी! Royal Enfield ने 350 cc बाइक की कीमतें घटाई

Mutual Funds: फंड मैनेजरों ने सरकारी बैंकों में निवेश घटाया, निजी में बढ़ाया

Mutual Funds: सरकारी बैंकों से मार्च में म्युचुअल फंडों ने 2,500 करोड़ रुपये निकाले और निजी बैंकों में 4,900 करोड़ रुपये डाले

Last Updated- April 23, 2024 | 9:51 PM IST
Mutual funds

हाल के महीनों में म्युचुअल फंड मैनेजरों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपना आवंटन इस अनुमान से घटाया है कि इनके शेयर की कीमतें पहले ही बहुत तेजी हासिल कर चुकी हैं। फंड मैनेजरों के मुताबिक सार्वजनिक बैंकों में निवेश घटाने के फैसले में निजी क्षेत्र के बैंकों में बेहतर मौकों की उपलब्धता का भी योगदान रहा।

मार्च में म्युचुअल फंडों ने सरकारी बैंकों के 2,500 करोड़ रुपये के शेयर बेचे वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों में 4,900 करोड़ रुपये का निवेश किया। पिछली तीन तिमाहियों में म्युचुअल फंड सरकारी बैंकों के शेयरों में शुद्ध बिकवाल रहे हैं।

टाटा म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर अमेय साठे ने कहा कि बैंकिंग और फाइनैंशियल सर्विसेज फंड में अब हमारे पास एक ही सरकारी बैंक है जबकि पिछले साल तीन थे। इसकी वजह यह है कि हमें लगता है कि वित्त वर्ष 25 में इनके लाभ में वृद्धि नरम रहेगी।

लाभ में मजबूत वृद्धि और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार के दम पर सरकारी बैंकों के शेयरों में पिछले कुछ वर्षों में खासी तेजी देखने को मिली है। कुछ बैंकों में आकर्षक मूल्यांकन के कारण भी खरीद दिलचस्पी रही।

निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स पिछले एक साल में 84 फीसदी चढ़ा है जबकि निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स में महज 12.6 फीसदी का इजाफा हुआ है। तीन साल की समयावधि में प्रदर्शन का अंतर और ज्यादा है। इस दौरान निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 3.6 गुना बढ़ा है जबकि निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स में 42 फीसदी का इजाफा हुआ है।

फंड मैनेजरों ने कहा कि पिछले 2-3 वर्षों में सरकारी बैंकों काफी तेजी आ चुकी है और अब बड़े सरकारी बैंकों का मूल्यांकन उचित स्तर पर है लेकिन ज्यादातर बैंकों का अधिक है। इसके साथ ही ज्यादातर निजी बैंकों के कमजोर प्रदर्शन ने ऐतिहासिक स्तर की तुलना में उनके मूल्यांकन में सुधार किया है।

मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के फंड मैनेजर गौरव कोछड़ ने कहा कि कोविड के बाद मूल्यांकन के लिहाज से सरकारी बैंक काफी आकर्षक थे। लिहाजा उनमें आवंटन ज्यादा किया गया। अब ज्यादातर में दोबारा रेटिंग हो चुकी है।

ऐसे में उनमें निवेश घटाया गया है। यहां से दोबारा रेटिंग के लिए सुधरे हुए वित्तीय प्रदर्शन के टिके रहने की दरकार होगी। इसके साथ ही निजी बैंक के शेयर अपनी लंबी अवधि के औसत के आसपास वाले मूल्यांकन पर उपलब्ध हैं और मध्य से लंबी अवधि में उनका प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद है।

कैपिटालाइन के आंकड़ों के अनुसार आवंटन में बदलाव से पिछली तिमाही में बैंकिंग शेयरों में फंडों की होल्डिंग में खासा बदलाव देखने को मिला है। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े एचडीएफसी बैंक में फंडों की होल्डिंग 15.1 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी पर पहुंच चुकी है, वहीं सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई में यह 12.9 फीसदी से घटकर 11.5 फीसदी रह गई है।

First Published - April 23, 2024 | 9:51 PM IST

संबंधित पोस्ट