Hybrid Funds: हाल के महीनों में इक्विटी बाजारों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। कैलेंडर वर्ष 2025 में वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चितताओं (टैरिफ वॉर और भू-राजनीतिक तनाव) के कारण बाजार में अस्थिरता बने रहने की संभावना है। ऐसे में वर्तमान समय में हाइब्रिड फंड्स (Hybrid funds) एक बेहतर निवेश विकल्प साबित हो सकते हैं, खासकर उन निवेशकों के लिए जो जोखिम से बचना चाहते हैं। साथ ही, यह फंड्स निवेशकों को अपने जोखिम सहने की क्षमता (risk appetite) और फाइनेंशियल टारगेट (financial goals) के आधार पर अपने एसेट एलोकेशन को फिर से संतुलित करने का भी अवसर प्रदान करते हैं। AMFI डेटा के मुताबिक, फरवरी में इक्विटी म्युचुअल फंड में इनफ्लो 26% घटकर ₹29,303.34 करोड़ रह गया। पिछले महीने हाइब्रिड फंड्स में ₹6,804 करोड़ का इनफ्लो दर्ज किया गया, जो जनवरी में आए ₹8,767.5 करोड़ के मुकाबले कम रहा। पिछले तीन वर्षों में टॉप 10 हाइब्रिड फंड्स ने 17-21% का शानदार रिटर्न दिया है।
बाजार में जब उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है, तो हाइब्रिड फंड्स को एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। यह फंड्स इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करते हैं, जिससे जोखिम कम हो जाता है। मिरे असेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) रिसर्च हेड और फंड मैनेजर हर्षद बोरावके कहते हैं, “हाइब्रिड फंड्स अपने नाम की तरह कई तरह की एसेट क्लास में निवेश करते हैं। इनमें इक्विटी, डेट, आर्बिट्राज, REITs/InVITs, विदेशी शेयर और कमोडिटीज शामिल हो सकते हैं। हर एसेट क्लास का रिस्क और रिटर्न प्रोफाइल अलग होता है। इसलिए इन सभी को एक साथ मिलाकर हाइब्रिड फंड में शामिल करने से डाइवर्सिफिकेशन मिलता है। इससे हाइब्रिड फंड बाजार की उतार-चढ़ाव वाली स्थिति को बेहतर तरीके से संभाल पाते हैं।
एक्सिस म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर जयेश सुंदर ने कहा, “इस समय का आर्थिक माहौल काफी अस्थिर और अनिश्चित है। ऐसे में हाइब्रिड फंड्स एक बेहतर विकल्प माने जा सकते हैं। इक्विटी और डेट का यह मिक्स बाजार में गिरावट के दौरान एक सुरक्षा कवच का काम करता है और इससे निवेशकों को उनके वित्तीय लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद मिलती है और सफर थोड़ा आसान बन सकता है।”
BPN Fincap के डायरेक्टर ए के निगम के मुताबिक, हाइब्रिड फंड्स ऐसे म्युचुअल फंड्स होते हैं जो इक्विटी (शेयर) और डेट (बॉन्ड या फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स) दोनों में निवेश करते हैं। यह डाइवर्सिफिकेशन जोखिम को कम करने में मदद करता है और बाजार की उतार-चढ़ाव वाली स्थितियों में अपेक्षाकृत स्थिर रिटर्न देता है।
SEBI के वर्गीकरण के अनुसार, आर्बिट्राज और कंज़र्वेटिव हाइब्रिड फंड्स (जो मुख्य रूप से डेट में निवेश करते हैं) को छोड़कर हाइब्रिड फंड्स के चार प्रमुख प्रकार होते हैं। इनमें इक्विटी सेविंग्स फंड में इक्विटी का हिस्सा आमतौर पर कम होता है, जबकि एग्रेसिव हाइब्रिड फंड में यह हिस्सा ज्यादा होता है।
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड और मल्टी एसेट एलोकेशन फंड को डायनामिक तरीके से मैनेज किया जाता है, यानी इनमें इक्विटी का हिस्सा बाजार की स्थिति के अनुसार कम या ज्यादा किया जा सकता है। मल्टी एसेट फंड्स में कमोडिटी (जैसे सोना, चांदी आदि) को भी एक एसेट क्लास के रूप में शामिल किया जाता है।
हाइब्रिड फंड्स सभी तरह के निवेशकों की जरूरत पूरी कर सकते है। निवेशक अपनी फाइनेंशियल जरूरतों और लक्ष्यों के हिसाब से इन फंड्स को आसानी से एडजस्ट कर सकते है। सुंदर कहते हैं, “हाइब्रिड फंड्स की सबसे खास बात उसकी बहुपयोगिता (versatility) है। ये फंड्स अलग-अलग तरह के निवेशकों की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। चाहे आप पहली बार निवेश करने वाले हैं जो धीरे-धीरे शुरुआत करना चाहते हैं, या एक अनुभवी निवेशक हैं जो संतुलित रिटर्न की तलाश में हैं—हाइब्रिड फंड्स दोनों के लिए काम के हैं। जो लोग रिटायरमेंट के करीब हैं, उनके लिए डेट की स्थिरता के साथ थोड़ा इक्विटी एक्सपोजर यह सुनिश्चित करता है कि पोर्टफोलियो बढ़े लेकिन ज्यादा जोखिम न उठाना पड़े।”
निगम के मुताबिक, हाइब्रिड फंड्स में ऐसे निवेशकों को पैसा लगाना चाहिए जो इक्विटी की तुलना में कम उतार-चढ़ाव चाहते हैं, लेकिन फिक्स्ड इनकम से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद रखते हैं। वे लोग जो मध्यम से लंबी अवधि (3 से 5 साल) तक निवेश करने की योजना बना रहे हैं। वे व्यक्ति जिन्हें निवेश प्रबंधन का पेशेवर अनुभव नहीं है।
वर्तमान बाजार माहौल को देखते हुए हाइब्रिड म्युचुअल फंड्स का आउटलुक काफी आशा भरा नजर आ रहा है। बोरावके कहते हैं, “पिछले कुछ महीनों से भारतीय शेयर बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है, जिसका कारण अमेरिका की व्यापार नीतियों से जुड़ी अनिश्चितता और घरेलू स्तर पर आर्थिक सुस्ती, ऊंचे वैल्यूएशन, कमजोर क्रेडिट ग्रोथ और शहरी खपत में गिरावट है। हालांकि वैल्यूएशन में गिरावट आई है, लेकिन बाजार कॉर्पोरेट अर्निंग्स में सुधार का इंतजार कर रहे हैं।”
उनका मानना है कि सरकार और आरबीआई द्वारा उठाए गए हालिया नीतिगत कदम भविष्य में ग्रोथ को सहारा दे सकते हैं, लेकिन निकट भविष्य में अस्थिरता बनी रह सकती है। ऐसे माहौल में हाइब्रिड फंड्स एक संतुलित निवेश विकल्प हो सकते हैं, जो बाजार की अस्थिरता को बेहतर तरीके से संभालते हैं और जोखिम के अनुसार बेहतर रिटर्न देने में सक्षम होते हैं।
निगम का मानना है कि एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स को ब्याज दरों में गिरावट से फायदा हो सकता है, क्योंकि इनके बॉन्ड हिस्से से पूंजी लाभ (कैपिटल गेन) मिलने की संभावना बढ़ जाती है।