Covid vaccination drive: देश भर के 14 केंद्रों पर अब भी लोगों को कोरोनारोधी टीके लगाए जा रहे हैं और केंद्र सरकार ने अब तक इस अभियान पर रोक नहीं लगाई है। सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि टीकाकरण अभियान रोकने पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अभियान रोकने के बारे में कोई स्पष्ट फैसला नहीं है। कुछ राज्यों में यात्रियों का टीकाकरण किया जा रहा है।’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार यानी 13 मई की सुबह तक भारत में कोरोनावायरस के कुल 714 सक्रिय मरीज थे। रविवार को कोई टीकाकरण नहीं हुआ। शनिवार को 16 लोगों को टीके की खुराक दी गई थी। देश भर में संचालित 14 टीकाकरण केंद्रों में से 10 निजी हैं।
कुछ राज्यों में कोरोनावायरस के मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। महाराष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के हालिया मीडिया बुलेटिन से जानकारी मिली है कि 11 मई तक प्रदेश में कोरोना के 41 सक्रिय मरीज थे। इनमें से 35 मरीजों का घर में ही इलाज किया जा रहा था। करीब 6 मरीज अस्पताल में भर्ती थे, जिनमें से चार आईसीयू में थे।
क्या देश में अभी भी कोरोनारोधी टीकाकरण अभियान की जरूरत है? विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ टीकों का आकस्मिक उपयोग के लिए भंडारण कर रखना चाहिए।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रीन टेम्पलटन कॉलेज में वायरोलॉजिस्ट और रिसर्च फेलो शाहिद जमील ने बिज़नेस स्टैंडर्ड ने कहा, ‘भारत में पर्याप्त आबादी को टीका लगाकर संक्रमण से बचाया गया है, लेकिन बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए रकम लेकर टीके की व्यवस्था रखनी चाहिए।’ जमील ने कहा कि भले ही बुजर्गों ने टीके की तीनों खुराक लगवा ली हों, फिर भी ये टीके उपलब्ध रहने चाहिए। सरकार को भी अब मुफ्त में टीके नहीं देने चाहिए।
बड़े शहरों में तो अब टीकाकरण केंद्र नहीं चल रहे हैं। कोविन दिखा रहा है कि मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलूरु के शहरी इलाकों और यहां तक की कोलकाता में भी कोई टीकाकरण केंद्र नहीं है। मगर मुंबई से सटे ठाणे में एक टीकाकरण केंद्र चल रहा है और वहां लोगों बायोलॉजिकल-ई के कॉर्बेवैक्स लगाए जा रहे हैं।