विदेश यात्रा अब सिर्फ बड़े शहरों के लोगों की पहुंच तक सीमित नहीं रही। पहली बार विदेश जा रहे भारतीयों की संख्या में जबरदस्त इजाफा देखा जा रहा है, और खास बात यह है कि इनमें बड़ी हिस्सेदारी देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों की है।
वीजा एप्लिकेशन प्लेटफॉर्म एटलिस (Atlys) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में पहली बार वीजा के लिए आवेदन करने वालों की संख्या में 32% की वृद्धि हुई है। इनमें से 56% आवेदन छोटे शहरों जैसे चंडीगढ़, सूरत, पुणे, लखनऊ और जयपुर से आए हैं।
ये यात्री न तो बिज़नेस के लिए जा रहे हैं और न ही परिवार से मिलने। ये लोग हैं – नवविवाहित जोड़ों, दोस्तों के साथ छुट्टियों पर जाने वाले युवाओं, पहली विदेश यात्रा पर निकले परिवारों की एक नई पीढ़ी, जो जीवन के खास लम्हों को विदेश में मनाना चाहती है।
Atlys के अनुसार, सबसे सक्रिय वर्ग में शामिल हैं:
दुबई, थाईलैंड, वियतनाम, और इंडोनेशिया जैसे देशों को ये यात्री अधिक पसंद कर रहे हैं। खासकर वे लोग जो कम बजट में विदेशी अनुभव चाहते हैं। दुबई बार-बार यात्रा करने वालों की पसंदीदा जगह बना हुआ है, जबकि थाईलैंड और वियतनाम जैसे देश युवा और एडवेंचर पसंद करने वाले यात्रियों को आकर्षित कर रहे हैं।
Atlys के संस्थापक और सीईओ मोहक नाहटा कहते हैं, “अब यात्रा को विलासिता नहीं, बल्कि जीवन का एक जरूरी हिस्सा माना जा रहा है। डिजिटल वीजा प्रक्रियाएं, सस्ती अंतरराष्ट्रीय उड़ानें और बढ़ती आमदनी इस ट्रेंड को आगे बढ़ा रही हैं।”
थॉमस कुक इंडिया और SOTC ट्रैवल की रिपोर्ट ‘इंडिया हॉलिडे रिपोर्ट 2025’ के अनुसार:
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 2023 के बीच 100.9 मिलियन पासपोर्ट जारी किए गए, जिनमें से 85% भारत में ही जारी हुए। पासपोर्ट सेवा केंद्रों (Passport Seva Kendras) की संख्या 2014 में 153 से बढ़कर 2023 में 523 हो गई है। फिर भी, देश की कुल आबादी में से केवल 8.71% लोगों के पास ही सक्रिय पासपोर्ट है। यह दर्शाता है कि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में अब भी बड़ी संख्या में लोग पहली बार विदेश यात्रा करने के अवसर का इंतजार कर रहे हैं।