मंकीपॉक्स अथवा एमपॉक्स एक बार फिर सिर उठा रहा है। अफ्रीका में इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं और पड़ोसी पाकिस्तान में शुक्रवार को इसके तीन संदिग्ध मामले सामने आए हैं। दो दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एमपॉक्स को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताजनक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। अब भारत ने इस बीमारी पर अंकुश लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं और शीर्ष स्तर पर बैठकें आयोजित कर हालात से निपटने को रणनीति बनाई जा रही है।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित एक बड़े अस्पताल के अधिकारी ने बताया, ‘केंद्र के अधीन आने वाले अस्पतालों के स्वास्थ्य विशेषज्ञों और अधिकारियों की बैठक बुलाई गई है।’ इस बीच, तमिलनाडु के स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को अपने स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे हाई अलर्ट पर रहें और एमपॉक्स प्रभावित मध्य अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों की जांच और कड़ी निगरानी करें।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के निदेशक टीएस सेल्वाविनायकम ने सकुर्लर में कहा कि अधिकारी एमपॉक्स पर कड़ी नजर रखें और बीते 21 दिनों में प्रभावित देशों से आने वाले लोगों का यात्रा इतिहास खंगालें।
सर्कुलर में कहा गया है, ‘पिछले 21 दिन में एमपॉक्स प्रभावित देशों से आने वाले किसी भी उम्र के लोगों की जांच करें और पता लगाएं कि उन्हें गर्दन में सूजन, बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द और कमजोरी जैसी शिकायतें तो नहीं है। यदि ऐसा है तो ये एमपॉक्स के लक्षण हो सकते हैं।’
इस बीच, हैदराबाद और नई दिल्ली में भी अलर्ट घोषित कर दिया गया है, क्योंकि इन दोनों शहरों में अफ्रीकी देशों से बड़ी संख्या में युवा उच्च शिक्षा के लिए आते हैं। पाकिस्तान में शुक्रवार को वायरल एमपॉक्स के मामले मिलने के बाद भारत और भी अधिक सतर्क हो गया है। चीन ने भी ऐलान किया है कि एमपॉक्स प्रभावित देशों से आने वाले लोगों अथवा सामान की अगले छह महीने तक निगरानी और जांच की जाएगी। वर्ष 2022 में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार एमपॉक्स जानवरों से आदमियों में फैलने वाला वायरल है। इसके लक्षण भी छोटी माता जैसे होते हैं। हालांकि इसमें इतना अधिक खतरा नहीं होता।
यह वायरल मंकीपॉक्स वायरस से होता है। इसका हमला पहली बार 1958 में हुआ था जब बंदरों में चिकन पॉक्स जैसी बीमारी के लक्षण दिखाई दिए थे। इस वायरस के दो रूप हैं। एक मध्य अफ्रीका के कॉन्गो बेसिन है एंडेमिक है इसका दूसरा स्वरूप पश्चिम अफ्रीका में फैला है।
विश्व स्तर पर पहली बार 2022 में इस बीमारी ने अपना कहर बरपाया था। इसमें इस बीमारी के दूसरे स्वरूप 2बी के लक्षण भी मिले थे और इस बीमारी से उस समय 140 लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन अफ्रीका में 2024 में अब तक इस बीमारी के 17,500 मामले सामने आ चुके हैं और 460 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में 12 से 15 माह आयु के बच्चों को चिकनपॉक्स का टीका- वरिसेला वैक्सीन- लगता है। इसके बाद 4 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को बूस्टर डोज के रूप में एक और टीका दिया जाता है।