हाथों की स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ समाज निर्माण में इसकी भूमिका को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बुधवार को विश्व हाथ धुलाई दिवस मनाया गया। हाथ धोना स्वच्छता का अभिन्न हिस्सा है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण विकास संकेतक जो डब्ल्यूएएसएच यानी पानी, सफाई और स्वच्छता की आधारशिला है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में सफाई और स्वच्छता मानकों में काफी पीछे है।
ब्रिक्स देशों की आपस में तुलना करने से पता चलता है कि 2024 में भारत में 96 प्रतिशत परिवारों को कम से कम बुनियादी पेयजल सेवाएं उपलब्ध थीं। लेकिन केवल 83 प्रतिशत परिवारों के पास ही सफाई संबंधी सेवाएं थीं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि सफाई के मामले में भारत अपने समकक्षों ब्राजील, चीन और रूस जैसे देशों से बहुत पीछे है। स्कूलों में सफाई सुविधाओं का प्रावधान सतत विकास लक्ष्य 6 का अभिन्न हिस्सा होता है।
वर्ष 2023 में भारत के 13 प्रतिशत स्कूलों में बेहतर या बुनियादी सफाई सुविधाओं का अभाव था। इसके अलावा, 4 में से 1 स्कूल में बेहतर या बुनियादी स्वच्छता सुविधाएं नहीं थीं। वर्ष 2024-25 की एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली रिपोर्ट में भी उत्तर-पूर्वी राज्यों के स्कूलों में पानी, सफाई और स्वच्छता सुविधाओं की कमी को दर्शाया गया है। मेघालय के केवल 42.7 प्रतिशत स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा मिली, जो देश में सबसे कम है।