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जून में कहां और कैसे करें निवेश? ICICI Pru की सलाह- इक्विटी में संभलकर बढ़ें, SIP जारी रखें; डेट में शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स पर रखें फोकस

ICICI Pru की ताजा मंथली मार्केट आउटलुक रिपोर्ट में निवेशकों को ‘मध्यम मार्ग’ अपनाने की सलाह दी गई है—जहां आशावाद और सतर्कता के बीच संतुलन बना रहे।

Last Updated- June 18, 2025 | 6:23 PM IST
How to invest in June
June 2025 Market Outlook

June 2025 Market Outlook: वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, लेकिन भारत की स्थिति अब भी मजबूत बनी हुई है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की ताजा मंथली मार्केट आउटलुक रिपोर्ट में निवेशकों को ‘मध्यम मार्ग’ अपनाने की सलाह दी गई है—जहां आशावाद और सतर्कता के बीच संतुलन बना रहे। दुनियाभर में टैरिफ बढ़ने, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका के बढ़ते कर्ज संकट जैसे जोखिम बने हुए हैं। इसके बावजूद भारत की घरेलू मांग मजबूत है। सरकार की नीतियों, इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम से इस मांग को सहारा मिल रहा है।

इक्विटी: निवेश बरकरार रखें, लेकिन सावधानी जरूरी

भारतीय शेयर बाजारों में बीते कुछ महीनों में जोरदार तेजी देखी गई है। खासकर रियल एस्टेट, कैपिटल गुड्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर्स में डबल डिजिट रिटर्न मिला है। मई महीने में रियल एस्टेट इंडेक्स में 23% की तेजी दर्ज की गई, जिसकी वजह मजबूत तिमाही नतीजे, आरबीआई की दरों में कटौती और ऊंची मांग रही।

हालांकि, मिड और स्मॉल कैप शेयरों की वैल्यूएशन काफी ऊंची बनी हुई है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के इक्विटी वैल्यूएशन इंडेक्स के मुताबिक बाजार फिलहाल ‘न्यूट्रल ज़ोन’ में है—न तो इतना सस्ता कि पूरी ताकत से निवेश किया जाए और न ही इतना महंगा कि पूरी तरह बाहर निकला जाए। ऐसे में नए इक्विटी निवेश सोच-समझकर, चरणबद्ध तरीके से और बड़े शेयरों (लार्ज कैप) पर फोकस करते हुए करने की सलाह दी गई है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “हम दो साल या उससे कम अवधि वाले प्रोडक्ट्स को लेकर आशावादी हैं, क्योंकि हमें उम्मीद है कि इन बिंदुओं पर यील्ड कर्व में तेजी आएगी। वहीं पांच साल या उससे ज्यादा अवधि वाले निवेश को लेकर हम सतर्क हैं, क्योंकि हमें अर्थव्यवस्था में वी-शेप रिकवरी (V-shaped recovery) की संभावना दिख रही है।”

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इक्विटी निवेश की स्ट्रैटेजी

  • लंबी अवधि में ग्रोथ के लिए: थीमैटिक और बिजनेस साइकिल फंड्स में SIP जारी रखें।
  • अगर स्थिरता पसंद है… तो लार्ज-कैप एक्सपोजर के लिए ICICI प्रूडेंशियल ब्लूचिप फंड या मिनिमम वेरिएंस फंड बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
  • बाजार के उतार-चढ़ाव से परेशान हैं: तो बैलेंस्ड एडवांटेज फंड या मल्टी एसेट फंड जैसे हाइब्रिड विकल्प चुनें—ये इक्विटी का फायदा तो देते हैं, साथ ही सुरक्षा का भाव भी बनाए रखते हैं।

डेट: ड्यूरेशन रिस्क को समझें

भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। देश की GDP ग्रोथ 6.4% तक पहुंच गई है और कोर महंगाई (core inflation) भी अपने निचले स्तर से ऊपर आई है, जो मिड-साइकल रिकवरी की तरफ इशारा करता है। हालांकि, बॉन्ड बाजार अब भी बीते दिनों की नकदी की कमी के चलते सतर्क रुख अपनाए हुए है।

