आगामी जनवरी में यात्री वाहनों के दाम बढ़ सकते हैं। हर साल जनवरी में कारों के दाम बढ़ाना अब लगभग एक सामान्य बात हो गई है। वाहन विनिर्माता फिलहाल विदेशी मुद्रा दबाव (रुपये में नरमी), कमोडिटी में तेजी और ग्रामीण मांग में अनिश्चितता से जूझ रहे हैं।
वाहन बनाने वाली देश की दो सबसे बड़ी कंपनियों- टाटा मोटर्स और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा- ने आगामी मूल्य वृद्धि के संकेत पहले ही दे दिए हैं। कंपनी ने विश्लेषकों से बातचीत में इनपुट एवं कमोडिटी लागत में हो रही लगातार वृद्धि पर चिंता जताई है।
टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के एमडी एवं सीईओ शैलेश चंद्रा ने कहा, ‘जनवरी में यानी चौथी तिमाही में हम कीमतें बढ़ाएंगे जैसा आम तौर पर करते रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि कमोडिटी लागत में वृद्धि के बावजूद कंपनी ने 9 महीनों से कीमतें नहीं बढ़ाई हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें इसे आगे बढ़ाना होगा। दिसंबर के बाद जब कारोबार कम स्टॉक के साथ शुरू होता है तो छूट का माहौल भी कम हो सकता है।’
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के नेतृत्व ने भी इसी तरह की चिंता जाहिर की। कंपनी ने यूवी, एलसीवी और ट्रैक्टर श्रेणियों में जबरदस्त मांग का रुझान बराकरार रखा है। मगर अधिकारियों ने स्वीकार किया कि बढ़ती कमोडिटी कीमतें, विशेष रूप से कीमती धातुओं के दाम बढ़ने से जोखिम बढ़ गया है। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के ईडी एवं सीईओ (वाहन एवं फार्म सेक्टर) राजेश जेजुरिकर ने विश्लेषकों से बातचीत में कहा कि कंपनी हेज पोजीशन लेना जारी रखे हुए है।
एमऐंडएम समूह के सीएफओ अमरज्योति बरुआ ने कहा कि इस साल कुछ कीमती धातुओं में 60 से 80 फीसदी की वृद्धि हुई है। मगर शुरुआत में ही एमऐंडएम के हेजिंग की वजह से तात्कालिक प्रभाव कम रहा है। अगर यह रुझान जारी रहता है तो हेजिंग लागत बढ़ जाएगी और उसका एक असर होगा।
इस बीच होंडा कार्स इंडिया ने इसकी पुष्टि कर दी है कि वह जनवरी से कारों के दाम बढ़ाने पर विचार कर रही है। हालांकि मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) ने यह नहीं बताया कि कीमतों में कितना इजाफा करने का इरादा है। मगर जनवरी में होने वाली वृद्धि आम तौर पर मॉडल के आधार पर 2से 4 फीसदी के दायरे में होती है। जनवरी 2025 में कई कंपनियों ने अपने वाहनों के दाम 3 से 4 फीसदी के बीच बढ़ाए थे।
प्राइमस पार्टनर्स के सलाहकार अनुराग सिंह ने कहा कि जनवरी का यह मूल्य चक्र महीनों से बन रहा है। ओईएम आम तौर पर बढ़ती इनपुट लागत की भरपाई के लिए साल के आखिर में कीमत बढ़ाने की घोषणा करते हैं। मगर इस बार अधिकतर कंपनियों ने जीएसटी सुधार के दौरान जारी सरकारी सलाह के कारण इसे टाल दिया था।
सिंह ने कहा, ‘जनवरी में कारों की कीमतें बढ़ाना अब एक सामान्य बात हो गई है।’ उन्होंने कहा कि कंपनियों के पास पहले बहुत कम गुंजाइश थी। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने जीएसटी कटौती के समय कीमतों में वृद्धि न करने के लिए कहा था। इसलिए अधिकतर ओईएम ने उसका पालन किया और रुपये में नरमी एवं इनपुट लागत बढ़ने के बावजूद कीमतों में इजाफा करने से परहेज किया।’
नवंबर में केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी दरों में कटौती के बाद कई कार विनिर्माताओं को कीमतों में भारी कमी करनी पड़ी थी। इससे मांग बढ़ी और साल के आखिर में खरीदारी करने के सामान्य व्यवहार में बदलाव आया।
इक्रा के उपाध्यक्ष (कॉरपोरेट रेटिंग) और सेक्टर प्रमुख रोहन कंवर गुप्ता के अनुसार, इन सभी कारकों के मिलेजुले प्रभाव से 2026 की शुरुआत में नरमी का दौर बन सकता है।