June 2025 Market Outlook: वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, लेकिन भारत की स्थिति अब भी मजबूत बनी हुई है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की ताजा मंथली मार्केट आउटलुक रिपोर्ट में निवेशकों को ‘मध्यम मार्ग’ अपनाने की सलाह दी गई है—जहां आशावाद और सतर्कता के बीच संतुलन बना रहे। दुनियाभर में टैरिफ बढ़ने, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका के बढ़ते कर्ज संकट जैसे जोखिम बने हुए हैं। इसके बावजूद भारत की घरेलू मांग मजबूत है। सरकार की नीतियों, इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम से इस मांग को सहारा मिल रहा है।
भारतीय शेयर बाजारों में बीते कुछ महीनों में जोरदार तेजी देखी गई है। खासकर रियल एस्टेट, कैपिटल गुड्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर्स में डबल डिजिट रिटर्न मिला है। मई महीने में रियल एस्टेट इंडेक्स में 23% की तेजी दर्ज की गई, जिसकी वजह मजबूत तिमाही नतीजे, आरबीआई की दरों में कटौती और ऊंची मांग रही।
हालांकि, मिड और स्मॉल कैप शेयरों की वैल्यूएशन काफी ऊंची बनी हुई है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के इक्विटी वैल्यूएशन इंडेक्स के मुताबिक बाजार फिलहाल ‘न्यूट्रल ज़ोन’ में है—न तो इतना सस्ता कि पूरी ताकत से निवेश किया जाए और न ही इतना महंगा कि पूरी तरह बाहर निकला जाए। ऐसे में नए इक्विटी निवेश सोच-समझकर, चरणबद्ध तरीके से और बड़े शेयरों (लार्ज कैप) पर फोकस करते हुए करने की सलाह दी गई है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “हम दो साल या उससे कम अवधि वाले प्रोडक्ट्स को लेकर आशावादी हैं, क्योंकि हमें उम्मीद है कि इन बिंदुओं पर यील्ड कर्व में तेजी आएगी। वहीं पांच साल या उससे ज्यादा अवधि वाले निवेश को लेकर हम सतर्क हैं, क्योंकि हमें अर्थव्यवस्था में वी-शेप रिकवरी (V-shaped recovery) की संभावना दिख रही है।”
भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। देश की GDP ग्रोथ 6.4% तक पहुंच गई है और कोर महंगाई (core inflation) भी अपने निचले स्तर से ऊपर आई है, जो मिड-साइकल रिकवरी की तरफ इशारा करता है। हालांकि, बॉन्ड बाजार अब भी बीते दिनों की नकदी की कमी के चलते सतर्क रुख अपनाए हुए है।
अब जब केंद्रीय बैंक (RBI) ब्याज दरों में कटौती कर रहा है और सिस्टम में लिक्विडिटी (नकदी) बढ़ा रहा है, ऐसे में शॉर्ट ड्यूरेशन डेट प्रोडक्ट्स लंबी अवधि वाले विकल्पों की तुलना में ज्यादा बेहतर नजर आ रहे हैं। लंबी अवधि के बॉन्ड्स में यील्ड कर्व में तेजी आने की संभावना है, जिससे इनमें जोखिम बढ़ सकता है।
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अगर आप सुरक्षा और शॉर्ट-टर्म इनकम (3 से 12 महीने) चाहते हैं: तो लिक्विड फंड्स, मनी मार्केट फंड्स या अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म फंड्स चुनें।
मध्यम अवधि (1 से 3 साल) के लिए: शॉर्ट-टर्म फंड्स, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स या बैंकिंग एंड पीएसयू फंड्स अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
हालांकि भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ की कहानी अभी भी मजबूत बनी हुई है, लेकिन शॉर्ट टर्म में निवेशकों को ज्यादा आक्रामक रुख से बचने की सलाह दी गई है। रिपोर्ट में ‘B.A.D.C.’ स्ट्रैटेजी अपनाने की सिफारिश की गई है:
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