अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट के बीच पिछले महीने बाजार के कमजोर प्रदर्शन के चलते एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारत की रैंकिंग कम हो गई है। बताया जाता है कि इसे 350 अरब डॉलर से ज्यादा की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों वाले पैसिव फंड ट्रैक करते हैं। 12.97 फीसदी के भारांक के साथ भारत की रैंकिंग अब चीन व ताइवान के बाद है, जिनका भारांक क्रमश: 33.49 फीसदी व 14.42 फीसदी है। वैश्विक सूचकांक का संकलन करने वालों की तरफ से जारी फैक्टशीट से यह जानकारी मिली।
दिसंबर के आखिर में भारत का भारांक 14.44 फीसदी था और वह पहली बार दूसरे पायदान पर काबिज हुआ था। इसकी वजह कैलेंडर वर्ष 2022 के दौरान उभरते बाजारों के समूह में भारत का उम्दा प्रदर्शन था। एमएससीआई इंडिया में 8 फीसदी की गिरावट आई जबकि एमएससीआई ईएम इंडेक्स में 20 फीसदी की फिसलन दर्ज हुई (दोनों ही डॉलर के लिहाज से)।
साल 2023 में किस्मत में पलटाव हुआ है और एमएससीआई इंडिया जनवरी में 2 फीसदी टूटा जबकि एमएससीआई ईएम में 8 फीसदी का इजाफा हुआ। उभरते बाजारों में एमएससीआई ताइवान इंडेक्स सबसे उम्दा प्रदर्शन करने वाला रहा है और पिछले महीने उसमें करीब 13 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई।
स्मार्टकर्मा के प्रकाशक व विश्लेषक ब्रायन फ्रिएटस ने कहा, भारत की रैंकिंग में गिरावट की दो मुख्य वजह है। एमएससीआई ताइवान में जनवरी में काफी तेजी आई, जिसकी वजह ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में आई 16.4 फीसदी की उछाल है। ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का एमएससीआई इंडेक्स में करीब 45 फीसदी भारांक है। दूसरी ओर, एमएससीआई इंडिया में जनवरी में करीब 4 फीसदी की गिरावट आई, जिसमें से 1.7 फीसदी का योगदान अदाणी समूह के शेयरों में आई गिरावट का रहा।
पिछले चार कारोबारी सत्रों के दौरान (24 जनवरी से 31 जनवरी के बीच) अदाणी समूह की कंपनियों ने 5.6 लाख करोड़ रुपये यानी 29 फीसदी गंवाए, जब हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आई। इस रिपोर्ट में समूह पर कई आरोप लगाए गए हैं।
इस महीने भी अदाणी समूह के शेयरों की बाजार कीमत में गिरावट जारी है, जिससे एमएससीआई ईएम इंडेक्स में भारत के भारांक पर और दबाव बढ़ सकता है। एमएससीआई इंडेक्स में ज्यादा भारांक से वैश्विक ईटीएफ से अरबों डॉलर का निवेश हासिल करने में मदद मिल सकती है।
नुवामा रिसर्च के प्रमुख (ऑल्टरनेटिव ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च) अभिलाष पगारिया ने कहा, भारांक अब मौजूदा स्तर के करीब एकीकृत हो सकता है। उन्होंने कहा, भारत का भारांक नवंबर में रिकॉर्ड स्तर तक चढ़ गया था, जब यहां अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले खासी तेजी आई थी। तब से हमारे बाजारों ने कमजोर प्रदर्शन किया है। भारत का मूल्यांकन अभी भी अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले प्रीमियम पर है और एतिहासिक स्तर के मुकाबले भी। ऐसे में मौजूदा स्तर से भारांक में खासी बढ़ोतरी चुनौतीपूर्ण होगी।
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करीब एक दशक तक एमएससीआई ईएम इंडेक्स में भारत का भारांक 8 फीसदी से नीचे रहा है। पिछले दो वर्षों मे भारत का भारांक दोगुना हो गया क्योंकि बाजारों का आकार बढ़ा और देसी कंपनियों में एफपीआई के लिए निवेश की खासी गुंजाइश बनी, जब सरकार ने नियमों में बदलाव किया।
एक विदेशी बैंक के विश्लेषक ने कहा, पिछले साल हमने चीन में बेची और भारत में खरीदो का नजरिया देखा। कई वैश्विक फंडों ने चीन की जगह भारत का रुख किया क्योंकि वहां नियामकीय समस्या थी। इस साल चीन में काफी सुधार हुआ है, वहीं भारत में एफपीआई के लिए घटनाक्रम पर चिंता है। पिछले हफ्ते सबसे ऊंचे बाजार पूंजीकरण के मामले में भारतीय बाजार पांच अग्रणी देशों की सूची से बाहर हो गए।