अब जब केंद्रीय बैंक (RBI) ब्याज दरों में कटौती कर रहा है और सिस्टम में लिक्विडिटी (नकदी) बढ़ा रहा है, ऐसे में शॉर्ट ड्यूरेशन डेट प्रोडक्ट्स लंबी अवधि वाले विकल्पों की तुलना में ज्यादा बेहतर नजर आ रहे हैं। लंबी अवधि के बॉन्ड्स में यील्ड कर्व में तेजी आने की संभावना है, जिससे इनमें जोखिम बढ़ सकता है।

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डेट फंड्स में निवेश की स्ट्रैटेजी

अगर आप सुरक्षा और शॉर्ट-टर्म इनकम (3 से 12 महीने) चाहते हैं: तो लिक्विड फंड्स, मनी मार्केट फंड्स या अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म फंड्स चुनें।

मध्यम अवधि (1 से 3 साल) के लिए: शॉर्ट-टर्म फंड्स, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स या बैंकिंग एंड पीएसयू फंड्स अच्छे विकल्प हो सकते हैं।

हालांकि भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ की कहानी अभी भी मजबूत बनी हुई है, लेकिन शॉर्ट टर्म में निवेशकों को ज्यादा आक्रामक रुख से बचने की सलाह दी गई है। रिपोर्ट में ‘B.A.D.C.’ स्ट्रैटेजी अपनाने की सिफारिश की गई है:

  • B – Broad Equity Exposure: बिजनेस साइकिल और थीमैटिक फंड्स के जरिए इक्विटी में डायवर्स निवेश।
  • A – Asset Allocation: हाइब्रिड या मल्टी-एसेट स्कीम्स के माध्यम से संतुलित एसेट एलोकेशन करें।
  • D – Dynamic/Flexible Funds: मार्केट की उठापटक से निपटने के लिए डायनेमिक या फ्लेक्सीबल मैंडेट वाले फंड्स चुनें।
  • C – Capitalization Preference: नए निवेशों के लिए लार्ज कैप शेयरों को प्राथमिकता दें।

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जून 2025 में इन चेकलिस्ट पर दें ध्यान

  • डायवर्सिफाइड और लार्ज कैप इक्विटी फंड्स में SIP जारी रखें।
  • नए निवेश हाइब्रिड या एसेट एलोकेशन रूट के जरिए करें
  • डेट फंड्स में शॉर्ट ड्यूरेशन विकल्पों को प्राथमिकता दें।
  • फिलहाल मिड और स्मॉल कैप फंड्स में लंप-सम निवेश से बचें।
  • अपने पोर्टफोलियो को दोबारा संतुलित करें।

भारत क्यों दिख रहा है मजबूत

  • तेजी से बढ़ता औपचारिकरण: GST, UPI और ई-इनवॉइसिंग जैसे कदम टैक्स नेट को व्यापक बना रहे हैं।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर में बूम: नेशनल हाईवे, पोर्ट्स और रेलवे की क्षमता में FY2030 तक 2–3 गुना बढ़ोतरी की दिशा में काम जारी है।
  • उपभोग में तेजी: खर्च अब प्रीमियम और डिस्क्रेशनरी सामानों की ओर बढ़ रहा है। ₹12 लाख तक की आय पर टैक्स में छूट से खपत को और बल मिला है।
  • घरेलू बचत मजबूत: बढ़ती प्रति व्यक्ति आय और स्थिर महंगाई दर के चलते घरों की बचत स्थिति बेहतर बनी हुई है।

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इन बातों पर रखें नज़र:

  • मिड और स्मॉल कैप की महंगी वैल्यूएशन: इन सेगमेंट्स की कीमतें अभी भी ऊंची हैं, जिससे इनमें निवेश का जोखिम बढ़ सकता है।
  • कमजोर होती कमाई की रफ्तार: कोविड के बाद की लागत संबंधी बढ़त अब घट रही है, जिससे कंपनियों की आय में नरमी देखी जा रही है।
  • चुनावी लोकलुभावन घोषणाएं: राज्य चुनावों के चलते सरकारें कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा खर्च कर सकती हैं, जिससे वित्तीय अनुशासन पर दबाव बन सकता है।
  • DII/FII फ्लो में सुस्ती: हालांकि घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) लगातार खरीदार बने हुए हैं, लेकिन वैश्विक जोखिमों के कारण विदेशी निवेश प्रभावित हो सकता है।

First Published - June 18, 2025 | 6:20 PM IST

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