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भारतीयों को चाहिए अब सेहतमंद और स्वादिष्ट नाश्ता, मखाना और भुने मेवे बने सबसे पसंदीदा विकल्प

भारतीय अब स्वाद के साथ सेहत को भी महत्व दे रहे हैं और मखाना जैसे पौष्टिक विकल्पों के साथ हेल्दी स्नैक्स बाजार को 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंचा रहे हैं।

Last Updated- July 18, 2025 | 10:48 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

लोगों के बीच स्वास्थ्य के प्रति बढ़ी जागरूकता और बदलती जीवनशैली के कारण भारत का स्नैक्स (नाश्ता) बाजार अब पूरी तरह से सेहतमंद होने की ओर बढ़ रहा है। इससे ब्रांडों को नवाचार करने और भारत के खाद्य एवं पेय बाजार में नए ब्रांडों के आने का भी रास्ता खुल रहा है।

शुक्रवार को इंडियन हेल्दी स्नैकिंग समिट 2025 में फॉर्मली द्वारा जारी एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, लोग अब नाश्ते में सेहतमंद चीजें ही खाना चाह रहे हैं। करीब 6,000 लोगों पर किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि 72 फीसदी लोग अब ऐसा नाश्ता करना पसंद करते हैं तो उनकी ऊर्जा बढ़ाए, मूड बढ़िया करें और जिसमें भरपूर प्रोटीन हो।

हालांकि, स्वाद अब भी सबसे जरूरी है और 94 फीसदी लोगों ने बताया कि वे ऐसा नाश्ता पसंद करते हैं, जो स्वादिष्ट भी हो और ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक भी हो। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस बीच 55 फीसदी लोग वैसा स्नैक्स पसंद करते हैं, जो नेचुरल हो और उनमें कोई प्रिजर्वेटिव न रहे। यह दर्शाता है कि स्वच्छ लेबल अब एक मानदंड बन गया है।’

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इसके अलावा भुने हुए और फ्लेवर्ड मेवे सबसे पसंदीदा नाश्ता है और 36 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्हें यही पसंद है। रिपोर्ट में कहा गया है, ’19 फीसदी लोगों को मखाना पसंद है और 14 फीसदी लोग अभी भी चिप्स और वेफर खाकर अपनी भूख मिटाते हैं। मखाना की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 65 फीसदी लोग अपने आहार में सक्रिय रूप से मखाना को सुपरफूड के तौर पर शामिल कर रहे हैं।’

इसके अलावा, सर्वेक्षण में शामिल हर पांच में दो शख्स ने बताया कि वे सेहतमंद नाश्ते के लिए 20 फीसदी अधिक भुगतान करने के लिए तैयार हैं। बेन ऐंड कंपनी के अनुमान के मुताबिक, भारत में साल 2030 तक सेहतमंद नाश्ता का कारोबार 20,000 करोड़ रुपये के आसपास हो जाएगा।

न सिर्फ स्वस्थ जीवनशैली बल्कि क्विक कॉमर्स के बढ़ने और नए-नए फ्लेवर आने से भारतीय खाद्य बाजार में नए ब्रांडों के आने का रास्ता भी खुल रहा है। कंसल्टिंग फर्म के विश्लेषण के मुताबिक, साल 2019 से 2023 के बीच बाजार के मुकाबले खाद्य एवं पेय ब्रांडों में 3.5 गुना की वृद्धि हुई है। यह प्रवृत्ति बढ़ती सोशल मीडिया जागरूकता और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा देश भर में चीनी और तेल की मात्रा के बोर्ड अनिवार्य करने जैसी नीतियों से रफ्तार पकड़ने के लिए तैयार है।

First Published - July 18, 2025 | 10:46 PM IST

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