भारत ने वैश्विक मंच पर अपना स्थान मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। साथ ही विकास को बढ़ाने में एक साथ कई कारक भारत के पक्ष में काम कर रहा है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक, एक गहरा, संपन्न और बड़ा वित्तीय बाजार भारत के विकास की कहानी में एक सहारे का काम करेगा। भारत अब इस मोर्चे पर पहले से काफी बेहतर स्थिति में है।
रिकॉर्ड फंडरेज़िंग और IPO एक्टिविटी: CY24 भारत के प्राइमरी मार्केट के लिए असाधारण साल साबित हुआ। इसमें अब तक 317 से अधिक IPO के माध्यम से 1.8 ट्रिलियन रुपए जुटाए गए हैं, जो अबतक सबसे ज्यादा है। यह आंकड़ा CY21 में हासिल किए गए 1.3 ट्रिलियन रुपए के रिकॉर्ड को भी पार कर गया और CY23 में जुटाए गए 576 बिलियन रुपए से बहुत अधिक है।
इस आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय बाजार में इन्वेस्टर्स की काफी रुचि है और उनका विश्वास बढ़ रहा है।
बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैपिटलाइजेशन) में योगदान: भारतीय मार्केट कैपिटलाइजेशन में IPO के योगदान में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। यह साल 23 में 1.4 % से बढ़कर साल 24 में 2.9 % पर पहुंच गया है। हालांकि, इस उछाल के बावजूद, यह अभी भी साल 2017 (3.7%) और साल 2021 (3.4%) से पीछे है।
SME IPO’s: एक बड़ा बदलाव यह रहा है कि साल 2024 में SME IPO का योगदान कम रहा। यह कुल IPO एक्टिविटी का 5.3% है, जो कि साल 2023 में 8.6 % से कम है। कम हिस्सेदारी के बावजूद, साल 2024 में SME द्वारा जुटाई गई कुल पूंजी 92 बिलियन रुपए थी, जोकि साल 2023 में जुटाई गई कुल 49 बिलियन रुपए की तुलना में दोगुनी से भी अधिक थी। लार्ज और मिड कैप IPO का प्रभुत्व है, लेकिन SME अभी भी IPO लैंडस्केप में विविधता लाने में महत्वपूर्ण फैक्टर है।
प्रमुख IPO और FPO: हुंडई मोटर ने भारत में सबसे बड़े IPO के साथ इतिहास रच दिया है। उसने अक्टूबर 2024 में IPO के माध्यम से 278।6 बिलियन रुपये जुटाए और मई 2022 में LIC द्वारा बनाए गए पिछले रिकॉर्ड (205.6 बिलियन रुपये) को पीछे छोड़ दिया। इस साल भारत में सबसे बड़ा फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) भी देखा गया, जिसमें वोडाफोन-आइडिया ने अप्रैल 2024 में 180 बिलियन डॉलर जुटाए। इसने जुलाई 2020 में यस बैंक (150 बिलियन रुपये) और मार्च 2004 में ONGC (106.9 बिलियन रुपये) के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।
2024 में रिकॉर्ड तोड़ IPO और FPO के साथ, भारत के कैपिटल मार्केट ने इनवेस्टर्स और बिजनेस की एक सीरीज के महत्व को साबित कर दिया है। इससे एक मजबूत और संपन्न भविष्य के लिए मंच तैयार हो गया है।
IPO फ्लेवर: क्या चल रहा है और क्या नहीं!
भारत का IPO मार्केट देश में आर्थिक और इन्वेस्टर सेंटीमेंट दोनों को संक्षेप में दर्शाता है, जो व्यापक परिवर्तनों को दर्शाता है और सेक्ट्रल एक्टिविटी के रुझानों को रेखांकित करता है।
जिन रुझानों पर ध्यान दिया जा सकता है वो यहां दिए गए हैं:
CY24 में ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम, रिटेल, कैपिटल गुड्स और ई-कॉमर्स के साथ सेक्टर रोटेशन का बड़ा खेल जारी है: जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था की रूपरेखा बदलती है, सेक्टर फंड जुटाने की एक्टिविटी में बदलाव देखने को मिलता है।
CY24 में, ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम, रिटेल, कैपिटल गुड्स और ई-कॉमर्स प्रमुख क्षेत्र थे, जो 83 कंपनियों के कुल इश्यू आकार का 59% हिस्सा थे। यह उपभोक्ता-संचालित विकास, डिजिटल परिवर्तन और बुनियादी ढांचे के विकास में अभी के रुझानों को दिखाता है।
छोटे पैमाने पर नहीं: दिलचस्प बात यह है कि चुनिंदा क्षेत्रों द्वारा देखी गई वृद्धि उल्लेखनीय रही है, जो न केवल बदलाव को रेखांकित करती है, बल्कि उन क्षेत्रों का समर्थन करती है जो भारत के लिए विकास की अगली लहर का नेतृत्व करने की संभावना रखते हैं। ऑटोमोबाइल्स सेक्टर ने इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका योगदान CY23 के 4.1% से बढ़कर CY24 20.2% हो गया। इसके अलावा टेलिकॉम सेक्टर (CY23 में 0.1% से CY24 में 12.8%) और ई-कॉमर्स (CY23 में 1.6% से CY24 में 8.2%) भी इस लिस्ट में शामिल हैं।
कुछ पाया कुछ खोया: इन सबसे कुछ चुनिंदा क्षेत्र में में कमी भी देखने को मिली। हेल्थ सेक्टर (CY23 में 16.3% से CY24 में 5.9% तक गिर गया) और टेक्नोलॉजी सेक्टर (CY23 में 9% से CY24 में 0.7%) में सबसे तेज गिरावट देखी गई।
अपने पक्ष में नहीं: पिछले कुछ सालों में ई-कॉमर्स, टेलिकॉम और रिटेल जैसे क्षेत्रों ने प्रमुखता प्राप्त की है, जो तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था और उपभोक्ता-संचालित विकास को दर्शाता है।
दूसरी ओर कैपिटल गुड और रियल स्टेट जैसे क्षेत्रों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, जो शायद बुनियादी ढांचे में उछाल और रियल स्टेट साइकिल के चलते हुआ हो।
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व में हो रहे बदलाव भारती की उभरती हुई आर्थिक संरचना को उजागर करता है, जिससे ई-कॉमर्स और टेलिकॉम जैसे क्षेत्र सबसे आगे आ रहे हैं, जबकि ऐतिहासिक रूप से प्रमुख क्षेत्र जैसे BFSI और इंश्योरेंस अभी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये बदलाव अर्थव्यवस्था में व्यापक संरचनात्मक परिवर्तनों को दर्शाते हैं, जिसमें शहरीकरण, डिजिटलीकरण और बढ़ता कंज्यूमर मार्केट शामिल है।