बाजार शोध फर्म नीलसन का कहना है कि अप्रैल-जून अवधि के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद भारत में एफएमसीजी बाजार सालाना आधार पर 36.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। पिछले साल की तुलनात्मक तिमाही की तरह इस साल भी व्यावसायिक गतिविधियों को रिटेल स्टोरों और थोक बिक्री बाजारों के बंद होने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जून में हालात सामान्य हुए और निर्माताओं द्वारा ऑनलाइन वितरण पर जोर दिए जाने से 2021 में एफएमसीजी रिकवरी को मदद मिली।
जहां बाजार ने न्यून आधार के संदर्भ में मजबूत वृद्घि दर्ज की, लेकिन उसकी सालाना कुल आधार पर उसकी वृद्घि दर 12.2 प्रतिशत थी और इसे बिक्री में 6.4 प्रतिशत तक की वृद्घि से मदद मिली। नीलसन ने कहा है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, नेस्ले और डाबर जैसी कई बड़ी निर्माता कंपनियों ने उत्पादन लागत में भारी वृद्घि का बोझ ग्राहकों पर डालने से परहेज किया, लेकिन डिब्बाबंद उत्पादों की कीमतें तिमाही के दौरान 5.8 प्रतिशत बढ़ गई थीं।
अप्रैल-जून 2020 तिमाही के दौरान दबाव का सामना करने के बाद 4.5 लाख करोड़ रुपये सालाना वाले बाजार को महामारी-पूर्व स्तरों के संदर्भ में सुधार दर्ज करने में मदद मिली। आंकड़ों से पता चलता है कि जहां पिछले साल के देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान यह बाजार जनवरी-मार्च 2020 तिमाही के मुकाबले 21 प्रतिशत तक घट गया था, वहीं इसमें 8 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की है।
इसके अलावा, संपूर्ण बाजार दूसरी कोविड लहर के दौरान लॉकडाउन से बचे रहने में सफल रहा और जून तिमाही में बिक्री पूर्ववर्ती तिमाही के मुकाबले सिर्फ दो प्रतिशत तक घटी। नीलसन के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार अच्छे मॉनसून और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की मदद से लगातार वृद्घि दर्ज करने में सफल रहे। लेकिन शीर्ष-52 शहरों या भारत के मेट्रो बाजारों में सुस्ती बनी रही और उनमें कोविड-पूर्व तिमाही के मुकाबले एक प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की गई।
ग्रोसरी और मॉडर्न ट्रेड आउटलेटों जैसे पारंपरिक रिटेल चैनलों में परिचालन कोविड संबंधित सख्ती की वजह से सीमित हो गया, निर्माताओं ने केमिस्ट और ई-कॉमर्स जैसे रियायत वाले चैनलों का ज्यादा इस्तेमाल किया। इसके परिणामस्वरूप, केमिस्ट चैनलों के जरिये एफएमसीजी बिक्री 21 प्रतिशत बढ़ गई, जो जून तिमाही के दौरान एफएमसीजी सेक्टर में संपूर्ण वृद्घि के मुकाबले सर्वाधिक दर थी।
कोविड महामारी से पहले कुल एफएमसीजी बिक्री में 10 प्रतिशत क योगदान देने वाले मॉडर्न ट्रेड (एमटी) चैनल में काफी नरमी आई है। आंकड़े से पता चलता है कि एमटी चैनल का योगदान जून में सुधरकर कोविड-पूर्व स्तर के 83 प्रतिशत पर पहुंच गया, वहीं अप्रैल-जून, 2020 की तिमाही में यह 78 प्रतिशत था। अक्टूबर, 2020 और मार्च 2021 के बीच, जब रिटेल गतिविधियां सामान्य होने लगी थीं, एमटी का योगदान जनवरी-मार्च, 2020 के मुकाबले 92 प्रतिशत पर पहुंच गया था।