घरेलू स्टार्टअप ब्लूसेमी ऐपल से ही प्रेरणा लेते हुए भारतीय बाजार में एक नई डिवाइस की पेशकश करने जा रही है। तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अपनी ऐपल वॉच में ही ब्लड ग्लूकोज जांच की सुविधा देने के लिए तैयार है। इसकी खासियत यह है कि शरीर में रक्त के नमूने लेने के लिए कोई चीज चुभाए बिना ही जांच संभव हो सकती है।
दूसरी तरफ हैदराबाद की टेक स्टार्टअप ब्लूसेमी ने एक हेल्थकेयर डिवाइस तैयार किया है जिसकी मदद से शरीर में कोई चीज चुभाए बगैर ही ब्लड ग्लूकोज के स्तर से लेकर रक्तचाप (blood pressure) तक आदि मापा जा सकता है। इस तरह की अनोखी डिवाइस के जरिये कंपनी भारतीय बाजार में सबसे पहले कदम रखकर फायदा लेने के लिए तैयार दिख रही है।
ब्लूसेमी की तकनीकी डिवाइस आइवा, त्वचा में चुभन के अनुभव के बिना 60 सेकंड के भीतर ही ब्लड ग्लूकोज की माप करने के साथ ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम), दिल की धड़कन, रक्तचाप और एसपीओ1 (रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा), हीमोग्लोबिन की जांच के लिए ए1सी (एचबीए1सी) माप सकती है ताकि अंदाजा मिले कि हीमोग्लोबिन में ग्लूकोज की मात्रा कितनी है और शरीर का तापमान कितना है।
ब्लूसेमी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और सह-संस्थापक सुनील मद्दीकातला का कहना है उन्होंने जानबूझ कर पहनने वाली डिवाइस नहीं तैयार किया है क्योंकि बाजार में इस तरह के डिवाइस पहले से ही मौजूद हैं। आइवा का नाम अमेरिकी फिल्म ‘अवतार’ से प्रेरित है और यह एक ऐसी डिवाइस है जिसमें चार प्रोफाइल हो सकते हैं और इससे पूरे परिवार की जांच संभव है। इस डिवाइस की कीमत करीब 16,000 रुपये है और इसे चलाने के लिए किसी तरह के कार्टिज, स्ट्रिप, बैटरी, सुई आदि की जरूरत नहीं होती है जैसे कि आमतौर पर इंस्टैंट ब्लड ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस में जरूरत पड़ती है।
मद्दीकातला का कहना है कि ब्लूसेमी का समर्थन गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, सैमसंग आदि के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया है। कंपनी ने इस डिवाइस को तैयार करने के लिए करीब 10 लाख डॉलर का निवेश किया है और इसे पिछले साल लास वेगस में आयोजित सीईएस 2022 में पेश किया गया था।
मद्दीकातला का कहना है, ‘हमने यह फैसला किया है कि हम पहनी जाने लायक डिवाइस नहीं बनाएंगे क्योंकि ऐसे उपकरणों से बाजार भरे पड़े हैं। इस डिवाइस को हाथ में पकड़ा जा सकता है और इसका इस्तेमाल पूरा परिवार कर सकता है। इसके अलावा यह किफायती भी है।’ देश में अगर कोई ब्लड ग्लूकोज मॉनिटर का इस्तेमाल करता है तो उसे हर महीने कम से कम करीब 3,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इस डिवाइस को चार दिनों के अंतराल पर चार्ज करने की जरूरत होगी जो 350,000 से अधिक ब्लड रीडिंग देने में सक्षम होगा।
मद्दीकातला का कहना है, ‘स्वास्थ्य के मानकों या महत्त्वपूर्ण अंगों की निगरानी से लोगों की जीवनशैली और उनके चयन को प्रभावित किया जा सकता है।’
यह डिवाइस पेटेंट वाली ऐसी तकनीक से संचालित होती है जो सेंसर फ्यूजन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स का इस्तेमाल करता है। इस तरह के सेंसर लोगों के स्पर्श और उनके सांस लेने के रुझान के मुताबिक ही प्रतिक्रिया देने में सक्षम होते हैं।
मद्दीकातला का कहना है कि कोविड-19 के बाद 30-45 साल के लोग अपने पास शरीर की जांच के लिए एक डिवाइस जरूर रखना चाहते हैं। वह कहते हैं, ‘अगर आप पहनने लायक उपकरणों के बाजार पर गौर करें तब आपको अंदाजा मिलेगा कि भारत में पहले से ही कम से कम 75 लाख उपयोगकर्ता हैं।’
बेंगलूरु, दिल्ली और अहमदाबाद में ब्लूसेमी के प्लांट में इस डिवाइस के कई पुर्जे बनते हैं जिसे अंत में अहमदाबाद में असेंबल किया जा जाता है। कंपनी फिलहाल हर तिमाही में ऐसे करीब 10,000 डिवाइस तैयार कर सकती है और फिलहाल यह केवल अपनी वेबसाइट के जरिये इसे बेच रही है।
मद्दीकातला का कहना है कि कंपनी एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है और यह गर्मी के सीजन के लिए कोई करार कर सकती है।
डिवाइस निर्माण को बढ़ाने के लिए कंपनी ने पहले ही तमिलनाडु और दिल्ली के अनुबंध वाले विनिर्माताओं से गठजोड़ किया है जो हर छह महीने में एक साथ मिलकर 100,000 डिवाइस तैयार कर सकते हैं।
मद्दीकातला का कहना है, ‘अगले साल हम भारत में 60,000 डिवाइस बेचने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।’ ब्लूसेमी की वर्ष 2024 से ही निर्यात शुरू करने की योजना है।