शेयर बाजार के लिए इससे बड़ी बात क्या हो सकती है कि आईपीओ के बंद होने और शेयर बाजार में इसकी लिस्टिंग के बीच के समय में कटौती की तैयारी कर ली गई है। इसमें तीन से पांच दिन या अधिकतम सात दिनों की कमी की जा सकती है।
अब तक यह सीमा 21 दिनों की है। बाजार को नियंत्रण करने वाली संस्था सेबी ने इस समय सीमा में कमी के साथ अन्य बदलाव का भी फैसला किया है।
इनमें शेयरों की बोली लगाने से लेकर निवशकों के आईपीओ को बिना ब्याज दिए उनके पैसे को रोकने जैसी चीजें शामिल हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर स्टॉक एक्सचेंज के सूत्रों ने बताया कि आईपीओ के बंद होने व शेयर बाजार में इसकी लिस्टिंग के बीच की समय सीमा में तीन से पांच दिनों की कमी का प्रस्ताव है।
हालांकि आईपीओ बाजार को आसानी से इलेक्ट्रॉनिक बाजार में बदलने के लिए आरंभ में कोई भी आवेदन इलेक्ट्रॉनिक व सामान्य प्रकार से स्वीकार किए जाएंगे। ताकि पहली बार निवेश कर रहे निवेशकों को आसानी हो सके।
सूत्रों के मुताबिक समय सीमा में पहले सात दिनों की कमी जाएगी और बाद में सब ठीक रहने पर इसमें और भी कमी की जा सकती है। गौरतलब है कुछ समय पहले तक यह समय सीमा तीन महीने की होती थी।
आईपीओ प्रक्रिया को पूर्ण रूप से इलेक्ट्रॉनिक बनाने के लिए सेबी प्राइमरी मार्केट एडवाइजरी कमेटी की एक सब कमेटी ने समय सीमा को तीन दिन करने का सुझाव दिया है।
यानी कि आने वाले समय में आवेदन, आवंटन व भुगतान जैसे सभी काम ई-मोड के जरिए होंगे। सूत्रों के मुताबिक कई आईपीओ के आने से बाजार में काफी संख्या में निवेशकों का आगमन हो रहा है। उनमें से बहुतों को कंप्यूटर व ई-मोड की जानकारी नहीं होती है। ऐसे निवेशकों के लिए अन्य तरीके भी अपनाये जा रहे है।
सूत्रों के मुताबिक वे बाजार को बढ़ाना चाहते हैं इसलिए इलेक्ट्रॉनिक व गैर इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरीकों को इस्तेमाल में लाने की व्यवस्था की गई है। समय सीमा को कम करने के लिए आवेदन के प्रारूप को भी छोटा करना होगा। इस आवेदन में पैन नंबर व म्म्युचल फंड एसोसिएशन द्वारा जारी कोड होगा।
निवेशकों के नाम व पते को बाद में भी लिया जा सकता है। क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक सुविधा के कारण इनके नाम व पते उपलब्ध होते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक आवदेन फॉर्म को छोटा करने से आवेदकों को इसे भरने में भी कम समय लगेगा और इसकी जांच करने में भी। इस विधि को अपना कर इलेक्ट्रॉनिक तरीकों की मदद लिए बगैर ही समय सीमा में कटौती की जा सकती है।
इश्यू प्रक्रिया से जुड़ी पुनर्विचार समूह (ग्रीप) ने इश्यू की लिस्टिंग के मामले में दो महीने पहले एक रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट की सिफारिशों के बारे में प्राइमरी मार्केट के सदस्यों ने कुछ आपत्ति जाहिर की थी। ग्रीप उन आपत्तियों पर विचार करने के बाद गुरुवार या शुक्रवार को उसे अंतिम रूप दे सकता है।
फिर सोमवार तक प्राइमरी मार्केट एडवाइजरी कमेटी उस रिपोर्ट पर अंतिम विचार करेगी। रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के बाद सेबी इस पर लोगों को अपनी टिप्पणी देने के लिए आमंत्रित कर सकती है। समय सीमा में कटौती से उन कालाबजारों को झटका लगेगा जो प्रमोटर्स की सहायता से फलते-फूलते है।
ये प्रमोटर्स अपने स्टॉक के लिए दलालों की मदद से कृत्रिम मांग पैदा कर देते हैं। और वे इश्यू के खुलने व शेयर के लिस्टिंग के बीच के समय का फायदा उठाने में कामयाब हो जाते हैं। समय सीमा में कमी से एक ही साथ काफी संख्या में आईपीओ खरीदने के प्रचलन में भी गिरावट होगी।