पिछले कुछ महीनों की मंदी में बैंकों के शेयरों में खासी गिरावट आ गई है और कई शेयर तो जनवरी के अपने उच्चतम स्तर से आधी कीमत पर आ गए हैं।
लेकिन एनालिस्टों का मानना है कि ये गिरावट थोड़े समय की ही है और आने वाले दिनों में इसमें सुधार आ जाएगा। असिका ब्रोकर्स रिसर्च के प्रमुख पारस बोधरा का मानना है कि बैंकों के शेयरों में जरूरत से ज्यादा बिकवाली हो चुकी है और सरकारी बैंकों के वैल्युएशंस सममूल्य पर चल रहे हैं लिहाजा ये शेयर अपने मौजूदा स्तरों से ऊपर आएंगें।
बाजार के जानकारों का कहना है कि बैंकों के शेयरों में यह मंदी बढ़ती महंगाई की वजह से है, जो बढ़कर 8.1 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुकी है। उनके मुताबिक फार्म क्षेत्र के कर्जों की माफी से बैंकों को काफी मदद मिलनी है और सरकारी बैंकों को इससे अपने नुकसान की भरपाई करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा इससे उनकी बैलेंस शीट में भी सुधार आएगा।
हालांकि बीएसई का 18 शेयरों का बैंकेक्स बुधवार को 186.88 अंक गिरकर 7210 अंकों पर था। सभी सरकारी बैंकों के शेयर अपने 52 हफ्तों के उच्चतम स्तर से आधी कीमत पर कारोबार कर रहे हैं। निजी बैंकों का तो और भी बुरा हाल है। चढ़ती ब्याज दरों ने इन बैंकों का खासा परेशान कर रखा है। बुधवार को भी बाजार में आई भारी गिरावट ने इन शेयरों को और पटकनी दे डाली है।
हाल यह है कि एक्सिस बैंक जिसका पिछले बावन हफ्तों का उच्चतम स्तर 1291 रुपए का है, 739 रुपए पर कारोबार कर रहा है, इसी तरह कोटक बैंक 1435 से 638 पर पहुंच गया, डीसीबी 162 से 65 पर आ गया। सरकारी बैंकों की बात की जाए जो स्टेट बैंक जिसका 52 हफ्तों का उच्चतम स्तर 2396 रुपए का था, 1331 रुपए पर कारोबार कर रहा है। बैंक ऑफ इंडिया 466 से गिरकर 271 पर, कैनरा बैंक 421 से गिरकर 201 पर और बैंक ऑफ बड़ौदा 501 से गिरकर 241 पर पहुंच गया।
ये सारे ही बैंक बहुत अच्छा प्रदर्शन करने लगेंगे यह तो मुश्किल लगता है लेकिन अगर अमेरिकी बाजार में सुधार आता है तो इन शेयरों में 10-15 फीसदी की तेजी आ सकती है। बोधरा के मुताबिक भारतीय बैंकों का एक्सपोजर सबप्राइम में कम है, लेकिन उन्होने इसके लिए प्रोवीजनिंग भी कर रखी है।